राग रतलामी/ बिल्ली के भाग से छींका टूटा,मैडम जी के मन में लड्डू फूटा
-तुषार कोठारी
रतलाम। मैडम जी जब तक शहर की पहली नागरिक थी,लोग परेशान होने के बावजूद उन्हे सम्मान देने को बाध्य थे। मैडम जी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में शहर का भला तो क्या किया उलटे शहर का भट्टा जरुर बैठा दिया था। यहां तक कि उन्हे प्रथम नागरिक बनाने वाले फूल छाप के लोग भी उनसे खासे परेशान थे। लोगों ने तब राहत की सांस ली थी,जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ और उनकी बिदाई हो गई। लेकिन अब देखिए कि बिल्ली के भाग से छींका ही टूट गया है।
सूबे में कमलनाथ की बिदाई के बाद मामाजी की सरकार बन गई और मामा की सरकार बनने के कारण ऐसे तमाम प्रथम नागरिकों की किस्मत चमकती हुई दिखाई देने लगी,जिन्हे कल तक कोई कौडियों के भाव पूछने को तैयार नहीं था। सूबे में जरुर ऐसे कई प्रथम नागरिक रहे होंगे,जिनकी पूछपरख बरकरार रही होगी,लेकिन रतलाम की पहली नागरिक का किस्सा बिलकुल अलग था। उनकी बिदाई के बाद उनकी कोई पूछ परख नहीं रह गई थी। उनकी बिदाई से लोग बडे खुश हुए थे।
लेकिन कोरोना संकट में सरकार में आए मामा ने ऐसे तमाम बिदा हो चुके प्रथम नागरिकों के लिए बडी मजेदार खुशखबरी सुना दी है। मामा ने कोरोना से निपटने के लिए हर कहीं एक मानिटरिंग कमेटी बनाने की घोषणा की है और इन कमेटियों में बिदा हो चुके प्रथम नागरिकों को अध्यक्ष बनाने का भी फैसला कर लिया है।
जब से मामा की यह घोषणा अस्तित्व में आई है,मैडम जी के मन में लड्डू फूटने लगे है। काफी लम्बे समय से शहर ने उन्हे एक तरह से घूरे के ढेर पर फेंक दिया था। कोई पूछने ताछने वाला न था। मैडम जी के लिए बीते दिनों को याद कर कर के ठण्डी सांसे भरने के सिवा और कोई चारा भी ना था। लेकिन इसी बीच मामा जी की घोषणा आ गई। सीधे सीधे बिल्ली के भाग से छींका टूट गया और मैडम जी के मन में लड्डू फूटने लगे। उनके मन में फिर से पुराने दिन लौट आने की उम्मीदें जवां हो गई।
कोरोना का संकट आए डेढ महीना होने को आया है। इन डेढ महीनों में शहर के तमाम सेवाभावी लोग,नेता,कार्यकर्ता कहीं ना कहीं अपने अपने स्तर पर कुछ ना कुछ काम करते हुए नजर भी आ रहे है। एक मैडम जी ही ऐसी थी,जो अब तक किसी को कहीं नजर नहीं आई थी। लेकिन सरकार की घोषणा के कारण अब उनकी हैसियत बढनेे के आसार बनते जा रहे है। अब अगर कोई मानिटरिंग कमेटी बनी तो मैडम जी उसकी अध्यक्षता करेंगी और काम में लगे तमाम लोगों से सवाल जवाब भी करने में सक्षम हो जाएंगी।
लेकिन जानकार लोग इससे खासे परेशान नजर आ रहे है। जिन्होने पांच सालों तक मैडम जी के तौर तरीके देखे है,वे जानते है कि मैडम जी काम तो करने नहीं देती,उसे उलझाने की तमाम कोशिशें जरुर करती है। हर काम में कुछ ना कुछ हासिल करने की कोशिश में भी लगी रहती है। जानकार लोगों को दुखडा यह है कि कोरोना के इस संकट काल में अगर मैडम जी के हाथ में पावर रही तो वे अपनी आदत के मुताबिक निश्चित रुप से चलते कामों में विघ्र खडे करेंगी और इस कामों में भी अपना लाभ जरुर तलाशेंगी। कुल मिलाकर कोरोना के खिलाफ चल रही लडाई उनके आने से मजबूत होने की बजाय कमजोर हो जाएगी और यह भी संभव है कि कोरोना पर जीत हासिल करने का ख्वाब भी उनके चक्कर में अधूरा ही रह जाएगा।
वैसे कहा तो यह भी जा रहा है कि मामा जी की घोषणा के बाद फूल छाप के ही कई नेताओं ने इस बात का विरोध कर दिया है। उधर पंजा पार्टी ने तो इसे संविधान विरोधी ही बता दिया है। शायद यही कारण है कि कई दिनों पहले हो चुकी इस घोषणा पर आगे कोई कार्यवाही होती अब तक दिखाई नहंी दी है। अब मैडम जी के लिए इंतजार की इंतेहा होने लगी है। देखना यह है कि किसकी किस्मत जोरदार है? मैडम जी की या शहर की? अगर मैडम जी की किस्मत अच्छी होगी,तो उन्हे अध्यक्षता का मौका मिल जाएगा और शहर की किस्मत अच्छी हुई तो यह मामला ठण्डे बस्ते में चला जाएगा।
दुकानदार खुद ही चोर…
कोरोना का सबसे ज्यादा कहर नशेडियों पर ही टूटा है। दुकानें बन्द है और दुकानदार माल चार गुने दामों पर बिकवा रहे हैं। मजबूर नशेडी चार गुने दामों पर माल खरीद रहे है। लेकिन अब जब दुकानदारों के पास रखा माल भी खत्म होने को आया तो दुकानदारों ने अपनी ही दुकानों में चोरी करवा कर माल बेचने का फार्मूला निकाला। नामली के पास की एक दुकान में से सवा सौ से ज्यादा पेटी माल चोरी हो गया। तहकीकात हुई तो महकमों को लगा कि ये काम तो दुकानदार ही करवा रहे है। वर्दी वालों ने इस केस पर काम शुरु कर दिया है। कर्मचारी की गिरफ्तारी हो गई है,ठेकेदार की बाकी है।