November 23, 2024

मुस्लिम वोटों के चक्कर में नागरिकता कानून पर बेशर्मी से झूठ फैलाते विपक्षी नेता

– तुषार कोठारी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पिछले दिनों एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में यह कह रहे थे कि पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान में कुल तीन करोड अल्पसंख्यक है। अगर उन्हे यहां बुलाया गया तो हमारे देश के युवाओं के रोजगार का क्या होगा? बेशर्मी से झूठ बोलने का इससे बडा कोई और उदाहरण हो सकता है? एक प्रदेश का मुख्यमंत्री,वह भी आईआईटीयन,इतना नासमझ कैसे हो सकता है कि वह नागरिकता कानून के प्रावधानों को ही नहीं समझ पा रहा हो? नहीं वह नासमझ नहीं है। वह बेशर्मी से झूठ बोलकर आने वाले चुनावों में अल्पसंख्यकों के वोट जुगाडने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में संसद के दोनो सदनों से पास कर बनाए गए नागरिकता कानून में कट आफ डेट वर्ष 2014 की रखी गई है। संसद के दोनो सदनों में बहस के दौरान दर्जनों बार इसका उल्लेख भी हुआ है कि वर्ष 2014 से पूर्व भारत में शरण लेने आए शरणार्थियों को इस कानून के जरिये भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कह रहे है कि इन तीन देशों में रह रहे तीन करोड अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बुलाया जा रहा है।
सिर्फ केजरीवाल ही नहीं,विपक्ष के तमाम नेता खुलेआम अफवाहे फैलाने में लगे है। वे संसद के भीतर भी और अब बाहर भी यही झूठ फैलाने में लगे है कि भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता छीनी जाने का कानून बनाया गया है।
हमारे देश का अल्पसंख्यक समाज इन्ही कथित ठेकेदार नेताओं के चक्कर में आज तक अशिक्षा और गरीबी के अंधकार में डूबा हुआ है। उन्हे जब तब इस्लाम खतरे में है का डर दिखा कर नेता बरगलाते रहे है और अपने लिए वोटों की जुगाड करते रहे हैं। देश में जहां कहीं भी प्रदर्शन हो रहे है,वे इसी चक्कर में किए जा रहे है।
इन प्रदर्शनों में शामिल प्रदर्शनकारियों में से किसी को भी ये बात पता नहीं है कि असलियत क्या है? मीडीयाकर्मियों ने जब भी प्रदर्शनकारियों से इस बारे में पूछा,वे कोई जवाब नहीं दे पाए।
जिन विश्वविद्यालयों में इस मुद्दे को लेकर छात्रों को भडकाया जा रहा है,वहां भी यही स्थिति है। एक झूठी समस्या को लेकर देश भर में हायतौबा मचाई जा रही है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों को इस कानून के विरोध में अपने वोटों की खेती नजर आ रही है। कांग्रेस को लगता है कि इस मुद्दे को इस्लाम विरोधी साबित करने से मुस्लिम वोट उनकी झोली में आ जाएंगे। वहीं ममता दीदी को घुसपैठियों के रुप में मिले थोकबन्द वोटों के गायब हो जाने का डर सता रहा है।
मीडीया का एक वर्ग भी इस झूठे अभियान में पूरी ताकत से जुटा हुआ है। जिस टीवी शो में अरविन्द केजरीवाल यह कह रहे थे कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत में लाया जा रहा है,उस टीवी एंकर ने केजरीवाल के इस कथन पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई और ना ही इस पर कोई सवाल पूछा कि जब नागरिकता कानून में कट आफ डेट वर्ष 2014 की तय की गई है तो वर्ष 2014 के बाद आने वाले लोगों को नागरिकता कैसे मिल जाएगी और सरकार ने कब पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत आने का निमंत्रण दिया है? टीवी एंकर ने केजरीवाल के झूठ बोलने के बाद तुरंत नया मुद्दा छेड दिया।
अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज में आज भी अशिक्षा और गरीबी का बोलबाला है। उनकी जनसंख्या का बडा हिस्सा आज भी अशिक्षित है और कानून को नहीं समझता। संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही का टीवी पर सीधा प्रसारण होता है,लेकिन उन्हे देखने वालों की संख्या बेहद सीमित होती है। विपक्षी नेता जानते है कि अशिक्षित जनता को आसानी से भ्रमित किया जा सकता है। सरकार की तमाम अपीलों के बावजूद विपक्षी दल पूरी बेशर्मी से झूठ बोलकर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को भ्रमित कर रहे है। ऐसे में जरुरी है कि झूठ बोलकर अफवाहे फैलाने वाले इन नेताओं पर भी कडी कार्यवाही की जाए। अफवाहे फैलाकर देश की शांतिभंग करने के कुत्सित प्रयास को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सहन नहीं किया जाना चाहिए। देश में अब तक एनआरसी का कोई ड्राफ्ट सामने नहीं आया है और ना ही एनआरसी लागू करने की कोई तारीख ही सामने आई है,ऐसे में नागरिकता कानून के साथ एनआरसी को जोड कर भ्रम फैलाने के इस षडयंत्र के खिलाफ कडी कार्यवाही करना ही समस्या के निराकरण का सही उपाय है।
इस नागरिकता कानून को असंवैधानिक बताने वाले तमाम विपक्षी नेताओं की बेशर्मी इस बात से नजर आती है कि एक तरफ तो वे संविधान की दुहाई देते है,वहीं दूसरी ओर संवैधानिक मर्यादाओं को सरेआम ताक पर रखकर केन्द्रीय कानून को लागू नहीं करने जैसी असंवैधानिक बातें करते हैं। संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुआ कोई व्यक्ति कैसे संवैधानिक मर्यादाओं को तार तार कर सकता है,लेकिन विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित तमाम प्रदेशों के मुख्यमंत्री इन दिनों यही कह रहे है। संविधान की ही दुहाई देकर संविधान का मजाक बनाने से बडी बेशर्मी और क्या हो सकती है?

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