लोकसन्तश्री का आशीष लेने जयन्तसेन धाम में लगा गुरुभक्तों का मेला
अडानी परिवार ने भी प्राप्त किया आशीर्वाद
रतलाम,09 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. का आशीर्वाद लेने रविवार को कई गुरुभक्त जयन्तसेन धाम पहुंचे। देश के प्रसिद्ध अडानी समूह के सदस्यों ने भी लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लिया ।
चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर आयोजक परिवार एवं रतलाम श्रीसंघ की ओर से अतिथि संघों का सम्मान किया गया। कई संगठनों ने श्री काश्यप का अभिनन्दन किया।
अडानी समूह के महासुख भाई अडानी, बसन्त भाई अडानी, राकेश भाई शाह, योगेश भाई संघवी दोपहर में जयन्तसेन धाम पहुंचे। लोकसन्तश्री से आशीर्वाद लेने के बाद अडानी परिवार ने रतलाम चातुर्मास के ऐतिहासिक आयोजन के लिए श्री काश्यप का सम्मान किया। इससे पूर्व आयोजक परिवार व श्रीसंघ की ओर से मदनलाल सुराणा, सुशील छाजेड, राजकमल जैन ने अडानी परिवार के सदस्यों का बहुमान किया। प्रात: जावरा से प्रकाश कांठेड 150 सदस्यीय संघ लेकर जयन्तसेन धाम आए। श्रीसंघ की ओर से श्रेणिक घोचा, उपेन्द्र कोठारी, नरेन्द्र घोचा, राजेन्द्र खाबिया, विनय सुराणा ने जावरा के बाबूलाल नाहर, जयपुर से राजेन्द्र कुमार जैन, महूमा से महावीर प्रसाद जैन व श्री कांठेड का बहुमान किया। श्री जैन श्वेताम्बर वरिष्ठ श्रीसंघ की सदस्याओं ने श्रीमती तेजकुंवरबाई काश्यप का अभिनन्दन किया। डीसा और झकनावदा के श्रीसंघ भी लोकसन्तश्री का आशीर्वाद लेने आए। सभी श्रीसंघों, रतलाम की संकल्प संस्था तथा जावरा की सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संस्थाओं द्वारा श्री काश्यप का अभिनन्दन किया गया।
श्रद्धालुओं को सम्बोधन में लोकसन्तश्री ने कहा कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र से सन्मार्ग प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए राग-द्वेष छोडना पड़ते हैं, क्योंकि ये वृत्तियां व्यक्ति को ज्ञान, दर्शन, चारित्र से दूर रखती हैं। उसे आत्मा को समझने नहीं देती हैं। मोह से दूर रहने वाला जीव ही स्वयं को संभालकर रख सकता है। उन्होंने कहा ज्ञान, दर्शन, चारित्र प्रत्येक व्यक्ति की आत्मस्थिति को निर्मल करने में सहायक होते हैं । संसार के कई जीव दुर्भावना से भरे हुए हैं, उसे दूर करने के लिए सद्भाव बढ़ाना आवश्यक है । इस मौके पर जावरा के कवि दिनेश भारती ने काव्यपाठ किया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ मनोहरलाल नवीन कुमार चपडोद व पारसमल सुनील कुमार परिवार ने लिया।
गुरु को देखना है तो एकलव्य की आंख से देखें – मुनिराजश्री
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने ‘सद्गुरु शुद्ध मारग ओलखावे’ विषय पर आयोजित विशेष प्रवचन में कहा कि गुरु को देखना है तो एकलव्य की आंख से पूर्ण समर्पित होकर देखना चाहिए। एकलव्य ने एक क्षण में अपना अंगूठा काटकर गुरुदक्षिणा दे दी थी और वह घटना इतिहास में दर्ज होकर आज भी याद की जाती है। मोक्ष पाने के लिए गुरु के चरणों में ऐसा ही पूर्ण समर्पण करना पड़ता है । गुरु एक ऐसा माध्यम है जो हमें प्रभु से मिला देता है। प्रभु को जानने, देखने की दृष्टि गुरु ही हमें देते हैं। वे हमारी दृष्टि में ज्ञान का अंजन करते हैं जिससे हम धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप, हित-अहित का भेदज्ञान प्राप्त करते हैं । उन्होंने कहा गुरु ऐसे नाविक हैं जो संसार समुद्र से पार कर देते हैं।
गुरु के बिना संसार की नैया पार नहीं
नाविक के बिना जैसे नाव में बैठने वाला उस पर नियंर्तण नहीं कर सकता और डूब सकता है, वैसे ही गुरु के बिना संसार की नैया पार नहीं की जा सकती। गुरु आज्ञा से विपरीत जाने वाला मोक्ष से दूर चला जाता है । गुरु कृपा पाने के लिए सभी इच्छाओं का बलिदान देना पड़ता है । शिल्पी तभी मूर्ति बना सकता है, जब पत्थर की तैयारी हो। वैसे ही सच्चे गुरु भी हमें तभी तार पाएंगे जब हमारी योग्यता और पात्रता होगी।