May 5, 2024

भारतीय वायुसेना के लिए क्यों बेहद खास है स्वदेश-निर्मित ‘तेजस’ लड़ाकू विमान

नई दिल्‍ली,01जूलाई(इ खबरटुडे)।भारत में निर्मित एक लड़ाकू विमान, जो लगभग हर वायुसेना प्रमुख का पसंदीदा विषय रहा है, उसके निर्माण में इतनी अधिक देरी हो गई कि ऐसा लगने लगा कि यह एक ऐसा वादा है जो कभी पूरा नहीं हो पाएगा। हालांकि ‘तेजस’ नाम के इस लाइट कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट का विकास शुरू होने के करीब तीन दशक बाद अब बेंगलुरु में शुक्रवार को भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल हो गया, जो कई मायनों में विश्‍वस्‍तरीय है।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि लाइट कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम में हुई देरी को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। इसके कारणों को लेकर कई बार गर्मागर्म बहस भी हो चुकी है। इस बारे में तेजस कार्यक्रम में मुख्‍य भूमिका निभाने वाली सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) का कहना है कि भारतीय वायुसेना का लक्ष्य बदलता रहा कि तेजस में वास्तव में उसे क्या चाहिए। कंपनी ने यह भी बताया कि पोखरण परमाणु परीक्षण, 1998 के बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भी तेजस कार्यक्रम पर बहुत बुरा असर पड़ा और इसके लिए अतिमहत्वपूर्ण तकनीक हासिल नहीं की जा सकी।
जहां तक वायुसेना की बात है, वह इस बात पर जोर देती रही कि विश्‍व बाजार में इससे बेहतर विकल्‍प मौजूद हैं और ऐसी कंपनियां मौजूद हैं, जो मिलिट्री एविएशन में दशकों से काम कर रही हैं। तेजस के बारे में वह कहती रहीं कि जब तक यह वायुसेना में शामिल होगा, तब तक यह पुराना हो चुका होगा।
इजराइल में बने मल्‍टीरोल रडार एल्‍टा 2032, दुश्‍मन के विमानों पर हमला करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलें और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्‍नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस तेजस क्षमता के मामले में कई मायनों में फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है, जिसे हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने इस कार्यक्रम के लिए बेंचमार्क माना था।
3000 से ज्‍यादा उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी की 
विमान का परीक्षण करने वाला प्रत्‍येक पायलट तेजस के फ्लाइट कंट्रोल सिस्‍टम से संतुष्‍ट है, चाहे कलाबाजी में इसकी कुशलता हो या फिर इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्‍टम की रिस्‍पॉन्‍सिवनेस। तेजस की परीक्षण उड़ानों के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना में किसी भी पायलट को कभी कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा है। अब तक इसकी 3000 से ज्‍यादा उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं।
इन तथ्‍यों के बावजूद आलोचकों का कहना है कि तेजस पूरी तरह स्‍वदेशी नहीं है। उनका कहना है कि इसका इंजन अमेरिकन है, रडार और हथियार प्रणाली इजराइली हैं, इसकी इजेक्‍शन सीट ब्रिटिश है, साथ ही इसके कई अन्‍य कलपुर्जे भी आयातित हैं। हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स का कहना है कि फ्रांस के रफाल और स्‍वीडन के ग्रिपन जैसे विमानों में भी विदेशी सिस्‍टम लगे हैं क्‍योंकि इतनी कड़ी प्रतिस्‍पर्धा के बीच कलपुर्जों का विकास करना बहुत ही महंगा और बहुत ही ज्‍यादा समय लेने वाला होता है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds