राममंदिर, अल्पसंख्यक और धारा 370 समेत कई मुद्दों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रखी अपनी राय
नई दिल्ली,19 सितम्बर (इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिन के व्याख्यानमाला कार्यक्रम ‘भारत का भविष्य’ के अंतिम दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम में आए सवालों के जवाब दिए। भागवत ने कहा कि राममंदिर का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में धारा 370 पर हमारा रुख सभी जानते हैं। हम इसे हटाने के पक्ष में हैं।’ मोहन भागवत ने इस दौरान जाति व्यवस्था, आरक्षण, अल्पसंख्यक, समलैंगिकता, जम्मू-कश्मीर और शिक्षा नीति जैसे कई मुद्दों पर आए सवालों के जवाब दिए। इस दौरान बताया गया कि उपस्थित लोगों की तरफ से 215 सवाल आए हैं।
जाति व्यवस्था के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यह कभी जाति व्यवस्था रही होगी, अब जाति अव्यवस्था है। सामाजिक विषमता को बढ़ाने वाली सभी बातें बाहर होनी चाहिए। यह यात्रा लंबी है, लेकिन यह करनी ही होगी। संघ में किसी से जाति नहीं पूछी जाती। संघ में कोटा सिस्टम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने जैसे को नहीं पकड़ना है, सबको पकड़ना है। सम्पूर्ण समाज का संगठन है। यात्रा लंबी है, हम उस तरफ बढ़ रहे हैं।’
गोरक्षा और मॉब लिंचिंग को लेकर पूछे गए सवाल के बारे में जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘गाय ही नहीं, किसी भी मुद्दे पर भी कानून हाथ में लेना या तोड़फोड़ करना अपराध है। गोरक्षा होनी चाहिए, लेकिन गोरक्षकों और उपद्रवियों को में तुलना नहीं होनी चाहिए। गाय की रक्षा की गोसंवर्धन का ख्याल रखना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि उपद्रवी तत्व का गोरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। यह बात भी रिसर्च में सामने आई है कि गाय की हाथ से सेवा करने वालों का आपराधिक भाव खत्म होता है। कई जेलों में इसका प्रयोग हो चुका है।
समलैंगिकता
मोहन भागवत ने कहा, ‘समाज का प्रत्येक व्यक्ति समाज का एक अंग है। उनकी व्यवस्था करने का काम समाज को ही करना चाहिए। समय बहुत बदला है, समय के साथ समाज भी बदलता है। स्वयं में कुछ अलग प्रकार का अनुभव करने वाले लोग समाज से अलग-थलग न पड़ जाएं, यह भी चिंता समाज को करनी चाहिए।’
आरक्षण और संघ
आरक्षण के सवाल पर जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘सामाजिक विषमता को हटाकर समाज में सबको अवसर मिले। संविधान सम्मत आरक्षण को संघ का समर्थन है। आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही करेंगे। आरक्षण समस्या नहीं है। आरक्षण की राजनीति समस्या है। समाज के सभी अंगों को साथ लाने पर ही काम करना होगा। जो ऊपर हैं, उन्हें झुकना होगा और जो नीचे हैं, उन्हें एडी ऊपर करके बढ़ना होगा। 100-150 साल तक समझौता करके समाज के सभी अंगो को साथ लाया जा सकता है तो यह महंगा सौदा नहीं है।’
राममंदिर पर यह बोले भागवत
राममंदिर निर्माण के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘संघ के सरसंघचालक होने के नाते मेरा मत है कि राम मंदिर जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनना ही चाहिए। राम जहां आस्था का विषय नहीं हैं, वहां भी वह मर्यादा का विषय है। करोड़ों लोगों की आस्था का विषय है। देशहित विचार होता तो मंदिर बन चुका होता।’
शिक्षा में भारतीय मूल्य
शिक्षा नीति के सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘धर्म की शिक्षा भले न दें, लेकिन देश की शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षा का स्तर नहीं घटता, बल्कि शिक्षा देने वाले और शिक्षा लेने वालों का स्तर घटता है। हर कोई इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बन सकता, जो करना उसे बढ़िया ढंग से करना। ज्यादा कमाने का मंत्र लेकर भेजेंगे तो दिक्कत होगी। शिक्षकों को भी यह ख्याल होना चाहिए कि वह देश का भविष्य गढ़ रहे हैं। डिग्री तो मिल रही है, लेकिन रिसर्च का काम कम हो रहा है। शिक्षा नीति में अमूल चूल परिवर्तन हो, संघ लंबे समय से यह मांग कर रहा है।’
भाषा के मुद्दे पर बोले भागवत
भाषा के मुद्दे पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘अंग्रेजी के प्रभुत्व की बात हमारे मन में है। हमें अपनी मातृभाषाओं को सम्मान देना शुरू करना होगा। किसी भाषा से शत्रुता की जरूरत नहीं। अंग्रेजी हटाओ नहीं, अंग्रेजी का हव्वा हटाओ। जितना स्वभाषा में काम करेंगे उतनी बात बनेगी। देश की उन्नति के नाते हमारी भाषा में शिक्षा हो। किसी एक भारतीय भाषा को सीखें, यह मन बनाना पड़ेगा।’
उन्होंने कहा, ‘हिंदी प्रांतों के लोगों को भी चाहिए कि दूसरे प्रांतों की भाषा को सीखना चाहिए। संस्कृत के विद्यालय घट रहे हैं, क्योंकि महत्व घट रहा है। अपनी विरासत को समझने के लिए संस्कृत भाषा को महत्व देना जरूरी है। भारत की सभी भाषाएं मेरी हैं, यह भाव होनी चाहिए।’
‘जनसंख्या को लेकर बने नीति’
जनसंख्या के मामले पर बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा, ‘संघ का प्रस्ताव है कि जनसंख्या का विचार एक बोझ के रूप में है, लेकिन जनसंख्या काम करने वाले हाथ भी देती है। डेमोग्राफिक बैलेंस की बात समझनी चाहिए। इसे ध्यान में रखकर नीति हो। अगले 50 साल को ध्यान में रखकर नीति बने। नीति को सब पर समान रूप से लागू किया जाए। संतान कितनी हो यह सिर्फ देश का नहीं बल्कि परिवार का भी विषय है।’
जम्मू-कश्मीर पर यह बोले भागवत
मोहन भागवत ने कहा, ‘धारा 370 और 35ए के बारे में हमारे विचार सब जानते हैं। हमारा मानना है कि ये नहीं होने चाहिए। भटके युवाओं के लिए देश संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। वहां के लोगों का सहयोग और समर्थन भी मिलता है। मैं विजयदशमी के भाषण में बोला था, कश्मीर के लोगों के साथ मेल-मिलाप बढ़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि एक देश के लोग एक कानून के भीतर रहें। समान नागरिक संहिता का मतलब सिर्फ हिंदू और मुसलमान ही नहीं है। सबके विचारों को ध्यान में रखकर किसी एक विचार पर मन बनना चाहिए।