शहर में लगाए नियम विपरित स्पीडब्रेकर्स,दोपहिया चालकों को गंभीर बिमारियों का खतरा,स्पीडब्रेकर से कमर और रीढ की हड्डी में लग सकती है गंभीर चोट
रतलाम,29 जून (इ खबरटुडे)। यातायात सुधारने के लिए शहर में अनेक स्थानों पर लगाए जा रहे स्पीडब्रेकर,निर्धारित मापदण्डों के सर्वथा विपरित है। इन अमानक स्पीडब्रेक र्स के कारण जहां वाहनों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा है,वहीं वाहन चालकों को गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा है। खासतौर पर दो पहिया हालन चालकों को कमर या रीढ की हड्डी में गंभीर चोटें लग सकती है।
शहरों की भीतरी सड़कों पर वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं लेकिन इसके लिए शासन द्वारा मापदण्ड निर्धारित किए गए हैं। भारत के शहरी विकास मंत्रालय के अधीन इंस्टीट्यूट आफ अरबन ट्रांसपोर्ट द्वारा शहरी यातायात नियंत्रण के लिए बाकायदा गाइड लाइन बनाई गई है। शहरी यातायात नियंत्रण के लिए जारी कोड आफ प्रेक्टिस के मापदण्डों के मुताबिक शहर के भीतर बनाए जाने वाले स्पीडब्रेकर की चौडाई 0.9 मीटर(900 मीमी) से 1.5 मीटर(1500 मीमी) होना चाहिए,जबकि इसकी उंचाई मात्र 37 मिमी रखी जाना चाहिए। इस गाइड लाइन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इससे अधिक उंचा स्पीड ब्रेकर गति नियंत्रण पर तो कोई असर नहीं डालता,लेकिन वाहन चालकं के लिए कष्टकारी हो जाता है।
शहर में यातायात विभाग द्वारा लगाए जा रहे स्पीड ब्रेकर्स सरकार के मानदण्डों के सर्वथा विपरित है। इनकी चौडाई बहुत कम है,वहीं उंचाई बहुत अधिक है। इसकी नतीजा यह हो रहा है कि इन स्पीडब्रेकर पर से गुजरने वाले दोपहिया और चारपहिया वाहनों को बेहद कम गति में भी जोर का झटका लगता है और यह जोर का झटका वाहन चालकों की कमर या रीढ की हड्डी को गंभीर चोट पंहुचा सकता है।
इतना ही नहीं भारत में सडक यातायात के लिए गठित इण्डियन रोड कांग्रेस(आईआरसी) द्वारा सुस्पष्ट निर्देश है कि जहां कहीं भी स्पीड ब्रेकर लगाया जाता है,वहां उसकी जानकारी देने वाला मार्ग संकेतक लगाना भी अनिवार्य है। लेकिन शहर में किसी भी स्थान पर स्पीड ब्रेकर की जानकारी देने वाला कोई मार्ग संकेतक नजर नहीं आता। संकेतक के अभाव में वाहन चालक को यह पता नहीं होता कि आगे स्पीड ब्रेकर आने वाला है तो वह तेज गति से इस स्पीड ब्रेकर पर से गुजरता है। तेज गति से स्पीडब्रेकर पर से गुजरने पर जहां वाहन के दुर्घटना ग्रस्त होने की आशंका बढ जाती हैं,वहीं वाहन चालक को कमर या रीढ की हड्डी में गंभीर चोट लगने का खतरा भी बढ जाता है।
कितने स्पीड ब्रेकर पता नहीं
शहरी यातायात को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रतिवर्ष लाखों रुपए की यातायात सामग्री जिलों को भेजी जाती है। इसी के तहत थर्मोप्लास्टिक या प्लास्टिक से बने स्पीडब्रेकर भी जिलों को भेजे जाते हैं। इन स्पीडब्रेकर को लगाने वाली एजेंसी भी मुख्यालय द्वारा ही भेजी जाती है,जो स्थानीय यातायात विभाग के निर्देश पर अन्यान्य स्थानों पर स्पीड ब्रेकर बना देती है। लेकिन रतलाम में यातायात विभाग और अधिकारियों के पास इस बात की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है कि शहर में कुल कितने स्थानों पर स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं।
पहले लगवाए,अब उखाडने की मांग
शहर में कई स्थानों पर तो वहां के रहवासियों ने स्वयं यातायात विभाग से मांग कर स्पीड ब्रेकर लगवाएं,लेकिन अमानक स्पीडब्रेकर के कारण उनकी परेशानी बढ गई इसलिए अब इन्हे उखाडने की मांग की जा रही है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि जिले के तमाम अधिकारियों के निवास क्षेत्र यानी सिविल लाइंस में तो नियमों को पूरी तरह ताक पर रखते हुए एक साथ कई स्पीडब्रेकर लगवा दिए गए। अब ये स्पीडब्रेकर हर आने जाने वाले को कष्ट दे रहे हैं इसलिए इन्हे उखाडने की मांग की जा रही है।