November 14, 2024

1984 सिख दंगा : 22 साल बाद HC ने 88 दोषियों की सजा रखी बरकरार, सिर्फ 47 हैं जिंदा

नई दिल्ली,29 नवंबर (इ खबरटुडे)। 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए  दंगों के सिलसिले में दायर 88 दोषियों की अपील पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 88 दोषियों की सजा को बरकरार रखा है, लेकिन इनमें से सिर्फ 47 लोग ही जिंदा हैं, जबकि बाकी दोषियों की अदालती कार्रवाई के दौरान ही मौत हो गई।

बता दें कि दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगा भड़काने, घरों को जलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में साल 1996 में 107 लोगों को 5 साल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद 88 लोगों ने सज़ा के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी पाए गए करीब 80 से ज्यादा लोगों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सितंबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब बुधवार को अपना फैसला सुनाया।

इन सभी के खिलाफ 2 नवंबर, 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप भी था। सिख दंगों के दौरान हुई हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और करीब सौ घरों को जला दिया गया था। इस मामले में 95 शव बरामद होने के बाद भी किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे।

गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगों में 95 शव बरामद हुए थे, लेकिन किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे। बताया जाता है कि त्रिलोकपुरी में हुए दंगों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, दंगों में 95 लोगों की मौत हो गई थी और 100 घर जला दिए गए थे। ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़के थे। इन सिख विरोधी दंगों में करीब तीन हजार लोग मारे गए थे।

बता दें कि इसी महीने की 20 तारीख को भी 1984 सिख दंगा मामले में एक फैसला आ चुका है, जिसमें दंगों के दौरान दो लोगों की हत्या के दोषी यशपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई, जबकि एक अन्य को उम्रकैद का आदेश दिया। स्पेशल टास्क फोर्स (एसआइटी) दंगों से जुड़े करीब 60 मामलों की जांच कर रही है।

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