परमाणु शस्त्र मुक्त हो विश्व, जैन घोषणा पत्र जारी
लोकसन्तश्री की निश्रा में अहिंसा दिवस पर हुई सर्व-धर्म सभा
नौ सूत्रीय संकल्प के साथ जैन धर्म संसद का समापन
रतलाम 2 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। परमाणु शस्त्र मुक्त विश्व के आह्नान के साथ लोकसन्त, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में वर्ल्ड जैन कान्फेडेरेशन एवं चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी के रुप में आयोजित तीन दिवसीय जैन धर्म संसद का रविवार को समापन हो गया । गांधी जयन्ती अहिंसा दिवस पर सर्व-धर्म सभा में जैन घोषणा पर्त जारी किया गया । इसमें प्रमुख रुप से विश्व को परमाणु शस्त्र मुक्त बनाने की घोषणा की गई। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटवा मुख्य अतिथि थे। प्रख्यात चिन्तक व अन्तरराष्ट्रीय राजनीति विशेषज्ञ डॉ. वेदप्रताप वैदिक, प्रख्यात कवि, लेखक व साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी विशेष अतिथि रहे। संगोष्ठी आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप, संयोजक जितेन्द्र बी. शाह, वर्ल्ड जैन कान्फेडेरेशन के ट्रस्टी एच.एस. रांका, प्रो. सागरमल जैन, श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र लोढ़ा व रतलाम श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ. ओ.सी. जैन मंचासीन थे।
लोकसन्तश्री ने आशीर्वचन में कहा कि अहिंसा सर्व-धर्मों में व्याप्त है । अहिंसा जहां होती है, वहीं जीवन होता है अन्यथा जीवन समाप्त हो जाता है । दुनिया के हर प्राणी को कर्मों के हिसाब से शरीर मिला है । कोई भी प्राणी भले ही दूसरे को मारे लेकिन अपने बच्चे को नहीं मारता । इसलिए अहिंसा का भाव तो सबके पास रहता है । भगवान महावीर ने अहिंसा के सूक्ष्म से सूक्ष्म रुप को समझाया है । संसार में हिंसा और अहिंसा दो ही शब्द हैं, जिन्दा रहना है तो अहिंसा अपनाएं ।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि फेसबुक, वाट्सअप में लगे रहने वाले लोग यदि इन साधनों का उपयोग भगवान की वाणी को लोगों तक पहुंचाने में करें तो उनका वेस्ट टाईम बेस्ट हो जाएगा ।
नई पीढ़ी को दिशा देगी जैन धर्म संसद – श्री पटवा
सर्व-धर्म सभा को संबोधित करते हुए संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटवा ने कहा कि रतलाम में आयोजित जैन धर्म संसद का आयोजन प्रशंसनीय है । जैन घोषणा पत्र के प्रयास सराहनीय हैं। इससे नई पीढ़ी को दिशा मिलेगी और भारतीय संस्कृति व संस्कार समृद्ध होंगे । राज्य सरकार ने उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में वैचारिक कुंभ किया था और उसमें भी इसी तरह वैश्विक आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श कर कार्ययोजना बनाई गई थी। सरकार का काम विकास करने का है, मगर म.प्र. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में सामाजिक दायित्वों को बखूबी निर्वहन किया जा रहा है ।
परमाणु निरस्तीकरण के विश्व आन्दोलन की हो शुरुआत – डॉ. वैदिक
प्रख्यात चिन्तक डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने जैन घोषणा पत्र के नौ सूत्रीय बिन्दुओं की सिलसिलेवार व्याख्या करते हुए कहा कि सर्व-धर्म सभा का यह आयोजन ऐतिहासिक है। इसमें उपदेशों के बजाए कर्म का आह्नान हो रहा है । विश्व को परमाणु शस्त्र मुक्त बनाने का जो आह्नान जैन धर्म संसद कर रही है उसकी चर्चा कोई नहीं करता । एक ऐसी चीज जो दुनिया को खत्म कर सकती है, सभ्यता का विनाश और मानवमात्र को समाप्त कर सकती है, उस पर किसी का ध्यान नहीं है । रतलाम में हुई धर्म संसद जैन समाज को नहीं, अपितु मानवमार्त को बचाने की पहल कर रही है । देश के सभी धर्म-गुरुओं को संघ बनाकर परमाणु शन्नें से मुक्ति के लिए विश्व आन्दोलन का आगाज करना चाहिए ।
सर्व-धर्म-सद्भाव का तीर्थ है जयन्तसेन धाम – प्रो. हाशमी
प्रख्यात कवि, लेखक व साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी ने जयन्तसेन धाम को सर्व-धर्म-सद्भाव का तीर्थ बताते हुए विभिन्न धर्मों एवं शास्त्रों में उल्लेखित अहिंसा के भाव की तथ्यात्मक व्याख्या की। अहिंसा के अक्षरों को अपनत्व, हिफाजत, न्याय और सामथ्र्य का प्रतीक बताते हुए कहा कि इन चारों का साम्राज्य जहां होता है, अहिंसा का जगत वहां होता है। सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं है । सत्य की सुई से अहिंसा का धागा मिल जाता है तो मानवता का वस्त्र सिल जाता है। अहिंसा केवल भोजन की थाली से नहीं देखी जाती, विचारों के प्लेटफार्म पर भी देखी जाती है । मान, माया, लोभ और क्रोध जैसे दुर्गुणों से हिंसा होती है, इन्हें छोडऩे वाला व्यक्ति ही अहिंसामय होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है ।
सर्व-धर्म सभा के आरम्भ में स्वागत भाषण देते हुए आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा के दर्शन को लोकतंत्र की स्थापना के लिए उपयोग किया। यह कल्पना पहले नहीं थी, सिर्फ 1893 की विश्व धर्म संसद में कहा गया था कि भारत जब भी आजाद होगा, अहिंसा के माध्यम से ही होगा। सम्पूर्ण विश्व में इसका पहला उदाहरण भारत है ।
जयन्तसेन वाड्मय का विमोचन, संगोष्ठी संयोजक का सम्मान
सर्व-धर्म सभा में लोकसन्त, जैनाचार्य श्रीमद् जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के लिखित साहित्य संग्रह ‘जयन्तसेन वाड्मय’ का विमोचन किया गया । त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र लोढ़ा ने वाड्मय ग्रंथ की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चेतन्य काश्यप की ओर से इस वाड्मय ग्रंथ का प्रकाशन किया गया है । 700 से अधिक पृष्ठ जिसमें 1 लाख से अधिक शब्द समाहित हैं, इस ग्रंथ का मुद्रण अल्पसमय में सुशील छाजेड ने करवाया है । इससे पूर्व जैन धर्म संसद के संयोजक जितेन्द्र बी. शाह का अतिथियों ने शॉल, श्रीफल से सम्मान किया। श्री शाह ने जैन घोषणा पत्र का वाचन किया। वर्ल्ड जैन कान्फेडेरेशन के ट्रस्टी एच.एस. रांका ने बताया कि गांधी जयन्ती को अहिंसा दिवस के रुप में मनाने का निर्णय वर्ल्ड जैन कान्फेडेरेशन ने किया था । उन्होंने श्री काश्यप से कान्फेडेरेशन का चेयरमेन बनकर भगवान महावीर के सिद्धान्तों को घर-घर तक पहुंचाने का आग्रह किया। संचालन अब्दुल सलाम खोकर ने किया। वल्र्ड जैन कान्फेडेरेशन एवं चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन की ओर से अन्त में सिद्धार्थ काश्यप ने आभार व्यक्त किया।