सफलता की कहानी-मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का लाभ उठाकर तरक्की की राह पर बढ़े मोहनलाल
रतलाम ,25 जनवरी(इ खबरटुडे)। विभिन्न बेकरी खाद्य आयटम बेचने वाले मोहनलाल आर्थिक विपन्नता के चलते मजबूरीवश उधारी में माल खरीदते थे, लेकिन अब मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना से मिली मदद से वे स्वयं बिस्किट, खारी इत्यादि बेकरी पदार्थ घर पर ही निर्मित कर बेचते हैं, इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर गई है।रतलाम की श्रीमालीवास के रहवासी मोहनलाल कम पढ़े-लिखे है, वे अपने जीवन-यापन के लिए विभिन्न मेलों, हाट बाजारों में घूमकर बेकरी आयटम बेचते हैं, लेकिन उनके पास पर्याप्त पूँजी नहीं होने से शहर की बड़ी बेकरियों से महंगी दरों पर बेकरी की विभिन्न उत्पाद खरीदना पड़ते थे, इस कारण उनको मिलने वाला मुनाफा अत्यंत कम होता था, उन्होंने कई बार घर पर ही इस प्रकार की सामग्री बनाकर विक्रय करने की सोची, लेकिन जरूरी मशीन एवं अन्य सामान खरीदने की राशि नहीं होती थी, इसी दौरान उन्हें राज्य शासन की मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना की जानकारी मिली। वे रतलाम नगर निगम कार्यालय पहुँचे संबंधित शाखा के अधिकारी ने सहयोगात्मक रवैये के साथ मोहनलाल को मार्गदर्शन देते हुए योजना का लाभ दिलवाने हेतु आवेदन करवाया।
मोहनलाल को मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत बेकरी व्यवसाय के लिए 15 हजार रुपये ऋण राशि स्वीकृत हुई, उनको 5 हजार रुपये अनुदान भी मिला, इस प्रकार कुल 20 हजार रुपये की राशि से मोहनलाल ने अपने घर पर ही बेकरी आयटम उत्पादन शुरू किया। योजना से मिली राशि से जरूरी मशीन एवं सामग्री क्रय की गई, अब अपने द्वारा उत्पादित बेकरी आयटम मोहनलाल जिले में लगने वाले मेलों तथा अन्य कार्यक्रम स्थलों पर जाकर क्रय कर बेचते हैं। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है, पहले की तुलना में अब वे कहीं ज्यादा आय प्रतिमाह अर्जित कर रहे हैं इससे उनके परिवार का जीवन-यापन अच्छे से हो रहा है, उनका परिवार खुश है, वे शासन को उसकी कल्याणकारी योजना के लिए धन्यवाद देते हैं।
पशुपालन विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर सम्पन्न हुए चंदरसिंह एवं घनश्याम
सफलता की कहानी
पशुपालन विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर रतलाम जिले के कई सारे ग्रामीण पशुपालक समृद्धि की ओर अग्रसर हुए हैं, जिले के ग्राम बाजड़ा के चंदरसिंह तथा बांगरोद के घनश्याम पाटीदार को भी पशुपालन विभाग की योजना का लाभ मिला है, वे आर्थिक रूप से सम्पन्न हो गये हैं।
बाजड़ा के दरियानंद सोलंकी पूत्र चंदरसिंह 10 वर्ष पहले दुग्ध व्यवसाय से जुड़े थे, पहले इनके पास तीन भैंसे थी, इसके अलावा आसपास के गाँवों से भी दूध एकत्र कर अपने वाहन से रतलाम ले जाकर दुग्ध विक्रेताओ, मिठाई निर्माताओं को बेचते थे, यही उनका जीवन-यापन का जरिया था। इसमें इनको कम लाभ प्राप्त होता था। वर्ष 2016-17 में पशुपालन विभाग की आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना की जानकारी प्राप्त होने पर इनके द्वारा विभाग के माध्यम से देना बैंक रतलाम शाखा द्वारा 10 भैंसों के लिये 8 लाख 40 हजार के प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर भैंसे क्रय की। इसके अंतर्गत इन्हें 1 लाख 50 हजार का अनुदान पशुपालन विभाग से प्राप्त हुआ। इनके द्वारा क्रय भैंसों से 1 क्विंटल दुग्ध प्रतिदिन उत्पादन कर 1 लाख 20 हजार रुपये का दुग्ध विक्रय कर 30 से 35 हजार प्रतिमाह की आय प्राप्त कर रहे हैं।
इसी प्रकार विकासखण्ड रतलाम के ग्राम बांगरोद के पशुपालक श्री घनश्याम पाटीदार वर्ष 2003 से पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं। वर्ष 2003 में 3 देसी नस्ल की गाय से इसकी शुरूआत की गई, परंतु 3 गाय से कुल 10 से 15 लीटर दुग्ध उत्पादन होता था। इससे उनके घर की आवश्यकता पूर्ति के बाद इतना दूध नहीं बचता था जिससे उनको आर्थिक लाभ मिल सके। उस समय इन्होंने पशु पालन विभाग की नस्ल सुधार योजना का लाभ लेना शुरू किया जिसमें इन्होंने अपनी गायों में कृत्रिम गर्भाधान करवाया। इससे होने वाली संतति उन्नत नस्ल की थी। समय के साथ उनके पास उन्नत नस्ल की गाय की अच्छी संख्या हो गई। वर्तमान में उनके पास 45 उन्नत नस्ल की गाय है जिससे प्रतिदिन 3 क्विंटल दुग्ध उत्पादन हो रहा है और उनकी प्रमुख आमदनी को स्त्रोत है।