शिप्रा में नर्मदा, यमुना महारानी का प्राकट्य उत्सव
सिंहस्थ बना रहा त्रिवेणी योग, सोमयज्ञ
उज्जैन 05 अप्रैल(इ खबरटुडे)।शहर में सिंहस्थ पर्व का आगाज शनै:-शनै: होने ही वाला है, लिहाजा विधि-विधान भी होने लगेंगे, शिप्रा में नर्मदा आने के बाद यमुना नदी को भी आव्हान किये जाने के लिए प्राकट्य उत्सव किया जाएगा, वहीं सोमयज्ञ होने की तैयारियां की जा रही है।
कहते हैं, धर्म से धरती का अस्तित्व बना रहेगा चाहे कितनी भी विकृति फैला लें वे लोग जो संस्कृति मिटाना चाहते हैं, लेकिन इस धरती पर जब तक धर्मध्वजा लहराती रहेगी, मर्यादा का हनन नहीं होगा, सनातन धर्म संबंधों, रिश्तों, संस्कारों का महानायक है। इसे मिटाया नहीं जा सकता, भगवत प्रसन्नार्थ की त्रिवेणी हरि गुरु वैष्णव का सान्निध्य महामंत्र इसके प्रमाण गिनाए गए, साथ ही सिंहस्थ महापर्व शिप्रा में नर्मदा के साथ यमुना के होने का साक्षी बनेगा, मंगलनाथ झोन में महारानी यमुना के प्राकट्य उत्सव अनुष्ठान कर आह्वान किया जाएगा, त्रिवेणी संगम का महायोग होगा, सोमयज्ञ होंगे, इसके लिए मंथन और तैयारियां होने भी लगी है।
वैष्णव अखाड़ों में अनुष्ठान
बताते हैं वल्लभाचार्य नगर वैष्णव अखाड़ों में अनुष्ठान किए जाएंगे, सिंहस्थ महापर्व में मइय्या यमुना महारानी को भी पधारने हेतु आव्हान, अनुष्ठान यज्ञ किए जाएंगे। माँ नर्मदा, माँ यमुना, माँ शिप्रा के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से भक्तजन सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य के साथ प्रसन्नचित्त होते हैं। महारानी यमुना, पटरानी यमुना महामंत्र बनाए गए हैं। कहते हैं, पटरानी, यमुना नदी किनारे भगवान कृष्ण स्नान, आखेट किया करते थे।
यमुना, यम की बहन बताई गई है, ऐसे में पावन सिंहस्थ महापर्व में यमुना महारानी नदी को शिप्रा में आव्हानीत किए जाने का विधान किया जाने हेतु प्राकट्य उत्सव मनाए जाएंगे, अवन्तिका श्रीकृष्ण भगवान, सुदामा, बलराम की शिक्षा स्थली भी है। यह मंगलनाथ झोन में ही स्थित है।
त्रिवेणी का महायोग
ऐसे में बताया गया शिप्रा नदी में त्रिवेणी का महायोग बनेगा, सभी पूज्यनीय नदियां अवन्तिका में उपस्थित होगी एवं अपने भक्तों की सभी पीड़ाएं हर लेगी। बताते हैं सोलह श्रृंगार, कांस्य कुंभ में रजत, धान, घी, माणिक, रत्न, हीरे का कुंभ गुप्त दान करने की वजह भी यही धर्म ग्रंथों में मिलती है। इसी से स्पष्ट करते हुए विधान की प्रमाणिकता भी गिनाई गई है।
छप्पन भोग कुण्डियारे
इधर बताया गया कि गोवर्धन नाथ को छप्पन भोग, कुण्डियारे भी लगाए जाएंगे, भगवान प्रसन्नार्थ कि त्रिवेणी, हरि, गुरु, वैष्णव का सान्निध्य महामंत्र अनुष्ठान के प्रमाण बताए गए, वहीं अन्य मनोरथों का सिलसिला सिंहस्थ के दौरान होने को लेकर मंथन किए जा रहे हैं।