संतश्री योगीन्द्र सागर जी का अस्थिकलश शीतलतीर्थ में स्थापित
गुरुभक्तो द्वारा पट्टाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी को विनयांजलि
रतलाम,२४ मार्च(इ खबरटुडे)। पट्टाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी के अस्थिकलश को आज समारोहपूर्वक शीतल तीर्थ की धरा पर लाया जाकर श्रध्दाभाव से स्थापित किया गया। इस मौके पर विनयांजलि सभा का आयोजन भी किया गया जिसमें बडी संख्या में गुरुभक्त शामिल हुए। अस्थिकलश लेकर आई यात्रा को ग्राम डेलनपुर व धामनोद के ग्रामीणजनों ने अश्रुपूरित श्रध्दांजलि दी। संत सदा अपनी शिक्षा,दिए गए संस्कारों,कहे गए वचनों और तपश्चर्या के लिए अमर रहते है,इस बात का अहसास यहां महसूस किया गया।
शीतलतीर्थ पर आयोजित विनयांजलि सभा के दौरान श्रमण परम्परा के गौरव रहे अंकलीकर परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी को विभिन्न शहरों से पधारे गुरभक्तों ने अपनी विनयांजलि पुष्प अर्पण कर दी। इस मौके पर संजीव सरन बनारस ने आचार्य श्री के जीवन का चरणबध्द वर्णन करते हुए बताया कि ब्राम्हण परिवार के लश्कर निवासी श्री फौदल प्रसाद शर्मा के पुत्र रमेश शर्मा ने दिगम्बर जैन दीक्षा आचार्य श्री सन्मति सागर जी से ग्रहण की थी। मुनि/उपाध्याय/बालाचार्य के बाद पिछले वर्ष १६ जनवरी को वे अंकलीकर परम्परा के चतुर्थ पट्टाधीश घोषित किए गए थे। विनयांजलि सभा का संचालन डा.अनुपम जैन इन्दौर ने किया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी,आरडीए अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी,निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल,भारत शर्मा (पप्पू टंच),खैरातीलाल,अशोक गंगवाल,राजेश घोटीकर,आशीष सोनी,दिनेश चौहान,सर्वोदयी सेवा संघ के सदस्य समेत शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के श्रध्दालुजन उपस्थित थे।