कल्याण सिंह के निधन पर UP में 3 दिन का राजकीय शोक, सोमवार को अंत्येष्टि के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित
लखनऊ,22 अगस्त (इ खबरटुडे)। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अंत्येष्टि 23 अगस्त की शाम उनके पैतृक गांव अतरौली के नरौरा में गंगा घाट पर होगी। इस दिन पूरे यूपी में सार्वजनिक अवकाश भी रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन की आधिकारिक जानकारी देते हुए प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा भी की।
सीएम योगी ने बताया कि रविवार की शाम कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर अलीगढ़ ले जाया जाएगा। लोगों के दर्शन के लिए वहां स्टेडियम में व्यवस्था हो रही है। अगले दिन सोमवार 23 अगस्त को पार्थिव शरीर उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि अतरौली लाया जाएगा। यहां लोगों के दर्शन के बाद नरौरा में गंगा किनारे अंतिम संस्कार किया जाएगा।
हमेशा से ही सुर्खियों में रहे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया और अदालत ने सितंबर 2020 में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया।
…जब दो बार छोड़ी भारतीय जनता पार्टी
कल्याण सिंह ने दो बार भारतीय जनता पार्टी से नाता भी तोड़ा। पहली बार 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ी। वर्ष 2004 में उनकी भाजपा में वापसी हुई। इसके बाद 2009 में सिंह ने भाजपा के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया।
फिर धुर विरोधी मुलायम से भी मिलाया हाथ
इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाकर अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं किया। अलीगढ़ जिले के मढ़ौली ग्राम में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर पांच जनवरी 1932 को जन्मे कल्याण सिंह ने स्नातक तथा साहित्य रत्न (एलटी) की शिक्षा प्राप्त की और शुरुआती दौर में अपने गृह क्षेत्र में अध्यापक बने।
ऐसे हुई राजनीति की शुरूआत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर कल्याण सिंह ने समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा और इसके बाद जनसंघ की राजनीति में सक्रिय हो गये। वह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने।
इमरजेंसी में 20 महीने जेल में रहे…और फिर आया राम मंदिर आंदोलन
आपातकाल में 20 माह जेल में रहे कल्याण सिंह 1977 में मुख्यमंत्री राम नरेश यादव के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 1990 के दशक में वह राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उभरे और 1991 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया। पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन छह दिसंबर 1992 को अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
सीएम रहते हुए अफसरो को दी सही काम करने की छूट
कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने ”जो याद रहा” शीर्षक से एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने कल्याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी।
बीएसपी के समर्थन से दूसरी बार ली यूपी के सीएम पद की शपथ
बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से 21 सितंबर 1997 को कल्याण सिंह ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बीच 21 अक्टूबर 1997 को बसपा ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों और मार्कंडेय चंद के नेतृत्व में बसपा विधायकों के दल बदल से बने लोकतांत्रिक कांग्रेस और जनतांत्रिक बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से कल्याण सिंह की सरकार बनी रही।
निर्दलीय चुनने के बाद फिर बीजेपी की वापसी
इस बीच, एक दिन के लिए लोकतांत्रिक कांग्रेस के जगदंबिका पाल ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन अदालत ने उन्हें अवैध घोषित कर दिया और कल्याण सिंह 12 नवंबर 1999 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। 2004 में कल्याण सिंह भाजपा के टिकट पर बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार लोकसभा सदस्य बने। 2009 में उन्होंने एक बार पुन: भाजपा छोड़ दी और एटा लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय सांसद चुने गये लेकिन बाद में वह भाजपा में लौट आये।