भगवान से विमुख होकर, जप-तप-यज्ञ का कोई महत्व नहीं
बड़ारामद्वारा में चल रही भागवत कथा में सिंथल पीठाधीश्वर ने करवाया कथा का रसपान
रतलाम 03 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। पुरोहितजी का वास स्थित बड़ा रामद्वारा में चल रहे भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ में कथा के पांचवे दिन शनिवार को रामस्नेही संप्रदाय सिंथल पीठाधीश्वर क्षमारामजी महाराज ने भागवत रूपी समुद्र से कई विद्वानों, महापुरुषों, ऋषियों तथा राजाओं की कथा के प्रसंग सुनाऐ। महाराज ने सारगर्भित तरीके से मौजूद भक्तों को प्रेम, निस्वार्थता, परमार्थ, भगवत सेवा का अर्थ समझाते हुए इन्हें जीवन में अंगीकार करने की सीख दी। कथा के प्रारंभ में मौजूद सैकड़ों भक्तों ने बड़ा रामद्वारा के महंत गोपालदास जी महाराज से आशीर्वाद लिया।
महाराज ने कहा कि सबसे बड़ा धर्म भगवान के सम्मुख होना है। भगवान से विमुख होकर कोई भी जप, तप सफल नहीं होता। उन्होंने बताया कि राजा दक्ष ने यज्ञ किए लेकिन भगवान शंकर से विमुख होकर किए। इसलिए उनके सभी यज्ञ, तप आदि विफल हो गए। महाराज ने कहा कि धन की भी इच्छा हो तो भगवान का आश्रय लें, दर दर भटकने से कोई उपाय नहीं होता है। उन्होंने कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि ध्रुव ने भी राज्य की कामना की तो भगवान से ही प्रार्थना की। परमात्मा ने भी उसके निश्छल भक्ति के बदले उसे 36 हजार वर्षो तक राजा होने का वरदान दिया। वैसे कोई भी कामना न रखकर भगवान की ओर बढऩा ज्यादा अच्छा है। संसारी व्यक्ति परमार्थ तो करता है लेकिन वह इसमें भी भगवान से संसार ही मांगता है। वास्तविक परमार्थी साधक संसार में रहकर भी परमार्थ को साध लेता है।
गौमाता का महत्व अद्वितीय
महाराज ने कहा कि हिंदु धर्म में गाय का विशेष महत्व है। प्रथु चरित्र सुनाते हुए कहा कि यह बात स्पष्ट होती है कि मनुष्यों के पास जो भी धन, वैभव, यश है और देवताओं, गंधर्वो के पास जो प्रभाव, वैभव, सुख हैं, उसके पीछे देशी प्रजाति गोमाता की सेवा है। पुन: जन्म की व्याख्या का सार बताते हुए कहा कि प्रत्येक शरीर में रहने वाले जीव के परम सखा परमात्मा है। जड़भरत की कथा सुनाते हुए कहा कि अंत समय में ंिचंतन अनुसार ही मनुष्य की गति होता है। अंत समय जाने कब आ जाए, इसलिए हमेशा चिंतन सुधारें तथा परमार्थ मन में रखे ताकी मृत्यु पश्चात भी हमारी दुगर्ति न हो। महाराज ने नाम महिमा प्रसंग में अजीमल कथा सुनाते हुए कहा कि अजीमल जैसे राक्षस का उद्धार केवल नाम जपने मात्र से हो गया। यही नाम अगर हम जपें तो हमारे भी सारे पाप नष्ट हो सकते हैं। महाराज ने नरसिंह अवतार, भगवान राम अवतार की कथा, वामन अवतार की कथा संक्षिप्त में सुनाई। कृष्ण कथा का भी प्रसंग सुनाया। कथा में रविवार को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।