जयन्तसेन धाम में करोड़ों जाप की नौ दिवसीय आराधना प्रारंभ
धर्म, जाति, सम्प्रदाय से नहीं बंधा नवकार महामंत्र्ा: राष्ट्रसन्तश्री
रतलाम 10 अगस्त (इ खबरटुडे)। नवकार महामंत्र्ा सर्वकल्याणकारी है। यह किसी धर्म, जाति, सम्प्रदाय से बंधा हुआ नहीं है। नवकार को जो भी मानता है, वह उसका है। यह महामंत्र्ा जिसके भी हृदय में बैठा हो, उसके सारे दुःख-दर्दों को दूर कर देता है। किसी में भेदभाव करना इसकी प्रकृति नहीं है। इसीलिए इसे मंत्र्ााधिराज के रूप में पुकारा जाता है। राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के इन उद्गारों के बीच जयन्तसेन धाम में नवकार महामंत्र्ा के करोड़ों जाप की नौ दिवसीय आराधना प्रारंभ हो गई।
18 अगस्त तक चलने वाली इस आराधना में करीब 1800 आराधक शामिल हो रहे है। पहल्ो दिन नवकार महामंत्र्ा और परमात्मा के चित्र्ा की स्थापना के बाद राष्ट्रसन्तश्री ने अभिमंत्र्ाित कर आराधकों को मालाएं प्रदान की। इसके साथ ही विश्व शांति और जनकल्याण के भाव से आराधना शुरू हो गई।
मानव जीवन काफी पुण्योदय के बाद मिलता है
नवकार आराधकों एवं श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि नवकार महामंत्र्ा आधि, व्याधि, उपाधि तीनों को दूर करने वाला मंत्र्ा है। नवकार को अपना बनाने वाला उत्तरोत्तर विकास करता है। मानव जीवन काफी पुण्योदय के बाद मिलता है। इसमें क्रोध, लोभ, मोह, माया से दूर करने वाल्ो इस महामंत्र्ा को अपनाकर जीवन सार्थक करना चाहिए।
नवकार के 68 अक्षरों में करोड़ों देवताओं का वास होता है
मुनिराज निपुण रत्नविजयजी म.सा. ने कहा कि नवकार के साथ सेटअप होने वाला जीवन में कभी अपसेट नहीं होता है। नवकार की विश्ोषता है कि यह व्यक्ति को सुख भीतर होने का अहसास कराता है। मुझे सुख चाहिए कहने वाले ज्ञानियों ने कहा है ‘मुझे’ अहंकार और ‘चाहिए’ शब्द इच्छा का प्रतीक है, इन्हें छोड़ दो, तो सुख स्वतः मिल जाएगा। नवकार के 68 अक्षरों में करोड़ों देवताओं का वास होता है। इसका जाप करने से उन सबका आशीष मिलता है। नवकार वह सौ टंच सोना है, जो अनादिकाल से चल रहा है।
मुनिराज चारित्ररत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि मनुष्य जन्म ही भवसागर में आत्म कल्याण और उत्थान करने वाला होता है। हम सब बहुत भाग्यशाली है, कि हमें मनुष्य जन्म मिला है। इस जन्म में मोक्ष और नर्क दोनों के मार्ग खुले है। नवकार महामंत्र की आराधना कर मानव जीवन को सार्थक किया जा सकता है। उन्होंने कहा सरकारी नौकरी में भले ही सेवानिवृत्ति की आयु नियत रहती हो, लेकिन उपर वाले के शासन में तपाराधना की कोई आयु बंधन नहीं है। बुजुर्ग और बच्चे सभी आराधना में शामिल होकर अपने जीवन का कल्याण कर सकते है।
प्रारंभ में चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप परिवार के सिद्धार्थ काश्यप एवं श्रवण काश्यप ने परमात्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर तपस्वी मंजू आंचलिया एवं कविता कांठेड़ का बहुमान किया गया। दादा गुरूदेव की आरती का लाभ चांदबाई चांदमल तांतेड़ ने लिया। दोपहर में जयन्तसेन धाम स्थित गुरूमंदिर में सुविधिनाथ जैन महिला मण्डल के तत्वावधान में चातुर्मास आयोजक परिवार द्वारा श्री राजेन्द्रसूरि अष्टप्रकारी पुजा का आयोजन हुआ, इसमें शामिल होकर कई श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया।