May 19, 2024

फोरलेन पर वृक्षारोपण के लिए मुख्यमंत्री को कार्ययोजना भेजी

रतलाम,10जून (इ खबरटुडे)। रतलाम सहित समीपस्थ सभी जिलों में इस बार भीषण गर्मी का एक प्रमुख कारण लेबड़-नयागांव फोरलेन है। जिसके निर्माण के बाद आज तक काटे गए वृक्षों की तुलना में नियमानुसार नए वृक्ष नहीं लगाया जाना है। इस वर्षाकाल मे निर्माण एंजेसी से हरे छायादार वृक्षों के पौधे लगवाने एवं इस पर नियत्रंण  हेतु जिला कलेक्टर को पांबद किए जाने के लिए मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चैहान को कार्ययोजना भेजी गई है।

इस  आशय की जानकारी  भाजपा  चिकित्सा प्रकोश्ठ म.प्र. सहसंयोजक डाॅ. राजेष शर्मा ने दी। उन्होने मुख्यमंत्री को बताया कि म.प्र. के जिस मालवा अंचल में पहले कभी गर्मी के मौसम में भी अतिधकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री से ज्यादा नहीं रहा, वहां इस मौसम में यही तापमान क्रमषः 47 डिग्री और 28 डिग्री तक पहुॅुंच जाना बेहद ही चिन्ताजनक है। साल-दर-साल रतलाम, इन्दौर, धार, मन्दसौर, नीमच, देवास एवं आगर-षाजापुर सहित समीपस्थ जिलों में बढ़ता तापमान इस बात का साफ संकेत है कि यदि पर्यावरण की सुरक्षा के कदम अब भी नहीं उठाए गए तो मालवा को मरूस्थल बनने से नहीं बचाया जा सकेगा।
डाॅ. शर्मा ने बताया कि इस सन्दर्भ में रतलाम, इन्दौर, धार, मन्दसौर एवं नीमच से जुड़े सर्वाधिक गर्मी से प्रभावित क्षेत्र लेबड़ (जि. धार) – नयागाॅंव (जि. नीमच) फोरलेन मार्ग 234 कि.मी. के निर्माण से इन पाॅंचों जिलो में हजारों हरे-भरे उम्रदराज वृक्षों की कटाई के बाद नियमानुसार काटे गए वृक्षांे की संख्या से चार गुना पौधे लगाए जाने के नियम का अविलम्ब फोरलेन निर्माण एंजेसी से पालन करवाया जाए। प्रत्येक संबधित क्षेत्र के प्रभारी मंत्री उस जिले के कलेक्टर को इस अभियान के सुनियोजित क्रियान्वयन एवं पाक्षिक रिपोर्ट के लिए पांबद करें ताकि इस 234 कि.मी. के फोरलेन पर इस वर्शकाल में लगभग 1200 वृक्षों को लगाकर उन्हें बड़ा किया जा सके।
निरन्तर बढ़ता तापमान, घटता भू-जलस्तर बेहद ही चिन्ताजनक 
उन्होने बताया कि फोरलेन पर वृक्षों की कोई चार वर्श पूर्व कटाई और नये वृक्षों के लिए आजतक पौधारोपण नहीं होने से यहां का निरन्तर बढ़ता तापमान, घटता भू-जलस्तर बेहद ही चिन्ताजनक है। जबकि फोरलेन निर्माण से प्रतिदिन हजारों भारी वाहनों की आवाजाही से प्रदुषण  द्रुतगति से  फैल रहा  है। इस समस्या के निदान के लिए फोरलेन के दोनों तरफ 234 कि.मी. तक पौधारोपण ही सर्वोत्तम विकल्प है।

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