भारत माता की जय बोलना हुआ अपराध,नामली के कान्वेन्ट स्कूल ने बच्चों को परीक्षा से वंचित किया,अब आन्दोलन की तैयारी
रतलाम,13 जनवरी (इ खबरटुडे)। स्कूल में बच्चे भारत माता की जय नहीं बोल सकते। भारत माता की जय बोलने पर उन्हे परीक्षा देने से रोक दिया जाता है। पुलिस और प्रशासन कोई कार्यवाही करने को राजी नहीं,क्योकि इसकी किसी ने शिकायत नहीं की है। बच्चों के अभिभावक जानते है कि बच्चों को भारत माता की जय नहीं बोलने दिया जाता,लेकिन वे स्कूल प्रबन्धन की शिकायत नहीं करते,उन्हे बच्चों का भविष्य बिगडने का डर है। यह वाकया किसी दूसरे देश या प्रदेश का नहीं है,बल्कि राष्ट्रवादी भाजपा द्वारा शासित मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के नामली कस्बे का है।
घटनाक्रम गुरुवार का है। नामली स्थित सेन्ट जोसेफ कान्वेन्ट स्कूल में इन दिनों प्री बोर्ड परीक्षाएं चल रही है। इसमें कक्षा नौंवी के 32 छात्र शामिल है। गुरुवार सुबह करीब पौने बजे प्रार्थना के बाद कुछ बच्चों ने स्कूल परिसर में भारत माता की जय का जयकारा लगा दिया। इससे स्कूल संचालिका सिस्टर मेरी बुरी तरह नाराज हो गई। उन्होने बच्चों को जमकर फटकार लगाई और उन्हे परीक्षा देने से मना कर दिया।
भारत माता की जय बोलने के अपराध में परीक्षा से वंचित हुए बच्चे बुरी तरह घबरा गए।उनमें से कुछ बच्चों को लगा कि शायद देश भक्ति जनसेवा वाली पुलिस उनकी मदद करेगी। ये नन्हे बच्चे नामली पुलिस थाने पर जा पंहुचे। पुलिस अधिकारियों ने बच्चों से इस घटना की लिखित शिकायत करने को कहा। कक्षा नौंवी के नन्हे बच्चे लिखित शिकायत देने से भी डर गए। उन्होने लिखित शिकायत तो नहीं की,लेकिन घटना की जानकारी अपने अभिभावकों को दी।
बच्चों के अभिभावकों को भी स्कूल प्रबन्धन से डर लगता है। इसलिए उन्होने इस बात की शिकायत पुलिस से करने की बजाय घटना की जानकारी नामली के हिन्दूवादी संगठनों को दी। बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने नामली पुलिस को इस घटना की जानकारी दी,तो पुलिस अधिकारियों ने उन्हे कहा कि यह मामला स्कूल शिक्षा विभाग का है,इसलिए इस बात की शिकायत वहां की जाना चाहिए।
नामली के लोगों का कहना है कि इस स्कूल में भारत माता की जय नहीं बोलने दिए जाने का यह पहला मामला नहीं है। पिछले वर्ष 15 अगस्त 2017 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर भी बच्चों को भारत माता की जय का नारा नहीं लगाने दिया गया था। जब इस बात पर स्थानीय संगठनों ने विरोध दर्ज कराया,तब स्कूल संचालक ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने का विश्वास दिलाया था। लेकिन स्कूल संचालकों ने फिर से वही किया। और इस बार तो भारत माता की जय बोलने वाले बच्चों को परीक्षा से ही बाहर कर दिया गया।
नन्हे बच्चों की शिकायत लेकर नामली पुलिस थाने पर पंहुचे बजरंग दल कार्यकर्ता राजेश परिहार ने बताया कि उन्होने स्वयं कई बच्चों से बात की है। बच्चों का कहना है कि उनके स्कूल में राष्ट्रगीत के बाद भारत माता की जय नहीं बोलने दिया जाता। पहले एक बच्चे ने प्रार्थना के बाद भारत माता की जय का नारा लगा दिया था,तो उसे टेस्ट देने से रोक दिया गया था। बजरंग दल कार्यकर्ताओं के पास कई बच्चों के विडीयो भी है,जिन्होने यह स्पष्ट कहा है कि उन्हे भारत माता की जय नहीं बोलने दिया जाता। राजेश परिहार के मुताबिक पहले तो बच्चों के अभिभावक स्कूल प्रबन्धन की शिकायत करने को तैयार नहीं थे,लेकिन अब कुछ अभिभावक इसके लिए तैयार हुए है। इसके अलावा बजरंग दल और आरएसएस द्वारा इस मामले में आन्दोलन करने की तैयारी की जा रही है। बजरंग दल और आरएसएस के पदाधिकारी इस मामले में कलेक्टर से भेंट करने की भी तैयारी कर रहे है। स्कूल की शिकायत करते बच्चों के विडीयो फुटेज इ खबर टुडे के पास भी उपलब्ध है।
दूसरी ओर प्रशासन का रवैया टालमटोल वाला है। एसपी अमित सिंह का कहना है कि यह कोई गंभीर मसला नहीं है। वास्तव में बच्चों ने भारत माता की जय बोलने के बाद कुछ मस्ती की थी और वे हंस रहे थे। इसलिए स्कूल प्रबन्धन ने उन्हे रोका था। एसपी श्री सिंह इस सवाल को टाल गए कि सेन्ट जोसफ कान्वेन्ट स्कूल में पहले भी भारत माता की जय बोलने पर रोक लगाने का मामला सामने आया है। एसपी श्री सिंह के मुताबिक इस मामले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए।
स्कूल के अधिकृत मोबाइल नम्बर पर फोन करने पर स्कूल की एक शिक्षिका ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि स्कूल पर लगाए गए आरोप झूठे है। बच्चे भारत माता की जय का नारा लगाने के समय हंसी मजाक कर रहे थे और अनुशासनहीता कर रहे थे। इसलिए उन्हे डांटा गया था। परीक्षा से वंचित करने जैसी कोई बात नहीं हुई है। उक्त शिक्षिका से जब कहा गया कि वे स्कूल के किसी जिम्मेदार पदाधिकारी से बात करवा दें,तो उनका कहना था कि वे कुछ समय बाद बात करवा देगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थानीय प्रवक्ता डॉ.रत्नदीप निगम का कहना है कि स्वतंत्र भारत में भारत माता की जय बोलने से रोकना न सिर्फ नैतिक बल्कि संवैधानिक अपराध है। इसके विरुध्द प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। संघ की प्रशासन और शासन से यह अपेक्षा है कि इस प्रकार का अपराध करने वालों के विरुध्द कडी दण्डात्मक कार्यवाही की जाए,जिससे कि भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस नहीं कर सके।