शोर गुल बन्द-जोड बाकी शुरु
निगम चुनाव काउण्ट डाउन- 02 दिन शेष
इ खबरटुडे / 26 नवंबर
रतलाम। चुनावी शोर गुल बन्द हो चुका है और दोनो पर्टियों व तमाम नेताओं में जीत हार की जोड बाकी शुरु हो गई है। जोड बाकी भी अलग अलग तरह की है। फूल छाप पार्टी के नेताओं की जोड बाकी में महापौर पद के लिए ज्यादा माथापाच्ची नहीं हो रही है। फूल छाप वालों की माथा पच्ची परिषद में बहुमत को लेकर हो रही है। राजस्थान के नतीजे,फूल छाप वालों का उत्साह बढा सकते थे,लेकिन वार्डो में मौजूद बागियों के कारण बहुमत खतरे में आता दिखाई दे रहा है। फूल वालों की बहुमत के लिए पच्चीस की गिनती पूरी करनी है लेकिन बागियों के चलते यह गिनती पूरी ही नहीं हो पा रही है। उधर पंजा छाप वालों की जो गिनती दो अंकों तक नहीं पंहुच पा रही थी,इन बागियों के कारण उनके अरमान भी जवान हो रहे है। पंजेवालों को लग रहा है कि कई सारे वार्ड जो पूरी तरह हाथ से निकले हुए थे,बागियों की वजह से उनके कब्जे में आने वाले है। तटस्थ आकलन करने वालों को भी लग रहा है कि निर्दलीयों की तादाद दो अंकों को पार कर सकती है। ऐसी स्थिति में निगम परिषद में खिचडी सरकार बनेगी और निगम की दूसरी लाल बत्ती हासिल करने की इच्छा रखने वालों का बजट कई गुना बढ जाएगा।
निर्दलीयों का दर्द
शहर में हर ओर यह चर्चा तो पहले ही से थी,कि निर्दलीय सारे गणित गडबडा देंगे। लेकिन सारे निर्दलीय अलग अलग,अपने अपने वार्ड में जूझ रहे थे। मंगलवार को फूल छाप पार्टी से निकाले गए कई सारे निर्दलीयों ने एक होकर नए गांव में सभा कर डाली। इस सभा में निर्दलीयों का दर्द जमकर बाहर आया। चर्चित महिला पार्षद के वार्ड में हुई इस सभा का लोगों ने जमकर आनन्द भी लिया। पहले की परिषद में सफाई का जिम्मा सम्हालने वाले सरदार जी ने फूल छाप पार्टी की चर्चित महिला पार्षद के बारे में कई बातें बोली। बातें सच्ची थी और सच कडवा होता है। सच चुभता भी है। चर्चित बहन जी इन बातों से जमकर भडकी और थाने भी जा पंहुची। इतना ही नहीं इस सभा में भैय्या जी और बिदा हो रहे प्रथम नागरिक के साथ साथ फूल छाप पार्टी के दूसरे नेताओं पर भी जमकर हमले किए गए। सभा के बाद सुनने वालों का कहना था कि अगर ऐसी सभाएं शहर के दूसरे हिस्सों में भी हो जाती तो चुनाव की रोचकता तो बढती ही,नतीजों में जमकर फेरबदल हो जाता।
पंजा छाप की सभा
फूल छाप पार्टी के उम्मीदवारों के लिए सूबे के मुखिया ने रोड शो कर दिया। पंजा छाप ने एक सभा पहले धानमण्डी में की थी। इस सभा का हश्र बेहद बुरा हुआ था। लेकिन दिक्कत ये थी,कि लोग सभा न होने को लेकर पंजे वालों को उलाहने दे रहे थे। इन्ही उलाहनों से तंग आकर पंजे वालों ने एक और सभा करने का विचार किया। सभा का विचार पक्का होने के बाद समस्या यह आई कि आखिर किस नेता को बुलाया जाए। दिग्गी राजा और पूर्व सांसद को बुलाना तो नुकसान को बढाने जैसा होता। नेता कहीं मिल नहीं रहे थे। आखिर राऊ के नेता जी को बुलवाया गया। युवा पंजा छाप के अध्यक्ष रहे राऊ के इस नेता को ज्यादा लोग जानते नहीं है। सभा तो हुई लेकिन इसका हश्र भी पहले वाली सभा जैसा ही रहा। हांलाकि यह सभा पंजे वालों ने पटरी पार शहर के दूर वाले कोने में जाकर की थी,इसलिए इसकी इतनी चर्चा नहीं हो पाई।
पैराशूट का दुखडा
फूल छाप पार्टी में पहले तो दो ही धडे दिखाई दे रहे थे। लेकिन अब तीसरा धडा और आ गया है। तीसरे धडे की कहानी,तब शुरु हुई थी,जब महापौर पद के प्रत्याशी का चयन हो रहा था। महापौर पद की दावेदारी करने वाली फूल छाप की कई महिला नेताओं को पूरा यकीन था कि टिकट उन्ही को मिलेगा। लेकिन आखरी वक्त पर टिकट डॉक्टर साहिबा ले गई। जैसे ही फूलछाप की महिला नेताओं का टिकट कटा उनके पति लोग बिफर गए और महापौर प्रत्याशी को पैराशूट प्रत्याशी साबित करने में तुल गए। बाद में पार्टी ने उन्हे मनाने के लिए चुनाव प्रचार की बडी जिम्मेदारियां भी उन्हे सौंपी। ये नेता लोग उपर से तो प्रचार का काम करते रहे लेकिन पैराशूट का किस्सा भी लगातार उछालते रहे। प्रचार के आखरी दिन एक पर्चा बंट गया। इस पर्चे में यह सन्देश दिया गया है कि फूल छाप पार्टी को बचाने के लिए पैराशूट फाडना जरुरी है। इस पर्चे के आने के बाद लोगों को लगा कि फूल छाप पार्टी में तीसरा धडा भी है। अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि ये पर्चा उसी ने निकाला होगा,जिनकी उम्मीदों पर आखरी वक्त पर पानी फिर गया था।