May 17, 2024

राग रतलामी/ टोपीवालों पर भारी पडे वर्दी वाले, कोरोना पाजिटिव के आंकडों में उलझन

-तुषार कोठारी

रतलाम। जब से कोरोना की कहानी में मरकज के जमातियों की एन्ट्री हुई,तभी से कोरोना का कहर पहले से ज्यादा बढ गया। कोरोना फाइटर्स इससे भी लडने को तैयार थे,लेकिन बाद में जमातियों से जुडे टोपीवालों ने कोरोना फाइटर्स के साथ ही फाइट शुरु कर दी। कोरोना फाइटर्स पर होने वाले हमलों की खबरें देख देख कर रतलाम के लोग ये सोच कर खुश थे कि रतलाम पूरे देश से अलग है। यहां के टोपीवाले समझदार है। लेकिन रतलाम वालों की ये गलतफहमी जल्दी ही दूर भी हो गई। पता चल गया कि यहां के टोपीवालों की अकल भी उतनी ही है,जितनी कि देश के दूसरे शहर वालों की।
दो हफ्ते पहले तक सबकुछ ठीक ठाक था। लेकिन अचानक शहर में लाए गए एक मुर्दे ने पूरे शहर को खतरे में डाल दिया। इसके बाद तो रतलाम भी नेशनल न्यूज में आने लगा। यहां भी बारह पाजिटिव मिल गए। इसके बावजूद भी शहर वालों को उम्मीद थी कि यहां के टोपीवाले दूसरे शहरों की तुलना में समझदार है। वो समझदारी दिखा रहे है और उनकी समझदारी के कारण रतलाम को इस समस्या से जल्दी निजात मिल जाएगी।
लेकिन टोपीवालों ने आखिरकार इसे भी गलत साबित कर दिया। सरकार ने जिन इलाकों को सील किया था वो सील ना रह सका। सील किए गए इलाकों के समझदार इलाके से चोरी छुपे बाहर निकलते रहे। इधर उधर घूमते रहे और शहर के लिए खतरा बढाते रहे।
वे यहीं नहीं रुके। कुछ टोपीवाले तो बाकायदा जुमे पर जौहर दिखाने के लिए एक साथ इकट्ठा भी हो गए। बस यहीं से वर्दीवालों का रोल शुरु हुआ। वर्दीवालों को जैसे ही खबर लगी,उन्होने जौहर दिखा रहे टोपीवालों की सैनेटाइज करने के लिए उनकी अच्छे से धुलाई की और फिर उन्हे क्वारन्टाइन कर दिया।
टोपीवालों की हरकत का नतीजा दूसरे लोगों को भी भुगतना पडा। वर्दीवालें पिछले दो तीन दिनों से पूरे शहर में घूम घूम कर बाहर घूम रहे लोगों को सैनेटाइज करने के लिए उनकी धुलाई कर रहे है। वर्दीवाले सैनैटाइजेशन का कार्यक्रम बिलकुल ठीक ढंग से चला रहे है। इसी का नतीजा है कि कोरोना का खतरा फिलहाल काबू में है।
लेकिन वर्दीवालों की बडी चुनौती अभी बाकी है। कुछ दिनों बाद ही रोजों का महीना आने वाला है। अब यह तो तय हो ही गया है कि यहां के टोपीवाले भी वैसे ही है जैसे दूसरी जगहों के। ऐसे में हो सकता है कि आने वाले दिनों में वर्दीवालों को टोपीवालों का ज्यादा ध्यान रखना पडे।

आंकडो की उलझन

कोरोना संकट के इन दिनों में सबसे बडी खबर कोरोना बुलेटिन ही होता है। तमाम खबरची और फिर आमलोग कोरोना बुलेटिन का अपडेट जानने के लिए बेताब रहते है। जिला प्रशासन का कोरोना बुलेटिन पिछले तीन दिनों से एक जैसा ही है। इसमें सबसे खास आंकडा कोरोना पाजिटिव वाला जस का तस है,जबकि सैम्पलों की संख्या बढती जा रही है। लेकिन प्रदेश का आंकडा कुछ अलग कहानी कह रहा है। जिले के बुलेटिन में कोरोना पाजिटिव का आंकडा 12 पर अटका हुआ है लेकिन राज्य के बुलेटिन में यह बढकर 13 हो गया है। लोग समझ नहीं पा रहे कि किसे सही माने? यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि आंकडो की ये उलझन क्यों पैदा हुई है।

कहां है सुरक्षा के साधन…

कोरोना संकट को चलते एक महीने का वक्त होने को आया। इस दौरान अब तो जिले में कोरोना पाजिटिव भी निकल आए है। लेकिन कोरोना की खोज करने वालों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम अब तक नहीं हो पाया है। कोरोना के खतरनाक इलाकों में उतरने वाले इन योध्याओं के पास बचाव के कोई साधन नहीं है। ना तो उन्हे पीपीई किट दिए जा रहे है और ना जांच के उपकरण। इसके बावजूद उनकी हिम्मत देखिए कि वे हर आदमी से केवल बात करके पता लगा लेते है कि किसे समस्या है और किसे नहीं? यही आलम रहा तो कोई बडी बात नहीं कि कोरोना की खोज करने वाले ही इसकी चपेट में भी आ जाए।

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