मध्य प्रदेश में रोचक रहा है मतदान प्रतिशत का उलटफेर
भोपाल,29 नवंबर (इ खबरटुडे)। विधानसभा चुनाव 2018 के लिए जनता ने अपना फैसला सुना दिया। इस बार करीब 75 प्रतिशत मतदान हुआ। किसके हाथ सत्ता लगेगी, वो तो 11 दिसंबर को पता चलेगा। लेकिन पिछले 33 सालों में हुए 7 चुनावों की वोटिंग की बात करें तो रोचक बात सामने आती है। जब-जब मतदान लगभग 5 प्रतिशत बढ़ता है तो सत्ता परिवर्तन हो जाता है।
1985 की तुलना में 1990 में लगभग साढ़े चार फीसदी ज्यादा लोगों ने वोटिंग की तब प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीनी थी। इसके तीन साल बाद हुए चुनाव में करीब साढ़े 6 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ तो फिर परिवर्तन हुआ, अब कांग्रेस के हाथ में सत्ता थी। बात करें 2003 की तो इस बार 1998 के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा वोट गिरे।
इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। उमा भारती ने दिग्विजय सरकार का तख्ता पलट किया था। 2003 के बाद हुए दो चुनावों में क्रमश: 2.03 प्रतिशत और 3.38 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई। प्रदेश में भाजपा सत्ता में बरकरार रही।
इंदौर में रिकॉर्ड वोटिंग :14% ज्यादा मतदान
देश में सबसे स्वच्छ शहर इंदौर मताधिकार को लेकर भी जागरूक और सतर्क नजर आया। बुधवार को इंदौर में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ। सबसे ज्यादा मतदान देपालपुर में 84% हुआ तो, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक पांच में वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 14 % ज्यादा मतदान हुआ। सबसे कम मतदान इंदौर क्षेत्र क्रमांक एक में 67% हुआ है।
रतलाम में 3% ज्यादा मतदान
मतदान प्रतिशत में बढोत्तरी को लेकर अलग अलग राजनैतिक दलों द्वारा अलग अलग अनुमान लगाए जा रहे है। भाजपा के विश्लेषक मतदान प्रतिशत की बढोत्तरी को अपने पक्ष में मान कर चल रहे है। रतलाम शहर सीट पर करीब तीन प्रतिशत की वृध्दि हुई है। इसमें अभी एक से डेढ प्रतिशत और वृध्दि होने का अनुमान है। भाजपा के विश्लेषक यह मानकर चल रहे है कि इस बार जुडे नए मतदाता पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में है।
मतदान प्रतिशत में तीन से चार प्रतिशत की वृध्दि होने पर भाजपा को उन सीटों पर सबसे ज्यादा फायदा होता है,जहां हार जीत का अंतर डेढ से दो हजार का रहता है। ऐसी सीटों पर मतदान प्रतिशत बढने से भाजपा की जीत की संभावना बढ जाती है।