December 24, 2024

विख्यात साहित्यकार अजहर हाशमी की एक और कविता माशिमं की किताब में शामिल

hashami sir

रतलाम,23 दिसंबर (इ खबर टुडे)। नगर के विख्यात साहित्यकार अजहर हाशमी की एक और  कविता को अब माशिमं की किताब में शामिल किया गया है.   प्रो हाशमी की बच्चो पर लिखी गई एक कविता को राज्य शिक्षा केंद्र ने कक्षा 6, 7  और 8वीं की हिंदी विषय की ‘गतिविधि पुस्तिका’ में प्रकाशित किया है। ‘रोशनी की किताब हैं बच्चे’ शीर्षक वाली कविता को किताब के कवर इनसाइड पेज पर जगह मिली है। खास बात यह है कि कवर के बैक पेज पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ली गई है।
करीब 7 साल पहले रचित कविता में बच्चों की तुलना आफताब (चंद्रमा), रबाब (अफगानिस्तान का एक संगीत वाद्य यंत्र), गुलाब व फरिश्ते से की गई है।  हाशमी की यह तीसरी कविता है जो स्कूली विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल किताब का हिस्सा बनी है। इससे करीब 21 वर्ष पहले लिखी कविता ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ को मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम ने 2010 में 10वीं के हिंदी के पाठ्यक्रम में शामिल किया था। यह कविता छत्तीसगढ़ राज्य के शिक्षा मंडल के भी 10वीं के पाठ्यक्रम में है। बेटियां… कविता मप्र के बेटी बचाओ अभियान का ध्येय वाक्य बन चुकी है। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की बेटी चेल्सी के भारत आगमन के दौरान इस कविता का प्रसारण दूरदर्शन पर 170 देशों में किया गया था।
‘रोशनी की किताब हैं बच्चे’ कविता को माशिम की गतिविधि पुस्तिका मे शामिल किए जाने की जानकारी  प्रो. हाशमी को आज ही मिली. प्रो हाशमी ने बताया कि उन्हे स्थानीय शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय की प्रधान अध्यापिका श्रीमती सुरेखा नागर के माध्यम से आज पता चला कि इस कविता को माध्यमिक स्तर की तीनो कक्षाओ की गतिविधि पुस्तिका मे लिया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रो हाशमी की विभिन्न विषयो पर लिखी गई एक हज़ार से अधिक कविताए देश भर के पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित हो चुकी है और उनका काव्य सृजन निरंतर जारी है. वे ऐसे विषयो पर भी कविताए लिख चुके है जिन पर आमतौर पर कभी काव्य नही रचा गया है. वे ,मौसम,करवा चौथ से लेकर पर्यटन जैसे नितांत अछुते विषयो पर भी कविताए लिख चुके है.

 ‘रोशनी की किताब हैं बच्चे’

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे।
रोशनी की किताब हैं बच्चे।
अपने स्कूल जब ये जाते हैं,
ऐसा लगता गुलाब हैं बच्चे।
व्यास, सतलज सरीखे दरिया हैं,
रावी, झेलम, चिनाब हैं बच्चे।
जब कभी भी ये खिलखिलाते हैं,
ऐसा लगता रबाब हैं बच्चे।
जिनको संस्कार शुभ मिले हैं वे,
हर जगह कामयाब हैं बच्चे।
क्या फरिश्ते किसी ने देखे हैं?
कितना अच्छा जवाब हैं बच्चे।

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