December 26, 2024

चीन के पास भी नहीं है जो मिसाइल, उससे लैस होंगे भारतीय फाइटर प्लेन

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नई दिल्ली,15 सितम्बर (इ खबरटुडे)। फ्रांस के साथ हुए सौदे में जो 36 राफेल फाइटर प्लेन भारत को मिलने वाले हैं. वे अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं. सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करन वाली मेटेओर (METEOR) मिसाइल. ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है. यानि राफेल प्लेन वाकई दक्षिण-एशिया में गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत ने राफेल सौदे में करीब 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपये) लड़ाकू विमानों के हथियारों पर खर्च किए हैं. गौरतलब है कि पूरे सौदे की कीमत करीब 7.9 बिलियन यूरो है यानि करीब 59 हजार करोड़ रुपये. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के मुताबिक, राफेल सौदा आखिरी चरण में है और आखिरी मुहर लगनी बाकी है.

सौदे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सौदे का प्रारुप तैयार किया जा रहा है और अगले कुछ दिनों में सौदे की घोषणा कर दी जायेगी. अभी ये सौदा इंटर गर्वमेंटल कमेटी के पास फाइनल होने के लिए भेजा गया है. जानकारी के मुताबिक, वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटेओर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है.

हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है. इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प (SCALP) क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका (MICA) मिसाइल से भी लैस है. सूत्रों के मुताबिक, राफेल प्लेन में एक और खासयित है.

वो ये कि इसके पायलट के हेलमेट में ही फाइटर प्लेन का पूरा डिस्पले सिस्टम होगा. यानि उसे प्लेन के कॉकपिट में लगे सिस्टम को देखने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी. उसका पूरा कॉकपिट का डिस्पले हेलमेट में होगा. माना जा रहा है कि सौदे पर स्टैंप लगने के बाद पहला प्लेन अगले 36 महीने में भारत पहुंच जायेगा.

सभी 36 प्लेन अगले 66 महीने में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार हो जायेंगे. जानकारी के मुताबिक, राफेल बनाने वाली कंपनी से भारत ने ये भी सुनिश्चित कराया है कि एक समय में 75 प्रतिशत प्लेन हमेशा ऑपरेशनली-रेडी रहने चाहिए. इसके अलावा भारतीय जलवायु और लेह-लद्दाख जैसे इलाकों के लिए खास तरह के उपकरण लगाए गए हैं.

राफेल का फुल पैकेज कुछ इस तरह है. 36 विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो, विमानों के स्पेयर पार्टस 1800 मिलियन यूरो के हैं, जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में खर्चा हुआ है 1700 मिलियन यूरो का. इसके अलवा पर्फोमेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा है करीब 353 मिलियन यूरो का.

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