सीमित संसाधनों में बेमिसाल सफलता इसरो की साधना का फल – एडीएम
इसरों की दो दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारम्भ हुआ
रतलाम,12 अप्रैल(इ खबरटुडे)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा सीमित संसाधनों के बावजुद अनुसंधान के क्षेत्र में जो बेमिसाल सफलताऐं अर्जित की गई हैं वे भारतीय वैज्ञानिकों की निस्वार्थ सेवा और साधना का प्रतिफल हैं। उक्त उदगार आज इसरों के द्वारा युवा बच्चों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान देने के लिये अग्रसर करने के उद्देश्य से आयोजित प्रदर्शनी के शुभारम्भ अवसर पर एडीएम डाॅ. कैलाश बुन्देला ने व्यक्त किये।
गुरू तेग बहादुर एकेडमी बरबड़ रोड़ रतलाम दो दिवसीय प्रदर्शनी 12 एवं 13 अप्रैल को आयोजित की गई है। इसमें इसरो अहमदाबाद से वैज्ञानिक डाॅ. सतीश राव के नेतृत्व में आयी हुई टीम के द्वारा इसरो के द्वारा सेटेलाईट, राकेट सांईस, जीआईएस के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो के बारे में विस्तार से न केवल बताया जा रहा हैं अपितु जिज्ञासाओं को भी शांत किया जा रहा है।
डाॅ. बुन्देला ने अपने सम्बोधन में कहा कि कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर के द्वारा गत वर्ष से किये जा रहे निरंतर प्रयासों के पश्चात रतलाम वासियों को अनुठी सौगात मिली हैं कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन हैदराबाद की टीम के द्वारा मोबाईल प्रदर्शनी का आयोजन मध्यप्रदेश के रतलाम शहर में किया गया है। उन्होने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा कम समय, कम लागत और न्यूनतम संसाधनों के बावजुद अंतरिक्ष के क्षेत्र में विगत एक दशक में किये कार्य वैशविक स्तर पर उल्लेखनीय हैं। जब हमने चंद्रयान भेजा तो संसार अचम्भित था और अब हमने 104 सेटेलाईट एक साथ अंतरिक्षक में न केवल भेजे बल्कि सफलतापूर्वक स्थापित भी कर दिये तो संसार ने दातों तले उंगली दबा ली। रतलाम शहर के प्रत्येक नागरिक को अपने बच्चों को लेकर प्रदर्शनी स्थल पर आना चाहिए और भारतीय गर्व की प्रतिक इन उपलब्धियों से रूबरू होना चाहिए। उन्होने इसरो के वैज्ञानिकों को रतलाम आने के लिये हद्य से साधुवाद व्यक्त किया।
इसरो अहमदाबाद के वैज्ञानिक और टीम लीडर डाॅ. सतीश राव ने इसरो और प्रदर्शनी के बारे में बताया कि वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में जाने। युवा अंतरिक्ष विज्ञान को केरियर के रूप में अपनाये। वैज्ञानिक डाॅ. आर.एन.शाह ने इसरो के द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो की जानकारी दी। इसरो में मध्यप्रदेश के रीवा के वैज्ञानिक निशांत शुक्ला ने बताया कि इसरो में सभी विषयों में अध्ययन करने वाले लोगों के उज्जवल भविष्य की सम्भावनाओं के अपार अवसर मौजूद है। छात्र इसमें अपना बेहतर भविष्य बना सकते है। बस थोड़ी सी लगन ओर परिश्रम की आवश्यकता है। विद्यार्थियों को पोलिटेक्निक जावरा के प्राचार्य जी.बी. बावनकर और गुरूतेग बहादुर एकेडमी के गुरूनामसिंह डंग ने भी सम्बोधित किया और इसरो की टीम का आभार माना।