November 23, 2024

राग रतलामी/यहां भी खुदा है,वहां भी खुदा है,जहां देखिए बस खुदा ही खुदा है

-तुषार कोठारी

रतलाम। यहां भी खुदा है,वहां भी खुदा है,जहां देखिए बस खुदा ही खुदा है। यह कोई पीर फकीरों वाली बात नहीं है,बल्कि शहर की सच्चाई है। शहर में इन दिनों हर ओर खुदाई नजर आ रही है। ये खुदाई सीवरेज की है। प्लान तो बहुत बडा है। अगर सही तरीके से पूरा हो गया तो शहर स्वर्ग सा सुन्दर हो सकता है। लेकिन इस पर यकीन नहीं आता। नगर निगम ने ऐसे काम किए है कि उसे अब नरक निगम कहा जाने लगा है। नरक निगम शहर को स्वर्ग जैसा बनाने की कोशिश करता है,तो किसी को भी भरोसा नहीं हो पाता। इसका कारण भी है। जब से सीवरेज की खुदाई शुुरु हुई है,तभी से शंकाएं पैदा हो रही है। पहले तो लोगों को पाइप की क्वालिटी और मोटाई को लेकर शंकाएं थी। फिर राजधानी से बडे साहबों ने आकर शंकाएं दूर करने की कोशिश की। शंकाएं अब भी है। खुदाई करने वाले तमाम नियमों को ताक पर रखते जा रहे है। निगम ने जब खुदाई का ठेका दिया था,तो शर्त ये थी कि जहां भी खुदाई की जाएगी,पाइप डालने के फौरन बाद सडक़ को पहले की तरह कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा कहीं नहीं हुआ। खुदाई के बाद खुदाई में निकली मिट्टी को फिर से वहीं डाल दिया जाता है,लेकिन पक्की व्यवस्था नहीं की जाती। नतीजा यह है कि हर ओर धूल ही धूल उड रही है। ठेके की कई सारी शर्ते और भी है,लेकिन उन सब को ताक पर रखा जा चुका है। सीवरेज लाइन डलने के बाद शहर में कुल चार सीवरेज प्लान्ट बनना थे,लेकिन अब पता चला है कि ठेकेदार ने नरक निगम से मिल जुल कर दो प्लान्ट गायब कर डाले है। अब केवल दो ही प्लान्ट बनाने की बात चलने लगी है। निगम वाले बताने को भी राजी नहीं है कि सीवरेज प्रोजेक्ट असल में कैसा है और कैसे काम करेगा। इसका हश्र भी पहले की योजनाओं जैसा ना हो जाए। पहले नरक निगम ने यूआईडीएसएसएमटी के तहत पेयजल लाइनों का काम करवाया था। ठेकेदार ने जैसे तैसे काम कर डाला। निगम ने अपना भारी भरकम कमीशन लेकर भुगतान भी कर डाला। बाद में पता चला कि शहर को जो लाभ मिलना चाहिए था,वह तो मिला ही नहीं। सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर भी यही हाल होता नजर आ रहा है। पूरा शहर खुद रहा है और पाइप डाले जा रहे है। लेकिन इन पाइप लाइनों का घरों से जुडाव हो पाएगा या नहीं और अगर हो भी गया तो सीवरेज प्लान्ट ठीक से चलेंगे या नहीं ये कोई नहीं जानता। नरक निगम और सरकार के बडे साहब लोग कोई भी भरोसा दिलाने को तैयार नहीं है। कहने को तो बडी मैडम साहिबा ने कल खुदाई को कई जगह खुद जाकर देखा और फटकार भी लगाई। लेकिन फिर भी सवाल यही है कि सडक़ों की खुदाई के बाद ये पूरा सिस्टम ठीक से काम करेगा या नहीं? नगर निगम की अब तक की रेपुटेशन ऐसी नहीं है कि लोग भरोसा कर सके।

भू माफियाओं की लिस्ट…..

सूबे के तमाम माफियाओं पर लगाम कसने के सरकारी फरमान के बाद शहर में भी इस बात की चर्चाएं हो रही है। कुछ लोग मान रहे है कि यहां भी सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करने वाले और जमीनों की जादूगरी करने वालो की लिस्ट बन गई है। जल्दी ही इन पर इन्दौरी स्टाईल में अटैक किया जाएगा। दुनिया तो उम्मीद पर ही कायम है। शहर के भू माफिया बेहद ताकतवर हो चुके है। दोनो ही पार्टियों में इनकी जबर्दस्त पकड है। सरकार पंजा पार्टी की हो या फूल छाप की। इन्हे अब तक तो कोई फर्क नहीं पडा है। नए सरकारी फरमान का सचमुच में कोई असर नजर आएगा या नहीं ये आने वाले दिनों में देखने को मिल जाएगा। फिलहाल तो तमाम कब्जेधारी और भू माफिया इस फरमान को सरकारी नौटंकी मान कर चल रहे है। उन्हे पता है कि इन्दौर में जो कुछ हुआ वह तो हनी ट्रैप के ट्रैप से बचने के लिए किया गया था। रतलाम में फिलहाल ऐसा कोई खतरा है नहीं,इसलिए सरकारी फरमान बेकार ही रहेगा।

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