October 5, 2024

विकास दुबे मामले में ईनाम को लेकर कवायद शुरू,पुलिस लाईन में विकास को देखने,पहचानने,पकडने वालों से ली गई जानकारी

सिक्युरिटी कर्मी लखन ने वाह-वाही के लिए कहानी सुनाई थी,लिखित में माना

उज्जैन,11 जुलाई (इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार )। 5 लाख के ईनामी उत्तरप्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पहचानने और पकड़ने की टीवी पर कहानी सुनाने वाले एसआईएस सिक्यूरिटी के कर्मी लखन ने लिखित में माना है कि उसका विकास को पहचानने और पकडने में कोई रोल नहीं था।उस पर कंपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रही है।

ईनामी बदमाश को पहचानने और पकडने वालों से शनिवार को पुलिस लाईन में अधिकारियों ने जानकारी ली है।पुलिस जांच के बाद ही यह तय होगा कि ईनाम के असली हकदार मिडिया में दावा करने वालों में से कौन हैं? विकास के पकडने जाने वाले दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में लगी एसआईएस सिक्योरिटी के कर्मचारी लखन यादव ने दावा किया था कि उसने एवं उसके सहकर्मियों ने सबसे पहले विकास को संदिग्ध स्थिति में देखा था और दर्शन के पहले ही उसे पकड़ लिया था।

सिक्योरिटी कंपनी के ब्रांच हेड़ अरविंदसिंह के अनुसार उसकी डयूटी मंदिर के डी गेट पर सती माता स्थल पर थी ।उसके द्वारा मात्र प्रचार-प्रसार के लिए ऐसा किया गया।मिडिया को गलत इंफारमेशन दी गई ।इस बात को लेकर उसे समझाया गया है उसकी गलत जानकारी देने के मामले में उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।लखन ने कंपनी को लिखित में दिया है कि उसने गलत इंफारमेंशन मिडिया को दी है।

गोपालसिंह कुशवाह बोला मेरा कोई दावा नहीं-मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी गोपालसिंह कुशवाह के अनुसार निर्गम द्वार के पास में लडडू काउंटर पर प्रसाद रखने गया था।उसी दौरान वहां एक व्यक्ति आया और उसने मुझसे पूछा बैग कहां रख सकते हैं मैने उसे पास ही जूता स्टैंड का बता दिया।वह बैग रखकर चला गया।जब मैं वापस लड्डू युनिट लौट रहा था तो मैने देखा कि सुरक्षा गार्ड और आरक्षक विजय राठौर ने उसे बैठा रखा था।वह उससे पूछताछ कर रहे थे।मैंने उसे नहीं पहचाना था।

हार-फूल वाले सुरेश माली ने पहचानने का दावा किया –
मंदिर के पास हार फूल की दुकान लगाने वाले सुरेश माली ने उसे पहचानने का दावा करते हुए बताया था कि उसकी दुकान पर विकास ने आकर वीआईपी दर्शन का पूछा था।उसका मूंह खुला हुआ होने से और सतत रूप से टीवी पर चल रहे उसके फोटो से मैने उसे पहचानकर मंदिर के सिक्योरिटी के राहुल यादव को जानकारी दी थी।

चौकी आरक्षक राठौर ने पूछताछ में धरदबोचा- आरक्षक विजय राठौर ने बताया था कि वह वीआईपी द्वार के समीप डयूटी पर थे उन्हे संदिग्ध की सूचना मिलने पर उन्होंने उसे रोक कर उसके संबंध में जानकारी मांगी तो उसने अपना नाम नवीन बताते हुए एक आईडी बताया जिसमें उम्र 27 वर्ष अंकित थी,जबकि सामने खड़ा संदिग्ध 50 वर्ष के लगभग का होने से पूछे जाने पर उसने अपना नाम विकास दूबे बताया ।

तत्काल सूचना चौकी पर देते हुए सभी को अवगत करवाकर संदिग्ध को सिक्योरिटी कर्मचारियों के साथ चौकी पर लेकर आए।यहां उससे पून्: पूछने पर उसने नाम विकास दूबे कानपुर बताया।उसे पैदल ही महाकाल थाना लेजाकर सौंपा था।

सिक्योरिटी कर्मी राहुल शर्मा – पिछले 5 वर्षो से मंदिर में सिक्योरिटी का काम कर रहा हुं। सुरेश परिचित है उसने सूचना दी तो मैंने उसकी दुकान पर जाकर बातचीत की।उसने फोटो में मुझे बताया कि यह संदिग्ध विकास जैसा लग रहा है। मैने इसकी सूचना चौकी आरक्षक विजय राठौर को दी। संदिग्ध से जब उसके बारे में पूछताछ की तो उसने नवीन नाम की आई डी निकाल कर बताई उसकी उम्र संबंधित से मैच नहीं हो रही थी । बाद में उसे चौकी ले जाया गया जहां उसने नाम विकास दूबे कानपुर बताया था।इसके बाद उसे महाकाल थाना ले जाया गया ।

-अभी इस मुद्दे पर नहीं सोचा गया है।ईनाम के मुद्दे पर विकास के उज्जैन पहुंचने की सब बातों को साफ करने के बाद ही देखेंगे -मनोजकुमारसिंह,एसपी,उज्जैन

झालावाड से बस से उज्जैन पहुंचा था विकास-एसपी उज्जैन
शनिवार को एसपी उज्जैन मनोजकुमासिंह ने देर शाम विकास के उजजैन आने की पुरी कहानी पर से पर्दा उठा दिया ।उन्होंने दावे से कहा कि जांच में जो साक्ष्य सामने आए हैं उनके अनुसार 07 जुलाई को प्रायवेट वाहन से रात में विकास अलवर से झालावाड पहुंचा था। 8 जुलाई को वह झालावाड में दिन में रहने के बाद रात 9.15 बजे वह एक निजी ट्रेवल्स की कोटा- इंदौर बस में सीट नं.06 पर सवार होकर 9 जुलाई की सुबह 3.98 बजे उज्जैन के देवासगेट बस स्टैंड पर पहुंचा था।

यहां से उसने एक आटो लिया और फिर वह मंदिर क्षेत्र में पहुंचा ।यहां उसने दो-तीन होटलों में रूकने का प्रयास किया लेकिन आधार-कार्ड मांगे जाने पर वह नहीं रूका। वह पून: मंदिर क्षेत्र में गया और वहां उसने दर्शन की जानकारी ली।उसे मालूम हुआ कि देर से ही दर्शन होंगे तो वह शिप्रा तट रामघाट के लिए निकल गया।वहां पहुंचकर उसने स्नान ध्यान किया और वापस मंदिर क्षेत्र में पहुंचा तो उसे आधे घंटे की बात सामने आई ।

इसके बाद वह सुरेश कहार की फूल माला की दुकान पर पहुंचा और वीआईपी दर्शन की जानकारी लेने के दौरान पहचान लिया गया। तथ्यों के आधार पर यह साफ हो गया कि उसे उजजैन में किसी ने कोई संरक्षण नहीं दिया और न ही वह उज्जैन में कहीं रूका था। तथ्य सामने आने के बाद पुलिस ने उसके परिचित आनंद तिवारी को जिन्हे की शंका के आधार पर पूछताछ में लिया गया था उन्हे भी छोड़ दिया है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds