December 25, 2024
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वैदेही कोठारी

आजकल पता नही चलता है। असली क्या,नकली क्या है। पहचान करने में बहुत मुश्किल होती जा रही है। अभी तक तो खाने-पीने की चीजों में मिलावट और रोजमर्रा की चीजों में असली-नकली हुआ करता है। एक पुरानी कहावत है। चेहरा गोरा मन काला अर्थात मन पहचानना मुश्किल होता है। इसी तरह एक गीत के बोल भी है दिल सच्चा ओर चेहरा झुठा…। आजकल ऐसा ही हो रहा है। सोशल मीडिया फेसबुक, वाट्सअप पर अक्सर हम सुंदर-सुंदर चेहरे देखते है। फेसबुक पर उन चेहरो की खूब तारीफ भी होती है। सुंदर चेहरा देख ऐसा लगता है मानो खुदा ने सारी खूबसुरती इस चेहरे में ही देदी हो। मन मोहक व खूबसुरत चेहरा हम इन सोशल मीडिया पर देखते है। लेकिन यही चेहरा अगर सामने आ जाए तो हम कई बार सोच में पड़ जाते है। क्या यह वही सुंदर चेहरा है जो फेसबुक पर था? जिसकी तारीफो के पुल बंधे थे। बहुत सोचने के बाद पता चलता है कि यह तो वही चेहरा है। जिसे हमने फेसबुक पर देखा था।

 

फिर दिमाग में कई सवाल चलते है। फोटो में तो कितनी सुंदर गोरी बड़ी-बड़ी आंख वाली दिख रही थी किंतु असली में तो बिल्कुल ही अलग नजर आ रही है। इसी तरह लड़को के फोटो भी फेसबुक पर कुछ ओर नजर आते है असली में कुछ ओर,पहचान पाना दुविधापूर्ण होता है। अक्सर आजकल यही हो रहा है,सभी के साथ। आज सोशल मीडिया के जितने भी दोस्त बने है। अधिकतर फेसबुक फ्रेंडस को पहचान पाना मुश्किल होता है। क्योंकि वह असली चेहरे से कई बार बिल्कुल विपरित दिखाई देते है। कई लोग तो फ्रेंड रिकवेस्ट भी सुंदर प्रोफाइल चेहरा देख कर ही भेजते है।
आज हमारे बीच ऐसे गेजेटस,एप्स आ गए है। जिनके सहयोग से कोई भी सुंदर और सुडोल बन सकता है। आपके नाक,कान,होंट,रंग,बाल,आइब्रो,ऑखों का रंग व आकार सभी कुछ बदल सकते है। इसी तरह आप अपने शरीर को भी किसी भी आकार का कर सकते है। अगर आप मोटे है तो पतले,कमर पतली-मोटी कर सकते है। कहने का तात्पर्य है कि आप अपने नेन नक्श,शरीर का डोल-डील सभी कुछ अपने अपने अनुसार बदल सकते है। वर्तमान में भगवान ने जेसा आपको बनाया है। आप स्वयं को बदल सकते है। फोटोस में इन एप्स व गेजेड के द्वारा। अब आपको पार्लर भी जाने की जरुरत नही। घर पर ही आप अपने को फुल मेकअप में फोटो खींच सकते है। अपने आस-पास का बेकग्राउंड भी चेंज कर सकते है। ऐसे कई ब्युटी-प्लस,मेजिक केमरा, सेल्फी केमरा,ब्युटी मेकअप प्लस,मेकअप एडिट केमरा,आदि बाजार में आ गए है।
आजकल हम इन सुंदर मुखोटो केचक्कर में अपनी असली सुरत भूलते जा रहे है। हमारी असली सूरत क्या है? क्यों हम अपने प्राकृतिक रंग-रूप नेन-नक्श को खत्म करने पर लगे हुए है। बाहरी सुंदरता ही सब कुछ होती है क्या? आंतरिक सुंदरता कोई मायने नही रखती। आज बाहरी सुंदरता तो बडा रहे है, लेकिन आंतरिक सुंदरता कम करते जा रहे है। आंतरिक सुंदरता अच्छे विचार,मिलनसार होना,मृदुभाषी,दूसरे के दुख में शामिल होना व दूसरे की हमेशा मदद करना, संवेदनशील होना,बुराई के खिलाफ लडऩा।

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