लॉकडाउन के दौरान सड़क पर भटक रहे लावारिस बेजुबानों की सेवा में आगे आये सज्जन
रतलाम ,05 अप्रैल (इ खबरटुडे)। इंसान के सबसे बेहतर और सच्चे दोस्त के तौर पर जानवर को माना जाता है। ये इंसान के ऐसे सहमत दोस्त होते हैं जो न कभी सवाल पूछते और न ही कभी आलोचना करते हैं। आज के जमाने में जहां इंसान दूसरे इंसान का बैरी है वहीं कुछ लोगों ने इन बेसहारा जीवों की जिंदगी बेहतर बनाने की समाज में अलग सोच को जगा रहे हैं।
आपको अपने आसपास ऐसे कई जानवर घूमते मिल जाएंगे जो भूखे ,जख्मी या किसी बीमारी से वो तड़प रहे होते हैं।रतलाम शहर के दो लोगों को भी ऐसे जानवर अक्सर नजर आते थे। जहां लॉकडाउन के समय में प्रशासन के अलावा भी कई लोग सड़क पर घूमने वाले भिखारियों और गरीबो के लिए भोजन व्यवस्था करने में जुटे है। वही कुछ लोग ऐसे है जो इस मुश्किल घड़ी में भी वारिस बेजुबान जानवरो की मदद करने के लिए आगे आ चुके है।
रतलाम शहर के तेजा नगर निवासी सुशील कुमार जैन शहर में सड़क पर घूमने वाले कुत्तो की सेवा के लिए जाने जाते है। लॉकडाउन के समय सुशील रोजाना अपने घर पर स्वयं ही करीब 500 रोटी बनाने के साथ करीब 10 लीटर दूध की व्यवस्था कर शहर के कुत्तो तक स्वयं ही पहुंचाते है। सुशील ने बताया लॉकडाउन के समय में कोई भी इन लावारिस बेजुबान जानवरो के बारे में नहीं सोचेगा ,इस लिए लॉकडाउन लगने के पहले ही मेने इस कार्य को करने के लिए कलेक्टर से अनुरोध कर अपना पास बनवाया है। बताते दे की सुशील लॉकडाउन से पहले भी नियमित रूप से इन बेजुबान जानवरो के लिए रोटी और दूध का इंतजाम करते ही है। लेकिन वर्तमान में सुबह और देर रात में भी अपनी सेवा दे रहे है।
वही घायल और बीमार पशुओ के लिए हमेशा तैयार रहने वाले और नगर के गौभक्त कहे जाने वाले धर्मेन्द्र शर्मा सूचना मिलने पर तुरंत मोके पर पहुंच जाते है। इसी बीच आज सबुह धर्मेन्द्र शर्मा को फोन पर सूचना मिली की शहर के चाँदनी चौक क्षेत्र में एक सांड के पांव में चोट लग गई है। जिसका उपचार कुछ दिन पहले धर्मेन्द्र द्वारा ही किया’गया था ,लेकिन आज फिर सूचना मिलने पर धर्मेन्द्र तुरंत रवाना हो गये। मौके पर पहुंच कर उन्होंने घायल सांड ईलाज किया।