December 27, 2024

राज्यसभा में आज पेश होगा ट्रिपल तलाक पर बिल

sansad

नई दिल्ली ,02 जनवरी(इ खबरटुडे)। एक साथ तीन तलाक को अपराध ठहराने वाला बिल आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत में होने की वजह से सरकार के लिए इस बिल को पास कराना आसान नहीं होगा. हालांकि सरकार ने 3 साल की सज़ा घटाने का संकेत देकर विपक्ष को साधने की कोशिश है. काफी कुछ इस बात निर्भर करेगा कि कांग्रेस का रुख़ क्या रहता है. वहीं लेफ्ट पार्टियों की मांग है कि इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए. ऐसे में कांग्रेस पर दबाव बढ़ सकता है. पिछले हफ़्ते ही ये बिल लोकसभा में पास हुआ था.

सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘हम एक साथ तीन तलाक के खिलाफ हैं और चाहते हैं कि इसका खात्मा होना चाहिए. लेकिन मुस्लिम समाज में शादी एक आपसी करार है और नए बिल में इसे अपराध माना गया है, जो पूरी तरह गलत है. बीजेपी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए जल्दबाजी में इस बिल को लेकर आई है. बीजेपी इसके लिए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है.’

वहीं सरकार की योजना है कि मंगलवार को ही इस बिल पर चर्चा कराकर पारित कर लिया जाए. लेकिन लोकसभा में ही इस बिल पर जब चर्चा हुई थी तो कांग्रेस, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, बीजद, आरजेडी और समाजवादी पार्टी सहित कई दलों ने इससे संसदीय समिति में भेजने की मांग की थी. मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस उस विवादास्पद विधेयक पर अपना रूख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा करेगी जिसमें एकसाथ तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और इसे संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
सूत्रों के अनुसार ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक पेश किये जाने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं की संसद में अपने चैंबर में एक बैठक बुलाई है. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधेयक के पक्ष में है क्योंकि इसमें एकसाथ तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है लेकिन क्या वह उसे प्रवर समिति को भेजने के लिए दबाव डालेगी या नहीं यह आज पता चलेगा. सूत्रों ने बताया कि पार्टी विधेयक में संशोधनों के लिए जोर डाल सकती है.

इस बीच, एकसाथ तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिकाकर्ता भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने सांसदों को पत्र लिखकर विधेयक में तलाक देने के तरीके ‘तलाक ए अहसन’ को शामिल करने की मांग की जिसमें मध्यस्थता अनिवार्य है और यह तलाक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले न्यूनतम 90 दिन तक चलती है.

राज्यसभा में अभी कांग्रेस-57, बीजेपी-57, सपा-18, अन्नाद्रमुक-13, तृणमूल-12, बीजद-8, वामदल-8, तेदेपा-6, एनसीपी-5, द्रमुक-4, बसपा-4, राजद के 3 सदस्य हैं. भाजपा के पास सहयोगी दलों के 20 सांसद हैं. राज्यसभा में 238 सदस्य हैं. विपक्ष की प्रमुख मांगे हैं कि तीन साल कैद की सजा पर फिर से विचार हो, मुस्लिम महिलाओं के गुजारा-भत्ता के लिए सरकारी कोष बने और मुस्लिम समाज के पक्ष को भी सुना जाए.

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