October 7, 2024

नोटबंदी पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

सरकार ब्लैकमनी पर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है, देश की जनता पर नहीं: नोटबंदी से हो रही दिक्कतों पर SC का कमेंट

नई दिल्ली, 15 नवम्बर(इ खबरटुडे)। सुप्रीम कोर्ट ने 1000 और 500 रुपए के नोटों पर बैन के सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को बैन हटाने की मांग करने वाली पिटीशंस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- सरकार के फैसले का मकसद सरहानीय दिखता है लेकिन इसको लेकर काफी परेशानियां भी नजर आ रही हैं। कोर्ट ने कहा- आप ब्लैकमनी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं लेकिन इस देश की जनता के खिलाफ नहीं।
सरकार को क्या ऑर्डर

चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस डी. वाय. चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई की। पिटीशनर्स की तरफ कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा- हम नोटिफिकेशन पर रोक की मांग नहीं कर रहे। हम चाहते हैं कि सरकार ये बताए कि वो जनता को हो रही परेशानियों को खत्म करने के लिए क्या कर रही है। इसके बाद बेंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सरकार द्वारा उठाए कदमों की जानकारी मांगी। और आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में एफिडेविट फाइल करने को कहा।
कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो एफिडेविट के जरिए ये बताए कि लोगों की परेशानी को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी। कोर्ट ने केंद्र को कोई नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया।

नोटबंदी के खिलाफ चार पिटीशंस

मोदी सरकार के आठ नवंबर के फैसले के खिलाफ कुल चार पिटिशंस दायर की गई हैं। चीफ जस्टिस ठाकुर और जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच इन पर सुनवाई कर रही है। सरकार ने आठ नवंबर की आधी रात से 500 और 1,000 रुपए के नोट को बैन कर दिया था। इनकी जगह पर 500 और 2,000 रुपए का नया नोट जारी किया गया है। सरकार के फैसले के खिलाफ दायर चार पिटिशंस में दो दिल्ली के वकील विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडे ने दायर की हैं जबकि बाकी दो एस. मुथुकुमार और आदिल अल्वी ने दायर की हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर इन याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार के इस फैसले से नागरिकों के जीवन और बिजनसे करने के साथ ही कई दूसरे अधिकारों में बाधा पैदा हुई है।
क्या कहना है का पिटिशनर्स का?
पिटिशनर्स का आरोप है कि सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले से चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई और लोगों को काफी परेशानी हुई है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग की इस नोटिफिकेशन को या तो खारिज कर दिया जाना चाहिए या कुछ समय के लिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। केन्द्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई। इसमें कहा गया है कि अगर बेंच नोट पर पाबंदी को चुनौती देने वाली किसी पिटिशन पर सुनवाई करती है या कोई ऑर्डर जारी करती हैं तो उससे पहले केन्द्र का पक्ष भी सुना जाना चाहिए।

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