वनमंत्री के फोन से जागा वन विभाग का अमला
कई दिनों से घायल मोर की सुध नहीं ले रहे थे वन विभाग के कर्मचारी
रतलाम,14 जुलाई (इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय पक्षी मोर के प्रति भी वन विभाग संवेदनशील नहीं है। कई दिनों से घायल एक मोर के बारे में कई स्तरों पर सूचनाएं देने की बाद भी जब वन विभाग के अधिकारियों ने उसकी कोई चिन्ता नहीं की तो घटना की जानकारी सीधे वनमंत्री को दी गई। वन मंत्री को फोन के बाद वनविभाग का अमला जागा और ताबडतोड मोर का ईलाज शुरु किया गया।
घटना बांगरोद से शुरु हुई थी। करीब दस दिन पहले बांगरोद निवासी जनपद सदस्य श्यामू अटोलिया ने एक मोर को घायलावस्था में देखा। इस मोर को बिजली का करंट लगने से इसके दाये पंख की हड्डी टूट गई थी और यह उडने में असमर्थ हो गया था। श्यामू अटोलिया ने अपने स्तर पर मोर के घायल होने की सूचना वन विभाग के डिप्टी रेंजर व अन्य अधिकारियों को दी,लेकिन किसी ने इस पर ध्यान देने की जरुरत नहीं समझी। जनपद सदस्य श्यामू ने करीब चार दिन तक घायल मोर को अपने घर में रखा लेकिन वन विभाग का कोई कर्मचारी मोर की सुध लेने नहीं पंहुचा। आखिरकार थकहार कर श्यामू ने मोर के घायल होने की सूचना पूर्व वन्य प्राणी अभिरक्षक (वाइल्ड लाइफ वार्डन) राजेश घोटीकर से सम्पर्क किया और घायल मोर को लेकर श्री घोटीकर के जवाहर नगर स्थित आवास पर पंहुच गया।
श्री घोटीकर ने मोर के घायल होने की सूचना वन मण्डलाधिकारी आरपी राय को मोबाइल के द्वारा दी। दुखद तथ्य यह था कि जिस अधिकारी पर पूरे जिले के वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण का जिम्मा है,उसने तक राष्ट्रीय पक्षी के बारे में कोई संवेदनशीलता प्रदर्शित नहीं की। आखिरकार श्री घोटीकर ने इस बात की जानकारी सीधे जिले के प्रभारी और राज्य के वनमंत्री सरताज सिंह को दूरभाष के द्वारा दी। वन मंत्री ने श्री घोटीकर से सूचना मिलते ही वन विभाग के आला अफसरों को फटकार लगाई। वनमंत्री की फटकार लगते ही दृश्य बदल गया। पूरा वन विभाग हरकत में आ गया और फौरन एक दल बांगरोद जा पंहुचा। मजेदार बात यह है कि घायल मोर उस समय बांगरोद में था ही नहीं। घायल मोर श्री घोटीकर के घर पर था। वन विभाग के कर्मचारी बांगरोद से बैरंग लौटे और फिर उन्हे पता चला कि घायल मोर रतलाम में ही है,तब वे श्री घोटीकर के घर के पंहुचे।
श्री घोटीकर ने बताया कि वन विभाग के असहयोग के बाद उन्होने अपने स्तर पर पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.चन्द्रशेखर राय से इस सम्बन्ध में चर्चा की। वे रतलाम में उपलब्ध नहीं थे। पशु चिकित्सा अधिकारी से मोबाइल पर सम्पर्क नहीं हो पा रहा था। श्री घोटीकर ने अपने स्तर पर एक पशु चिकित्सक से चर्चा कर घायल मोर का प्राथमिक उपचार किया। शाम करीब साढे आठ बजे वन विभाग के कर्मचारी श्री घोटीकर के घर पंहुचे और उन्होने घायल मोर वन विभाग के कर्मचारियों को सौंपा।
इधर वन मण्डलाधिकारी आरपी राय ने राष्ट्रीय पक्षी मोर के प्रति उपेक्षा बरतने के आरोप को गलत बताया है। उन्होने तो वन मंत्री सरताज सिंह का कोई निर्देश मिलने की बात को भी झूठ बता दिया। वन मण्डलाधिकारी श्री राय ने इ खबर टुडे को बताया कि उन्हे कल शाम को सूचना मिली थी कि मोर घायल है और सूचना मिलते ही उन्होने अपने कर्मचारी भेज कर घायल मोर को वन विभाग में बुलवा लिया। मोर को प्राथमिक चिकित्सा दी गई है। उसे सोमवार को वेटरनरी कालेज महू भेजा जाएगा जहां उसका छोटा सा आपरेशन होगा। मोर के दाहिने पंख की हड्डी टूटी है। उसे तार की मदद से बांधा जाएगा।