राज्य शासन के अधिकारियों के फोन और मोबाइल खर्च सीमा पुनर्निर्धारित
उज्जैन 16 नवम्बर(इ खबरटुडे)। राज्य शासन ने शासकीय अधिकारियों के निवास पर लगे फोन और मोबाइल बिल की व्यय सीमा का पुनर्निर्धारण किया है।वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश से अब ऐसे अधिकारी जिनका ग्रेड वेतन 10 हजार या उससे अधिक है, उन्हें फोन, मोबाइल, इंटरनेट सहित 2800 रुपये मासिक राशि की प्रतिपूर्ति हो सकेगी।
ऐसे अधिकारी जिनका ग्रेड वेतन 7,600 से अधिक और 8,900 तक है, उन्हें 1500 रुपये प्रतिमाह की प्रतिपूर्ति की जायेगी। रुपये 6,600 या 7,600 तक के ग्रेड वेतन वाले अधिकारी को 800 रुपये प्रतिमाह की प्रतिपूर्ति की जायेगी। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि ग्रेड वेतन का आशय मूल पद के ग्रेड वेतन से है।
लेण्डलाइन फोन तथा पोस्टपेड मोबाइल शासकीय सेवक के नाम से हो
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, पुलिस रेंज के डीआईजी, जिनका ग्रेड वेतन 10 हजार रुपये से कम है, उनकी फोन, मोबाइल और इंटरनेट व्यय की अधिकतम सीमा 1750 रुपये प्रतिमाह होगी। वर्ष में इसकी अधिकतम सीमा 14 हजार रुपये होगी। व्यय की प्रतिपूर्ति के लिये संबंधित द्वारा फोन और मोबाइल नम्बर कार्यालय प्रमुख को प्रस्तुत करने होंगे। लेण्डलाइन फोन तथा पोस्टपेड मोबाइल की स्थिति में यह जरूरी होगा कि वह शासकीय सेवक के नाम से हो। मासिक व्यय सीमा में, मासिक नियत प्रभार, मीटर कॉल चार्जेस, टेक्सेस का व्यय और समस्त प्रभार शामिल होंगे। पुनर्निर्धारण व्यय सीमा आदेश एक नवम्बर, 2015 से प्रभावशील हो गया है।
हवाई जहाज यात्रा और सेमीनार आयोजन में मितव्ययता संबंधी आदेश
राज्य शासन ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में शासकीय व्ययों को नियंत्रित करने के लिये आदेश जारी किया है। अब जनहित में शासकीय यात्रा करते समय वायुयान से यात्रा की स्थिति में केवल इकॉनामी क्लास से की गई यात्रा व्यय की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इस वित्तीय वर्ष में पाँच सितारा तथा वर्गीकृत होटल्स में सरकारी सेमीनार, कार्यशाला और शासकीय कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
शासकीय आवास के अदेय प्रमाण-पत्र की आवश्यकता समाप्त
राज्य शासन ने शासकीय आवास गृहों में रहने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर लोक निर्माण विभाग द्वारा दिये जाने वाले आवास गृह के अदेय प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश जारी किया है।
अब सेवानिवृत्ति की तिथि तक शासकीय अधिकारी या कर्मचारी से आवास किराये की राशि वसूल होने और उक्त तिथि तक किराया बकाया न होने का प्रमाण-पत्र जारी करने का उत्तरदायित्व नियोक्ता विभाग का होगा। इसकी जवाबदारी आहरण एवं संवितरण अधिकारी को सौंपी गयी है। इसी तरह शासकीय सेवक द्वारा जल-कर, विद्युत शुल्क की अंतिम देयक राशि जमा करने की रसीद को ही अमांग प्रमाण-पत्र के रूप में आहरण एवं संवितरण अधिकारी द्वारा मान्य किया जायेगा। अंतिम देयक का आशय शासकीय सेवक द्वारा शासकीय आवास की आधिपत्य से माना जायेगा।