December 23, 2024

रतलाम / पहलवान बाबा दरगाह पर पूजा तवाफ और उर्स दावे के मामले में लगाए गए दावों को न्यायालय ने नहीं माना सुनवाई के योग्य ; ख़ारिज किया

dargaah

छह हिंदू और छह मुस्लिम ने लगाया था वाद, कहा जबरन तोड़ा गया स्थान और पूजा करने से रोका गया

रतलाम,20 दिसंबर(इ खबर टुडे)। बहुचर्चित दरगाह पहलवान शाह बाबा जावरा रोड के मामले में छह हिंदू पक्ष एवं छह मुस्लिम पक्ष द्वारा किए गए पूजा तवाफ और उर्स करने के दावे को न्यायालय ने सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए निरस्त कर दिया।

अपर लोक अभियोजक एवं शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने बताया कि दिनांक 9 दिसंबर 2024 को समरोज पिता फिरोज खान, संजय जैन पिता मनोहरलाल जैन, हेमंत सिंह चंद्रावत पिता गोवर्धन सिंह चंद्रावत एडवोकेट, आनंद दांगी पिता देवीलाल डांगी, भंवरलाल कैथवास पिता रामदुलारे, प्रीति जैन पति संजय जैन, अनीता पिता वरसिंह, सलाम कुरेशी पिता रमजानी कुरेशी, अब्बास शाह पिता गफ्फार शाह, एहसान अहमद पिता याकूब खान जफर हुसैन पिता हामिद शाह एवं अब्दुल हनीफ खान पिता अब्दुल गनी ने दरगाह कमेटी के पदाधिकारी एवं श्रद्धालु की हैसियत से आवेदन प्रस्तुत कियाl जिसमें उन्होंने बताया कि दरगाह पहलवान शाह बाबा की 150 फीट चौड़ी एवं 40 फीट लंबी जगह पर पूजा धार्मिक गतिविधियां संचालित करने के लिए की अनुमति प्रदान की जावेl मामले की सुनवाई तृतीय व्यवहार न्यायाधीश अनुपम तिवारी की न्यायालय में हुई l

पूजा करने से किसने रोका स्पष्ट नहीं
तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड अनुपम तिवारी ने अपने निर्णय में कहा कि दावे में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जमीन वक्फ की है या नहीं और उन्हें वहां प्रार्थना, पूजा करने से किसने रोका। दावे में कहा गया कि सार्वजनिक हित के लिए चार लेन सडक़ नहीं बनाई गई वरन जबरन ही यह काम किया गया है। शासन ने वादी द्वारा प्रस्तुत आवेदन सुनवाई योग्य नहीं है इसको लेकर एक आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया था l

शासकीय अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने बताया कि आवेदन संक्षेप में यह था कि शासन के खिलाफ दरगाह पहलवान शाह बाबा जावरा रोड में पूजा के अधिकार से संबंधित एक वाद दायर किया गया था। शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि डोसीगांव-रतलाम से गुजरने वाली चार-लेन सडक़ का निर्माण हो रहा है। वादी क्रमांक 1 के रिश्तेदार ने पहले ही एक अन्य वाद सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी के समक्ष दायर किया हुआ है।

दरगाह को किया सुरक्षित
न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा कि राज्य सरकार ने दरगाह द्वारा किए गए अतिक्रमण के खिलाफ नोटिस जारी किया है। प्रक्रिया शुरू की गई और अतिक्रमण हटा दिया गया। राज्य ने दरगाह की कब्रगाह को स्टील कैबिनेट लगाकर संरक्षित किया है। वादी पक्ष ने खुद को समाज का सदस्य बताते हुए वाद दायर किया है, लेकिन किसी भी समाज का नाम वाद में पक्षकार के रूप में नहीं जोड़ा गया है। यह उल्लेख नहीं है कि दरगाह वक्फ से संबंधित है या नहीं।

वादीगण ने अपने लिखित उत्तर में आवेदन का विरोध करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया है कि राज्य सरकार मनमाने तरीके से सडक़ का निर्माण और चौड़ीकरण कर रही है। निर्माण की पूरी योजना का कोई नक्शा प्रस्तुत नहीं किया है। चार-लेन सडक़ किसी अवसंरचनात्मक परियोजना से जुड़ी हुई नहीं है। वादीगण पक्षकार नहीं हैं, इसलिए वे ऐसी कार्रवाई से अवगत नहीं हैं। सडक़ चौड़ीकरण के नाम पर धार्मिक पूजा स्थल को गलत तरीके से हटा दिया गया है और भक्तों को किसी भी धार्मिक गतिविधि से रोका जा रहा है। सार्वजनिक भावना का उचित सम्मान किया जाना चाहिए। शासन गलत तरीके से सामान्य श्रद्धालुओं को दरगाह पहलवान शाह में पूजा करने से रोक रहे हैं। राज्य शासन ने अपने समर्थन में तर्क और साक्ष्य प्रस्तत किए।

राज्य शासन के शासकीय अधिवक्ता श्री त्रिपाठी ने ने जोरदार तर्क किया कि वात प्रस्तुत करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि वाद में यह भी नहीं बताया गया है कि किस दिन और कब प्रतिवादी शासन ने वादीगण में से किसी को दरगाह पहलवान शाह में पूजा करने से रोका या विरोध किया। वाद क्षेत्राधिकार के अभाव में गलत है और यह इस कारण से भी गलत है क्योंकि इसमें कारण के बारे में आवश्यक दस्तावेज नहीं लगाए गए हैं। वादी के पक्ष में बात करना प्रस्तुत करने का कोई कारण नहीं होने से खारिज कर दिया जाता है। शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने की l

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds