May 4, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को भेजा जेल, अदालत की अवमानना का माना दोषी

नई दिल्ली,09 मई (इ खबर टुडे )। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्नन को सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को 6 महीने की सजा भी सुनाई है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को ये निर्देश दिया है कि वो टीम बनाकर जस्टिस कर्नन को हिरासत में लें और जेल भेजें.

ऐसा पहली बार हुआ है…
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया पर भी पाबंदी लगा दी है कि वो जस्टिस करनन के किसी भी बयान को ना छापेगा और ना ही टीवी पर दिखा सकेगा. भारत के न्यायिक इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब हाई कोर्ट के किसी जज को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल भेजने का आदेश दिया हो.

जब कर्नन ने नहीं कराई जांच
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच का आदेश दिया था, लेकिन जस्टिस कर्नन ने जांच से मना कर दिया. उल्टा सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कुछ अजीब आदेश जारी कर दिए. जस्टिस कर्नन सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ एक के बाद अपनी सीमा लांघ कर आदेश दिए तो आखिरकार अब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है.

कर्नन जजों पर लगाए ये आरोप
देश के न्यायिक इतिहास में ये पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के किसी जज के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की है. जस्टिस कर्नन ने प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में बीस सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई किए जाने की मांग की थी.

कोर्ट ने दिया था एक मौका
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के इस तरह के खत और अलग-अलग जगह पर दिए गए उनके बयानों का स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. जमानती वारंट जारी होने के बाद जस्टिस कर्नन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश भी हुए थे. कोर्ट ने उन्हें एक मौका देते हुए चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा था.

चीफ जस्टिस को दिया था पेश होने का आदेश
इसके बाद माफी मांगने की बजाए जस्टिस कर्नन ने 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और 7 जजों को 28 अप्रैल के दिन अपनी अदालत में पेश होने का आदेश जारी कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने 28 अप्रैल को दिल्ली स्थित एयर कंट्रोल अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि केस खत्म होने तक चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के सात दूसरे जजों को देश के बाहर यात्रा करने की इजाजत न दी जाए.

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