लाकडाउन के चलते अभिभाषकों पर आर्थिक संकट,न्यायालय चालू करने की मांग को लेकर सीजेआई को ज्ञापन
रतलाम,29 जून (इ खबरटुडे)। कोरोना महामारी के चलते विगत 25 मार्च से घोषित लाकडाउन में समस्त न्यायालय बन्द कर दिए गए थे। अनलाक-1 आ जाने के बाद भी न्यायालयीन कार्य प्रारंभ नहीं किए गए है। इस वजह से अभिभाषक समुदाय के सामने आर्थिक संकट खडा हो गया है।
शासन की ओर से अभिभाषकों के आर्थिक सहयोग के लिए कोई योजना भी नहीं बनाई गई है। 30 जून से अनलाक-2 शुरु होने के बाद न्यायालयीन कार्य प्रारंभ किए जाने की मांग को लेकर जिला अभिभाषक संघ ने आज सीजेआई और उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति को एक ज्ञापन दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधिपति और उच्च न्यायालय के मुख्यन्यायाधिपति को सम्बोधित इस ज्ञापन में जिला अभिभाषक संघ ने कहा है कि अनलाक 1 के बाद सभी शासकीय और अध्र्दशासकीय कार्यालयों में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसी प्रकार व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की गतिविधियां भी शुरु कर दी गई है। परन्तु न्यायालयों में अब तक कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। लम्बे समय तक न्यायालय के बन्द रहने से जहां अभिभाषकों के सामने आर्थिक संकट खडे हो रहे है,वहीं पक्षकारों की परेशानियों के चलते मानसिक त्रास भी बढ रहा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि 30 जून से अनलाक 2 प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में कोरोना की गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित करते हुए और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए समस्त न्यायालयीन गतिविधियों को प्रारंभ किया जाए,जिससे कि पक्षकारों के लम्बित मामलों का निराकरण भी हो सके और अभिभाषकों की आर्थिक समस्या का भी समाधान हो सके।
न्यायालय प्रारंभ करने की मांग को लेकर दिया गया ज्ञापन जिला न्यायालय के प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता को सौंपा गया। इस मौके पर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार,सचिव प्रकाश राव पंवार,उपाध्यक्ष राजीव उबी, सहसचिव विकास पुरोहित समेत अनेक अभिभाषक मौजूद थे।