स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन कल,दुनियाभर की मीडिया दे रही है प्रतिक्रिया
नई दिल्ली,30अक्टूबर (इ खबरटुडे)। दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे। सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से देखा जा सकता है। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुनी ऊंची है।
इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से पर्यटक सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी। यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है।
इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया। मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 मेंलार्सन एंड टूब्रो कंपनी को ठेका दिया गया था। माना जा रहा है कि इसके निर्माण में करीब 3000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
दुनियाभर की मीडिया ने इस मूर्ति को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है
अमेरिकी मीडिया
वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के जरिये भारत दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होने की गर्व के साथ दावेदारी कर सकेगा। करीब 600 फुट की यह प्रतिमा भारत की वैश्विक आकांक्षाओं और इसके नेता की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बारे में काफी कुछ कहती है। रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- 408 मिलियन डॉलर की सुनहरी यह प्रतिमा मौजूदा राजनीति हालात का भी चित्रण करती है।
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन लक्ष्यों को साधने का तरीका माना जा रहा है, जिसके जरिये वह- हिंदू राजनीतिक आधार, अपने गृह नगर में ऐतिहासिक स्थल को बनाने और देश की बढ़ती संपन्नता व बढ़ती वैश्विक शक्ति के दर्जे का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे आगामी 2019 के चुनाव के लिए भाजपा की अघोषित चुनाव अभियान की शुरुआत करार देते हुए लिखा गया है कि मोदी इस प्रोजेक्ट के जरिये बड़े पैमाने पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। इस रिपोर्ट को कनाडा के नेशनल पोस्ट और पाकिस्तान के डॉन अखबार सहित कई मीडिया संस्थानों ने लिया है।
पाकिस्तानी मीडिया
पाकिस्तान के एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है- यह मूर्ति एक उदाहरण है कि कैसे मोदी की भारतीय जनता पार्टी एक लोकप्रिय राष्ट्रीय नेता को हथिया लेने के प्रयास कर रही है। दरअसल, सरदार पटेल कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे, जो अब भारत की संसद में विपक्ष में बैठी है। इस बीच, जियो न्यूज ने इसे ‘राष्ट्रवादी जोश की अभिव्यक्ति’ करार दिया है। जियो न्यूज ने कहा कि इस मेगा प्रोजेक्ट का राजनीतिक मकसद भी है। अगले साल की शुरुआत में भारत में आम चुनाव के लिए अभियान शुरू हो रहा है।
चीनी मीडिया
दक्षिण चीन पोस्ट में AFP की रिपोर्ट ली गई है। इसमें मुंबई में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति का खिताब मुंबई के समुद्र में एक हिंदू योद्धा राजा के स्मारक के बनने के बाद छिन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सरदार सरोवर बांध को नजरअंदाज करता है, जो पीएम मोदी की प्रिय परियोजना थी।
ब्रिटिश मीडिया
बीबीसी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे स्थानीय किसान इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे है। सरकार ने इस मूर्ति को बनाने के लिए कितना पैसा खर्च किया है। एक स्थानीय किसान का हवाला देते हुए कहा गया है कि एक विशाल मूर्ति पर इतना पैसा खर्च करने के बजाय सरकार को इसे जिले के किसानों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए था। खबर में साल 2016 की एक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि नर्मदा जिले में कई लोग भूखे पेट रहते हैं, प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम हो रही है और वहां बड़े पैमाने पर कुपोषण है।