विवि का निलंबित कर्मी आत्मदाह की घोषणा के बाद से गायब
आर्थिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित किया जा रहा था, वरिष्ठता के बावजूद दरकिनार किया गया
उज्जैन 22 जून(इ खबरटुडे)। विश्वविद्यालय का कर्मचारी आर्थिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित होने के चलते 26 जून को आत्मदाह की घोषणा कर 18 जून से लापता है। अंतिम बार कर्मचारी अपने कार्य स्थल पर हस्ताक्षर करने पहुंचा था। इसके बाद से चतुर्थ श्रेणी इस कर्मी के अते-पते नहीं हैं। उसके पुत्र और परिवारजन गुमशुदगी दर्ज करवाने के बाद उसे खोजने में लगे हैं, विश्वविद्यालय कर्मचारी को नोटिस जारी करने में।
विक्रम विश्वविद्यालय में 1986 से कार्यरत भृत्य सुरेश यादव 18 जून से अपने कार्य स्थल से लापता है। कर्मचारी लापता होने ेसे पूर्व महामहिम रायपाल को 12 जून को एक पत्र प्रेषित कर चुका है। इसमें उसने विक्रम विश्वविद्यालय में तैनात रजिस्ट्रार एवं वार्डन को कटघरे में खड़ा किया है। कर्मचारी ने यह भी बताया है कि उसे मानसिक और आर्थिक रुप से परेशान करने के चलते निलंबित किया गया है। एक वर्ष से 10 सदस्यीय परिवार का पालन-पोषण वह आधे वेतन पर कर रहा है। 15 वर्षों से वह चालक के पद पर नियुक्ति की मांग कर रहा था किन्तु उसकी बजाय हाल ही में कुछ वर्षों पूर्व भर्ती हुए लोगों को उपकृत किया गया है। जिनके पास लायसेंस नहीं है उन्हें वाहन चालक बना दिया गया। गायब कर्मचारी का आरोप है कि यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। दैनिक वेतन भोगियों को शासकीय आवास रिक्त नहीं होने पर भी आवंटन किया जाता है। जिन कर्मचारियों के पास खुद के मकान हैं वे शासकीय आवास में निवास कर रहे हैं। यहां वरिष्ठता का कोई क्रम नहीं है। 15-20 वर्षों से सेवा कर रहे कर्मचारी अब भी नियमितता की आस में है और आजकल में आये कर्मचारी नियमित हो गये और पदोन्नत भी।
26 जून को आत्मदाह की घोषणा
कर्मचारी सुरेश यादव ने अपने पत्र में महामहिम रायपाल को खुलासा किया है कि 26 जून को दोपहर 1 बजे वह विश्वविद्यालय परिसर के गेट पर आत्मदाह करेगा। इसकी जिम्मेदारी रजिस्ट्रार फिरोज खान तथा डीडी वैदिया की होगी।
निलंबन पर सवाल
कर्मचारी सुरेश यादव के परिजन बताते हैं कि 1986 से विश्वविद्यालय में सेवा दे रहे श्री यादव को 27 मई 2013 को निलंबित कर दिया गया। इसके पूर्व यादव पदोन्नति और नियमितता के साथ ही विश्वविद्यालय में व्याप्त कुशासन के खिलाफ सूचना के अधिकार सहित कई आवेदन लगा चुके थे। कुलाधिपति सहित कुलसचिव और तमाम लोगों के समक्ष उसने अपने अधिकार के लिये आवाज उठाई थी। इसी सबसे बचने के लिये उन पर कथित आरोप तय किये गये। 27 मई 2013 को निलंबन किया गया और 22 जून 2013 को आरोप पत्र दे दिया गया। व्यवस्थित साक्ष्य सूची दी गई। अब जबकि कर्मचारी गायब है उसे ढूंढने की बजाय बचने के लिये नोटिस तामीली की तैयारी की गई है। इसके तहत जांच अधिकारी और प्रस्तोता अधिकारी के समक्ष उसे प्रस्तुत होना है।
11 बजे पहुंचे थे कार्यालय
गुमशुदा कर्मचारी सुरेश यादव के पुत्र बृजभूषण यादव ने 19 जून को थाना माधवनगर में गुमशुदगी दर्ज करवाई थी। उसमें बताया है कि 18 जून को सुबह 10 बजे विश्वविद्यालय में हाजिरी लगाने का कहकर वे निकले थे जो कि 24 घंटे बाद भी नहीं लौटे हैं। एक वर्ष से निलंबित चल रहे हैं। विश्वविद्यालय पर तलाश करने पर यह जानकारी दी गई है कि 11 बजे वे आफिस में पहुंचे थे। खास बात यह है कि निलंबित कर्मचारी यादव विश्वविद्यालय की यूनिफार्म नीली पेंट, आसमानी शर्ट पहने है।
मेरे पिता को प्रताड़ित किया जा रहा था। वार्डन श्री बेदिया एवं अन्य पूरे षडयंत्र के साथ इसमें लगे थे। वे वरिष्ठ होने के बावजूद अब तक पदोन्नत नहीं हुए और न ही उन्हें कोई लाभ मिला था। इसी के विरुध्द उन्होंने आवाज उठाई थी। वे घर में प्रताड़ना की बातों का जिक्र करते थे।
– बृजभूषण यादव (कर्मचारी सुरेश यादव का पुत्र)