May 20, 2024

बिग बटरफ्लाई मंथ‘ में राजस्थान को मिला गौरव,मिली दो नई तितलियों की प्रजातियां

उदयपुर,07 सितम्बर (इ खबरटुडे)। इन दिनों जबकि देशभर में तितलियों को गिनने, समझने व संरक्षण की मुहिम को आमजन तक ले जाने के लिए तितली माह यानी “बिग बटरफ्लाई मंथ“ चल रहा है, ऐसे में पर्यावरण व जैव विविधता संरक्षण के लिए कार्य कर रहे दो पर्यावरण वैज्ञानिकों ने राजस्थान में तितलियों की दो नई प्रजातियों को ढूंढने में सफलता प्राप्त की है।

राजस्थान के ख्यातनाम पर्यावरण वैज्ञानिक और टाइगर वॉच के फील्ड बॉयोलोजिस्ट डॉ. धर्मेन्द्र खण्डाल एवं दक्षिण राजस्थान में जैवविविधता संरक्षण के लिए कार्य कर रहे पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने राज्य के सवाई माधोपुर के रणथम्भौर बाघ परियोजना क्षेत्र के बाहरी भाग में इन दो तितलियों की प्रजातियों को खोजा है।
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि परियोजना क्षेत्र के बाहरी भाग में उनके द्वारा राजस्थान की सुंदर तितलियों में शुमार दक्खन ट्राई कलर पाइड फ्लेट (कोलाडेलिया इन्द्राणी इन्द्रा) तथा स्पॉटेड स्माल फ्लेट (सारंगेसा पुरेन्द्र सती) नामक दो नई तितलियों को खोजा गया है। यह दोनों ही तितलियां हेसपेरीडी कुल की सदस्य है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि कोलाडेनिया इन्द्राणी इन्द्रा तितली के पंखों की उपरी सतह सुनहरी पीले रंग की होती है जिस पर पहली जोड़ी पंखों के बाहरी कोर पर काले बॉर्डर वाले चार-चार अर्द्ध पारदर्शक सफेद धब्बे होते हैं। अन्य दो-दो छोटे-छोटे धब्बे विद्यमान रहते है। पिछली जोड़ी पंखों पर काले धब्बे होते हैं।

इस तितली का धड़, पेट व टांगे पीली तथा आंखें काली होती हैं। पंखों के कोर काले होते हैं जिनमें थोडे-थोडे अंतरालों पर सफेद धब्बे होते हैं। पिछले पंखों पर सफेद धब्बे ज्यादा होते है। यह तितली बंगाल, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी-पूर्वी भारत, छतीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं उत्तराखण्ड में ज्ञात है। इस खोज के बाद राजस्थान भी अब इसके वितरण क्षेत्र में जुड़ गया है।

डॉ. शर्मा सारंगेसा पुरेन्द्र सती नामक तितली भूरे-काले रंग पर सफेद धब्बों के बिखरे पैटर्न से बहुत आकर्षक लगती हैं। इसकी श्रृगिकाएं सफेद रंग की लेकिन शीर्ष कालापन लिए होता है। यह तितली गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु एवं उत्तराखण्ड में मिलती है। वर्तमान में यह तितली सवाई माधोपुर, करौली, बूंदी व टौंक जिलों में विद्यमान है।

डॉ. खांडल ने बताया कि दोनों तितलियों की गतिविधियां देखने के लिए वर्षाकालीन समय उपयुक्त है। यहां ट्राईडेक्स प्रोकम्बैन्स, लेपिडागेथिस क्रिस्टाटा, लेपिडागेथिस हेमिल्टोनियाना आदि पौधे है जहां इनके मिलने की संभावाना अधिक है। उन्होंने बताया कि इन नई तितलियों का शोध रिकॉर्ड इंडियन जनरल ऑफ एनवायरमेंटल साइंस के अंक 24 (2) में प्रकाशित हुआ है

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