November 15, 2024

मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं

धर्म और कट्टरवाद से ऊपर उठकर खुशी को अहमियत
हिन्दू- मुस्लिम की एकता की मिसाल कुछ लोग
जयपुर,21 अगस्त (इ खबरटुडे)।भारत विविधताओं का देश है और त्योहारों से इसकी सांस्कृतिक विरासत का अहसास होता है। आज भी कुछ लोग धर्म और कट्टरवाद से ऊपर उठकर खुशी को अहमियत देते हैं हुए हिन्दू- मुस्लिम की एकता की मिसाल बने हुए हैं।

जी हां राजस्थान में एक जगह ऐसा भी है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। कम ही लोगों को ही इसकी जानकारी होगी। राजधानी जयपुर से 200 किलोमीटर दूर झुंझुनू जिले के चिरवा स्थित नरहर दरगाह, जिसे शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह के रूप में भी जाना जाता है।
यहां भगवान कृष्ण के जन्मदिन यानी जन्माष्टमी के अवसर पर तीन दिनों का उत्सव आयोजित किया जाता है। त्योहार के दौरान दरगाह के आस-पास 400 से ज्यादा दुकानें सज जाती हैं। जन्माष्टमी की रात यहां मंदिरों की तरह ही कव्वाली, नृत्य और नाटकों का आयोजन होता है।
यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता हैamzing
दरगाह के सचिव उस्मान अली कहते हैं, ‘यह कहना बेहद मुश्किल है कि यह त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ, लेकिन इतना जरूर है कि यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता है। क्योंकि त्योहार को यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख साथ मिलकर मनाते हैं।’
यहां आकर उन्हें मानसिक शांति मिलती है
उन्होंने कहा कि नवविवाहित जोड़े यहां खुशहाल और लंबे वैवाहिक जीवन की मन्नतें मांगने आते हैं। पास के गांव की रेखा ने कहा कि वह यहां पिछले दो साल से आ रही हैं। यहां आकर उन्हें मानसिक शांति मिलती है। साथ ही वह मेले का भी लुत्फ उठाती हैं।
‘यहां हजारों हिंदू आते हैं और दरगाह में फूल,चादर,नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं
‘यह पर्व पिछले 300-400 वर्षों से मनाया जा रहा है। यहां हर समुदाय के लोग आते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और मुस्लिमों में भाईचारे को बढ़ावा देना है।’त्योहार के दौरान यहां बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग आते हैं। उन्होंने कहा, ‘यहां हजारों हिंदू आते हैं और दरगाह में फूल, चादर, नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं।’

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