लापरवाही के कारण कोई डूबा तो 304 का मुकदमा दर्ज होगा
कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में संभागायुक्त ने कहा
उज्जैन 25 जून(इ खबरटुडे)। बारिश के मद्देनजर हर कलेक्टर के पास बाढ़ नियंत्रण की पुख्ता कार्य योजना होनी चाहिए तथा उसका समुचित क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। जिलों में जितने रपटे, पुल, पुलियाएं आदि जलमग्न होने की आशंका हो वहां ड्रॉप गेट, चेतावनी बोर्ड, क्षतिग्रस्त रोड मरम्मत, राजस्व एवं लोक निर्माण विभाग के अमले की ड्यूटी लगाए जाना आदि कार्य तुरंत करवा लिए जाएं। नदियों एवं जल-स्तोत्रों के किनारे सभी सुरक्षा उपाय हों। मोटर बोट आदि सभी उपकरण अच्छी हालत में हो तथा गोताखोर तैनात हों। यदि इनके अभाव में कोई व्यक्ति डूबता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो 304 का मुकदमा व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेवार अधिकारी के खिलाफ दायर किया जा सकता है, अत: कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।
संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर ने आज गुरूवार को बृहस्पति भवन में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में ये निर्देश दिए। बैठक में डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर उज्जैन कवीन्द्र कियावत सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक, संयुक्त आयुक्त प्रतीक सोनवलकर तथा सभी संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
क्षिप्रा में बालक डूबा जिम्मेवार कौन
संभागायुक्त ने सिंचाई विभाग को निर्देश दिए कि सभी नदियों के किनारे पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम होने चाहिएं। वहां गहराई संबंधी बोर्ड, गेज तथा अन्य सुरक्षा इंतजाम हों। यदि इंतजाम नहीं पाए गए और कोई डूब गया तो संबंधित सिंचाई विभाग के अधिकारी के खिलाफ 304 का प्रकरण दर्ज होगा। उन्होंने विभागीय अधिकारी से पूछा कि कल क्षिप्रा नदी में एक लड़का डूब गया, इसके लिए कौन जिम्मेवार है?
पानी छोड़े जाने की हो पूर्व सूचना
संभागायुक्त ने जल संसाधन विभाग को बैठक में निर्देश दिए कि संभाग में विभिन्न बांधों के गेट खोले जाने के पर्याप्त समय पूर्व डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में सूचना हो जानी चाहिए। इसके लिए अधिकारी पुख्ता योजना बनाकर कार्रवाई करें।
कितना पानी बरसने पर कितने गांव डूबेंगे
संभागायुक्त ने कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि वे इस बात का पूर्व आंकलन कर सूची बनालें कि उनके जिले में कितना पानी बरसने पर कितने गांव डूबते हैं अथवा कट जाते हैं। इन सभी में सभी आवश्यक इंतजाम करा लिए जाएं। इनमें राशन सामग्री, दवाओं आदि की समुचित व्यवस्था हो।
जल स्तोत्रों के शुद्धीकरण की हो व्यवस्था
संभागायुक्त ने कहा कि बारिश में गंदा पानी बीमारियों का मुख्य कारण होता है। अत: सभी जिलों में वर्षाकाल में जल स्तोत्रों के शुद्धीकरण तथा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करली जानी चाहिए।
क्षतिग्रस्त भवनों को गिराया जाएगा
उज्जैन कलेक्टर श्री कियावत ने बताया कि जिले के क्षतिग्रस्त भवनों की सूची तैयार कर ली गई है। ऐसे भवन जो मरम्मत योग्य हैं उनकी मरम्मत कराई जा रही है तथा जो मरम्मत योग्य नहीं हैं, उन्हें गिराए जाने की कार्रवाई की जा रही है।
वन भूमि की खाली जगह पर कराएं वृक्षारोपण
वन विभाग की समीक्षा के दौरान संभागायुक्त श्री पस्तोर ने निदे्रश दिए कि जिन जिलों में वन भूमि का खाली क्षेत्र है उनमें मनरेगा योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण कराया जाए। योजना के अंतर्गत 15 लाख रूपये तक की प्रशासनिक एवं तकनीकी स्वीकृति के अधिकार ग्राम पंचायत को ही हैं। इसके अंतर्गत देवास जिले में 100 हेक्टे., नीमच जिले में 100 हेक्टे., मंदसौर जिले में 50 हेक्टे., रतलाम जिले ने 50 हेक्टे., आगर जिले में 50 हेक्टे. क्षेत्र लिया जाएगा। उज्जैन एवं अन्य जिलों में भी अधिक से अधिक वृक्षारोपण के निर्देश संभागायुक्त ने दिए।
शाजापुर प्रदेश का एकमात्र वनभूमिहीन जिला
बैठक में बताया गया कि उज्जैन संभाग में 4573.06 वर्ग किमी वन क्षेत्र है जो कुल क्षेत्र का 13 प्रतिशत है। संभाग एवं पूरे प्रदेश में शाजापुर एकमात्र ऐसा जिला है जहां वन भूमि शून्य है। देवास जिले में संभाग में सर्वाधिक वन क्षेत्र 1961.17 वर्ग किमी है.। उज्जैन जिले में वन क्षेत्र 42.06 वर्ग किमी है, जो जिले की कुल भूमि का 0.69 प्रतिशत है।
व्यक्तिगत जमीनों पर करवाएं वृक्षारोपण
संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि संभाग के जिन किसानों की भूमि पर कोई फसल नहीं होती है उनकी सहमति से उनके प्रकरण वृक्षारोपण के लिए बनाए जाएं। किसानों को पौधे तथा अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। मनरेगा योजना के अंतर्गत ये प्रकरण लिए जा सकते हैं। इनमें सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया जाए।
दो नए वन अधिनियम
बैठक में बताया गया कि सरकार द्वारा 2 नए वन अधिनियम ‘संरक्षित वन नियम’ एवं ‘ग्राम वन नियम’ बनाए हैं। इनके अंतर्गत अब वन समितियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं।
समय पर आएं अधिकारी
कुछ अधिकारियों द्वारा बैठक में विलंब से आने पर कमिश्नर द्वारा नाराजी व्यक्त करते हुए, उन्हें समय पर आने की चेतावनी दी।