November 2, 2024

Raag Ratlami Leader : “हाथ क्यो कांप जाते है”? एक डायलाग ने बताया मौजूद है लीडर/ फूल छाप वालो को खुश किया पंजा पार्टी ने

रतलाम। पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में एक डायलाग बहुत चर्चाओं में है। “बंटोगे तो कटोगे”। यूपी वाले बाबा के इस डायलाग ने फूल छाप पार्टी को हरियाणा में जबर्दस्त बढत दिलवा दी। देश के तमाम टीवी चैनलों पर आजकल इसी डायलाग को लेकर चर्चाएं हो रही है। अब इसी के बराबरी का एक डायलाग रतलाम में गूंज रहा है। ये डायलाग है “हाथ क्यों कांप जाते है?”। इस इकलौते डायलाग से रतलामियों में ये उम्मीद जग गई है कि शहर में लीडर मौजूद है।

यूपी वाले बाबा के डायलाग “बंटोगे तो कटोगे” ने देश भर में खूब सुर्खियां बटोरी। सिर्फ सुर्खियां नहीं बटोरी बल्कि फूल छाप पार्टी वालों के हिले हुए आत्मविश्वास को फिर से आसमान की बुलन्दियों पर पंहुचा दिया। तमाम एक्जिट पोल और अखबारी खबरें बता रही थी कि हरियाणा में फूल छाप का डब्बा गोल होने वाला है लेकिन जब मशीनें खुली तो पूरा सीन बदल गया। मोहब्बत की दुकान में जाति जनगणना वाला नफरत का सामान बेचने वाले पप्पू की दुकान पूरी तरह बन्द हो गई और फूल छाप का परचम आसमान पर लहराने लगा।

नतीजों के बाद जब जोड बाकी लगाया गया तो पता चला कि सारा कमाल तो “बंटोगे तो कटोगे” का था। फूल छाप वालों को ठीक से समझ में आ गया कि जालीदार गोल टापी वालों को चाहे जितना दे दो वोट नहीं मिलने वाला। वोट तो वो ही देंगे जिन्हे जाति जनगणना के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है। जाति के नाम पर बटने ने को तैयार लोगों को जब बाबा ने “बंटोगे तो कटोगे” वाला झटका दिया तो सब एक हो गए और नतीजा फूल छाप के पक्ष में आ गया।

इस सारी कहानी को बताने का मकसद ये था कि अब इसी लेवल का एक नया डायलाग शहर में गूंज रहा है। शहर सरकार के मुखिया ने दो दिन पहले एक प्रोग्राम में गजब का डायलाग ठोक दिया। शहर सरकार के मुखिया ने एक सरकारी अस्पताल के शुभारंभ के मौके पर कहा कि फूल छाप वाली सरकार की तमाम योजनाओं का फायदा हर कोई उठा रहा है। जालीदार गोलटोपी वाले इन योजनाओं का फायदा लेने में सबसे आगे है। पक्का मकान बनवाना हो,या मुफ्त का राशन लेना हो या फिर पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में करवाना हो। सरकार के सारे फायदे भर भर कर ले रहे है। लेकिन जब वोट देने की बारी आती है तो “हाथ क्यों कांप जाते है?”

शहर सरकार के मुखिया का ये डायलाग जमकर वायरल हो रहा है। अब सवाल ये है कि ये डायलाग इतना वायरल क्यो हो गया? असल में कहानी ये है कि रतलामी बन्दों को लम्बे समय से एक लीडर की तलाश थी। लेकिन ये तलाश खत्म ही नहीं हो रही थी। विघ्न विनाशक मंगलमूर्ति के जुलूस पर पथराव हो गया। वर्दी वालों की मारपीट से एक लडके की मौत हो गई। इतना सबकुछ हो गया लेकिन बोलने वाला कोई नजर नहीं आ रहा था। अब शहर सरकार के मुखिया ने जैसे ही “हाथ क्यों कांप जाते है” वाला डायलाग बोला,शहर के बन्दों को लगा कि ये बन्दा दम भर सकता है। रतलामियों को लम्बे वक्त से इतना साफ बोलने वाले की तलाश थी।

अब देखने वाली बात सिर्फ येे है कि शहर सरकार के मुखिया अपने इस स्टैण्ड पर कितना आगे तक जा पाते है। अगर उनका यही स्टैण्ड बरकरार रहा तो ये तय है कि शहर के लोगों की लीडर की तलाश पूरी हो जाएगी।

पंजा पार्टी लम्बे वक्त से शहर से नदारद है। लेकिन बीते हफ्ते की शुरुआत में पंजा पार्टी थोडी सी नजर आ गई। पंजा पार्टी ने पूरे सूबे में महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर ज्ञापन देने का कार्यक्रम घोषित किया था और ये भी पहली बार था कि कोई विपक्षी पार्टी सत्ता पक्ष के नेताओं को ज्ञापन देने जा रही थी। सियासत के इतिहास में ये शायद पहला मौका था जब विपक्षी पार्टी के लोग सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारियों को ज्ञापन दे रहे थे। तो कुल मिलाकर पंजा पार्टी थोडी सी नजर आई।

दो दर्जन से थोडे से ज्यादा पंजा पार्टी के नेता हाथों में तख्तियां लेकर मंत्र जी के निवास पर पंहे्ुचे। फोटो विडीयो लिए थोडी देर तक जमकर नारेबाजी भी की गई। पंजा पार्टी के मुखिया के पीछे नारेबाजी करते हुए पंहुचे नेताओं ने फूल छाप वाले दो तीन पदाधिकारियों को महिलाओं पर हो रहे कथित अत्याचारों को रोकने के लिए ज्ञापन सौंपा।

फूल छाप वाले जो पदाधिकारी ज्ञापन ले रहे थे,वो भी फूले नहीं समा रहे थे। इससे पहले तक उन्होने यही देखा था कि या तो अफसर या फिर मंत्री,ज्ञापन लेने का काम इन्ही के हिस्से में आता है। किसी पार्टी के पदाधिकारियों को कोई ज्ञापन देने नहीं जाता। लेकिन पहली बार एक जिला महामंत्री और जिला कोषाध्यक्ष को विपक्षी पार्टी के नेताओं से ज्ञापन लेना था। वो भी चकाचक तैयार होकर पंहुचे थे,ताकि ज्ञापन लेने का काम पूरी ठसक से कर सके। बढिया नारेबाजी हुई,फिर ज्ञापन लेने देने का काम हुआ। इसके बाद फोटो विडीयो और खबरें बांटी गई। पंजा पार्टी वाले इसलिए खुश थे कि उन्हे अपनी झलक दिखाने का मौका मिला था। फूल छाप वाले इसलिए खुश थे कि उनके फोटो पंजा पार्टी वाले ही बांट रहे थे ।

सारी कहानी के बाद सवाल ये उठता रहा कि ज्ञापन महिलाओं की सुरक्षा के लिए था और जो ज्ञापन देने पंहुचे थे उनमें महिलाओं का तादाद ना के बराबर थी। सवाल ये उठा कि जब ज्ञापन महिलाओं की सुरक्षा को लेकर था तो वहां महिलाएं क्यों नहीं थी?

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