November 15, 2024

भारत ने बलूचिस्तान में दखल बढ़ाया तो चीन-पाकिस्तान मिलकर कदम उठाएंगे : चीनी थिंकटैंक

बीजिंग 29 अगस्त(इ खबरटुडे)। चीन के एक प्रभावी थिंक टैंक ने कहा है कि अगर भारत के किसी ‘षड्यंत्र’ ने बलूचिस्तान में 46 अरब डॉलर लागत की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को बाधित किया तो फिर चीन को ‘मामले में दखल देना पड़ेगा, और चीन व पाकिस्तान मिलकर कदम उठाएंगे.’ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति पर चिंता ज़ाहिर किया जाना भी चीनी विद्वानों के लिए ‘चिंता का विषय’ है.

चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशियन एंड ओसिनियन स्टडीज़ के निदेशक हू शीशेंग ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र, चीन और इसके विद्वानों की ‘ताजा चिंता’ है. चीन की स्टेट सिक्योरिटी के मंत्रालय से संबद्ध इस प्रभावी थिंकटैंक के अध्ययनकर्ता ने यह भी कहा कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर इसके रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी के समान है.

हू ने कहा, “मेरी निजी राय यह है कि यदि भारत अड़ियल रवैया अपनाता है और यदि चीन या पाकिस्तान पाते हैं कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को बाधित करने के पीछे कोई भारतीय कारक है, यदि यह हकीकत में हो जाता है, तो यह भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए परेशानी बन जाएगी…”

उन्होंने कहा, “यदि ऐसा होता है तो चीन और पाकिस्तान के पास एकजुट कदम उठाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह जाएगा… मैं कहना चाहता हूं कि चीन-भारत संबंधों में सबसे ज्यादा परेशान करने वाले कारक के तौर पर फिर पाकिस्तान का पहलू उभर सकता है, और यह तिब्बत, सीमा एवं व्यापार असंतुलन के मुद्दों से भी ज्यादा बड़ा हो सकता है…” हू के मुताबिक, “तीनों देश अपने आर्थिक एवं सामाजिक विकास के मौजूदा तथ्यों से पटरी से उतर सकते हैं, और यह काफी बुरा हो सकता है…”

हू ने कहा, “चीन के लिए ताजा चिंता प्रधानमंत्री मोदी के लालकिले से दिए गए भाषण में पाक-अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान का जिक्र है.” उन्होंने कहा, “यह पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति में निर्णायक मोड़ हो सकता है. चीनी बुद्धिजीवियों की चिंता की वजह यह है कि भारत ने पहली बार यह (बलूचिस्तान) जिक्र किया है.”

हू ने कहा कि चीन को इस बात का डर है कि भारत, पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में ‘सरकार विरोधी’ तत्वों का इस्तेमाल कर सकता है, जहां चीन सीपीईसी में 46 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है. भारत वही तरीका अपना सकता है, जो उसके हिसाब से पाकिस्तान, भारत के मामलों में अपना रहा है. उन्होंने कहा, “ऐसा कोई षड्यंत्र अगर सीपीईसी को नुकसान पहुंचाएगा तो फिर चीन को मामले में दखल देना पड़ेगा.”

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग भी चीन के लिए चिंता की वजह बन रहाmodi obama nawaj
पाकिस्तान लंबे समय से कहता रहा है कि बलूचिस्तान की अशांति के पीछे भारत का हाथ है. भारत इससे इंकार करता रहा है. लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने भाषण में इस इलाके के उल्लेख से पाकिस्तान को संकेत दिया गया है कि जम्मू एवं कश्मीर में आतंकियों को समर्थन देने पर उसे उसी की भाषा में जवाब मिलेगा.हू ने कहा कि इससे पाकिस्तान को एक सहज-सामान्य स्थिति वापस पाने में दिक्कत होगी और इससे भारत-चीन के संबंध और बिगड़ेंगे. हू ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग भी चीन के लिए चिंता की वजह बन रहा है. पहले चीन को इससे फर्क नहीं पड़ता था कि भारत का किससे रक्षा सहयोग है, खासकर अमेरिका के संदर्भ में. लेकिन, अब चीन में इसे लेकर चिंता महसूस की जा रही है.
चाइना दूतावस पर बलोच नेताओं का नारा, ‘कदम बढ़ाओ मोदी जी’
बलूचिस्तान का मुद्दा गरमाता जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बलोच और सिंध के नेता पाकिस्तान और चीन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी के समर्थन में नारे भी लगाने शुरू कर दिए हैं. लंदन में इसी क्रम में चीन के दूतावास के बाहर बलोच और सिंध नेताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया.

चाइना दूतावास के सामने बलूचिस्तान समर्थकों ने ‘पीएम मोदी फॉर बलूचिस्तान’ और ‘कदम बढ़ाओ मोदी जी हम तुम्हारे साथ हैं’ जैसे नारे लगाए. इसके साथ ही बलोच नेता नूरदीन मेंगाल ने कहा कि पाकिस्तान और चीन की यही नीति है कि जो चीज छीन सकते हो उसे छीनों. बलोच नेता चाइना-पाक आर्थिक गलियारे(सीपीईसी) को लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे थे.

सिंध प्रांत के लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है

इस बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत ने भी आजादी की मांग की है. इसके लिए सिंध प्रांत के लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. साथ ही प्रांत के लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनको भी आजाद कराने की मांग की है. इस वक्त सभी का ध्यान बलूचिस्तान और पाकिस्ताकन की आजादी पर है लेकिन आजादी का एक बड़ा आंदोलन इस समय सिंध प्रांत में भी चल रहा है.

 

गौरतलब है कि यहां के लोग चीन और पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे के विरोध में भड़क उठे हैं. भारत के साथ इस योजना के खिलाफ खड़े हो गए हैं. बीते गुरूवार को सिंध के कई छोटे बड़े शहरों और दूसरे देशों में बसे सिंध के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए. बता दें कि पाकिस्तान ने यहां पर चीन को बड़े पैमाने पर जमीन मुहैया कराई है जिस पर कथित तौर पर सीपीईसी बनाया जाना है.

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