July 3, 2024

भाषा मात्र विचारों की अभिव्यक्ति की संवाहक नहीं अपितु संस्कृति की संवाहक है – डॉ श्री राम परिहार

 रतलाम,16 अप्रैल(इ खबरटुडे)।  नगर के प्रख्यात शिक्षाविद् स्व. भँवर लाल जी भाटी की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के दूसरे दिन रविवार को स्थानीय रँगोली सभागृह में ” राष्ट्रीय अस्मिता एवम् भारतीय भाषाएँ ” विषय पर देश के प्रसिद्ध साहित्यकार एवम् साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ, श्री राम परिहार ने नगर के उपस्थित सुधिजनो को संबोधित करते हुए कहा कि जिस राष्ट्र की धरा पर हमने जन्म लिया , उस राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा तभी सम्भव है जब स्वयं की भाषाएँ सुरक्षित हो , आयातित भाषाओं से राष्ट्र एवम् स्वयं की अस्मिता शून्य होगी ।
यदि भाषा ही स्वयं की नहीं होगी तो यह राष्ट्र ही हमारा कैसे होगा ।जिन नदियों के स्त्रोत सजल नहीं होते वे वर्षा ऋतु के पश्चात् सूख जाती है , उसी तरह जिस संस्कृति की अपनी भाषाएँ नहीं होगी वह संस्कृति भी सूख जाएँगी । हमारी सभी ललित कलाएँ , हमारे सभी सन्दर्भ , हमारे लोक नृत्य , हमारे पर्व , हमारे लोक व्यवहार सब कुछ हमारी अपनी भाषाओं में ही तो है तो फिर किसी विदेशी भाषा से हम इन सभी को कैसे समझ सकते है । हमारा स्वतंत्रता आन्दोलन कौनसी भाषाओं में हुआ , वेदान्त का दर्शन स्वामी विवेकानंद ने विश्व को कौनसी भाषा में प्रदान किया । भूगोल संस्कृति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है , हम गर्म देश के लोग है , हमारे यहाँ छः ऋतुएँ होती है , इस प्रकृति को हम अपनी ही भाषाओँ में ही महसूस कर सकते है ।यह सांस्कृतिक बोध ही हमारी अस्मिता की रक्षा करता है । कई भाषाओं को सीखना आपत्तिजनक नहीं है लेकिन हम अपनी संस्कृति से अपनी ही भाषा  के माध्यम से जुड़ पाएँगे किसी अन्य भाषा से नहीं ।यदि भाषा ही स्वयं की नहीं होगी तो यह राष्ट्र अपना कैसे होगा ।इसलिये स्वयं को बचाने के लिए एवम् राष्ट्र को बचाने के लिए भाषाओं को बचाना होगा ।
व्याख्यानमाला की अध्यक्षता करते हुये समाजसेवी गुस्ताद अंकलेसरिया ने भी भारतीय भाषाओँ के भारत के विकास में योगदान का उल्लेख किया । अपने स्वागत उदबोधन में समिति के अध्यक्ष डॉ देवकीनन्दन पचौरी ने भारतीय भाषाओं को उचित स्थान नहीं मिलने के ऐतिहासिक कारण बताते हुए कहा कि राज सत्ताओं से भाषाओं का उत्थान संभव नहीं ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने भारत माता एवम् डॉ भीमराव राम जी अम्बेडकर के चित्र का पूजन कर शुभारंभ किया । कार्यक्रम का प्रभावी संचालन मालवी बोली में श्रीमती संतोष निनामा ने किया । इस अवसर पर बड़ी संख्या में नगर के प्रबुद्ध नागरिक गण उपस्थित थे ।

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