रासायनिक दवाओं से दूर है हालेण्ड की खेती
हालेण्ड की यात्रा से लौटे अशोक जैन ने साझा किए अपने अनुभव
रतलाम,20 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। यूरोपीय देश हालेण्ड कृषि के मामले में हमसे बहुत आगे है। भारत में हम कृषि में रासायनिक कीटनाशकों आदि का जमकर उपयोग कर रहे हैं,लेकिन हालेण्ड में बिना रसायनों के भरपूर उत्पादन प्राप्त किया जाता है। फूलों के उत्पादन में हालेण्ड पूरे विश्व में अग्रणी है। भारत के किसान अपनी खेती को उन्नत बनाने के लिए हालेण्ड से कई चीजें सीख सकते है।
मुख्यमंत्री किसान विदेश यात्रा योजना के अन्तर्गत हालेण्ड का पांच दिवसीय दौरा कर लौटे प्रगतिशील किसान अशोक जैन लाला ने एक विशेष चर्चा के दौरान यात्रा में प्राप्त अनुभवों को साझा किया। श्री जैन मध्यप्रदेश से हालेण्ड गए १९ किसानों के दल में शामिल थे।
अपनी हालेण्ड यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए श्री जैन ने बताया कि हालेण्ड की कृषि भारत की पारंपरिक कृषि की तुलना में बहुत आगे है। वहां खेती का पूरा काम मशीनों और कम्प्यूटर की मदद से किया जाता है। हालेण्ड यूरोप का छोटा सा देश है,लेकिन अपनी अत्याधुनिक तकनीकी की मदद से उन्होने कृषि के मामले में अग्रणी स्थान हासिल कर लिया है। पूरी दुनिया में फूलों के उत्पादन में हालेण्ड पहले स्थान पर है और पूरी दुनिया को फूलों का निर्यात किया जाता है।
श्री जैन ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होने टमाटर और शिमला मिर्ची आदि के उत्पादन के लिए बनाए गए ग्लास हाउस देखे। इस ग्लास हाउस में अत्याधुनिक तरीके से टमाटर आदि का उत्पादन किया जाता है। ग्लास हाउस में टमाटर के पौधे जमीन पर नहीं उगाए जाते, बल्कि जमीन से कुछ फीट उपर विशेष रुप से बनाई गई प्लेट्स में उगाए जाते है। इन प्लेट्स में पौधे के लिए आवश्यक न्यूनतम मिट्टी में बीज डाला जाता है। इन बीजों को कितना पानी खाद आदि दिया जाना है,इसकी मात्रा का निर्धारण कम्प्यूटर द्वारा किया जाता है और स्वचालित मशीनों की मदद से पौधों को पानी आदि दिया जाता है। ग्लास हाउस के तापमान और वातावरण को भी कम्प्यूटर द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में पौधे में कीट इत्यादि का कोई खतरा नहीं होता,लेकिन फिर भी कम्प्यूटराईज्ड तरीके से पौधों का नियमित परीक्षण किया जाता है। यदि किसी पौधे में किसी प्रकार की बीमारी या कीट आदि होने की आशंका होती है,तो उसका विश्लेषण कर पौधे की मिट्टी में मित्र जीवाणु मिला दिए जाते है। जिससे कि उसके रोग का उपचार हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में रासायनिक दवाओं का कतई उपयोग नहीं किया जाता। जमीन से उपर उगाए जा रहे ये टमाटर गुणवत्ता की दृष्टि से बेहद अच्छे है। पौधों की उचंाई भी आठ से दस फीट तक की होती है।
मध्यप्रदेश से गए किसानों के दल ने खेतों में ऊ गाई जाने वाली फसलों को भी देखा। हालेण्ड में पांच सौ बीघा जमीन पर खेती करने वाला एक किसान अपने परिवार के मात्र तीन सदस्यों के साथ पांच सौ बीघा जमीन पर खेती कर लेता है। यहां खेती का प्रत्येक काम मशीनों और रोबोट आदि की मदद से किया जाता है। खेत को तैयार करने से लेकर बीज बोने,सिंचाई करने और फसल को काटकर गोदाम तक ले जाने का प्रत्येक काम मशीनों की मदद से किया जाता है। प्रदेश से गए किसानों के लिए इस तरह की अत्याधुनिक खेती देखने का यह पहला मौका था। किसान इस तरह की खेती को देखकर चमत्कृत थे।
श्री जैन ने बताया कि किसानों के दल ने वहां संचालित किए जा रहे डेरी फार्म को भी देखा। जिस डेरी फार्म को देखने किसान पंहुचे थे,उसमें 110 जर्सी गायें थी। डेरी फार्म संचालक अपने परिवार के तीन सदस्यों के साथ इस डेरी फार्म का संचालन बडी आसानी से कर लेता है। डेरी फार्म में गायों को रखने,चारा खिलाने और साफ सफाई करने की सारी व्यवस्था स्वचालित है। गायों का दूध निकालने के लिए रोबोट की मदद ली जाती है। किसान तब बेहद आश्चर्यचकित हुए जब उन्होने देखा कि गायें भी प्रशिक्षित है। डेरी फार्म की गायें दूध निकलवाने के लिए स्वयं निर्धारित स्थान पर पंहुच कर खडी हो जाती है और फिर रोबोट दूध निकालता है। यहां की एक गाय रोजाना 10 से 15 लीटर तक दूध देती है। इस डेरी से प्रतिदिन 2500 लीटर दूध निकाला जाता है।
श्री जैन ने बताया कि हालेण्ड अत्यन्त छोटा देश है। यहां की जनसंख्या मात्र सवा करोड है। यहां प्रत्येक व्यक्ति को अपना काम स्वयं करना पडता है। इसलिए अधिकांश काम मशीनों की मदद से किए जाते है। खेती अत्यन्त उन्नत है। प्रत्येक किसान बुवाई से पहले शासन को यह बताता है कि वह कौन सी फसल कितनी मात्रा में बोएगा और कितना उत्पादन प्राप्त करेगा। इससे हालेण्ड सरकार को पहले से मालूम होता कि इस वर्ष कितना उत्पादन होगा। इसी हिसाब से निर्यात की योजना बनाई जाती है। हालेण्ड के जनजीवन की जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि यहां के नागरिकों में स्वअनुशासन बहुत है। उन्हे अपनी यात्रा के दौरान कहीं पुलिसकर्मी देखने को नहीं मिले। यातायात नियंत्रण लोग स्वयं कर लेते है। भारत की तरह पान दुकान,ठेलागाडी,गुमटी आदि यहां कहीं दिखाई नहीं देते। पैट्रोल के दोपहिया वाहनों का उपयोग नहीं के बराबर है। अधिकांश लोग या तो पैदल चलना पसन्द करते है या साइकिल से चलते है। पूरा हालेण्ड अत्यन्त सुन्दर बना हुआ है। सारी इमारते एक जैसी है। माल परिवहन के लिए नहरों का उपयोग किया जाता है।
श्री जैन ने कहा कि वहां के किसानों ने उन्हे आश्वस्त किया है कि यदि दस या अधिक किसान समूह बनाकर खेती की नई तकनीकों की जानकारी चाहेंगे तो हालेण्ड के किसान उनके लिए तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण की व्यवस्था कर सकते है।
श्री जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों के लिए प्रारंभ की गई यह योजना अत्यन्त लाभप्रद है। मध्यप्रदेश के किसानों के दल उन विभिन्न देशों को भेजे जा रहे है,जहां की कृषि अत्यन्त उन्नत है और वहां की जानकारी प्रदेश के किसानों के काम आ सकती है। इस दौरे में गए प्रत्येक किसान के लिए यह दौरा अत्यन्त ही उपयोगी साबित हुआ है। रतलाम से इस दल में अशोक जैन लाला के अलावा ग्राम तीतरी के मोतीलाल पाटीदार और लक्ष्मीनारायण पाटीदार भी थे। यह दल नई दिल्ली से दुबई होते हुए ग्यारह घण्टे की हवाई यात्रा कर हालेण्ड पंहुचा था।