December 24, 2024

फारूक अब्दुल्ला का दावा, ‘खुद को भारतीय नहीं मानते हैं कश्मीरी, चीन के शासन में रहने को तैयार’

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श्रीनगर,25 सितम्बर (इ खबरटुडे)।जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को बहाल करने की मांग के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया कि कश्मीर के लोग खुद को भारतीय नहीं मानते हैं।

लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि न ही कश्मीर खुद को भारतीय मानते हैं और न ही भारतीय होना चाहते हैं। इसके बदले वे चाहते हैं कि चीन उन पर शासन करें।

‘5 अगस्त को जो किया, वह ताबूत में आखिरी कील था’
एक वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे हैरानी होगी अगर उन्हें (सरकार) वहां कोई ऐसा शख्स मिल जाता है जो खुद को भारतीय बोले।

अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘आप जाइए और वहां किसी से भी बात कीजिए.. वे खुद को भारतीय नहीं मानते हैं और न ही पाकिस्तानी.. मैं यह आपको स्पष्ट कर दूं। पिछले साल 5 अगस्त को उन्होंने (मोदी सरकार ने) जो किया, वह ताबूत में आखिरी कील था।’

‘कश्मीरियों ने गांधी के भारत को चुना था’
इंटरव्यू में अब्दुल्ला ने कहा, ‘यह वहां के लोगों का मूड है क्योंकि कश्मीरियों को सरकार पर कोई भरोसा नहीं रह गया है।’ उन्होंने कहा कि विभाजन के वक्त घाटी के लोगों का पाकिस्तान जाना आसान था लेकिन तब उन्होंने गांधी के भारत को चुना था न कि मोदी के भारत का।

‘मैं जो कह रहा हूं लोग उसे सुनना नहीं चाहते’
नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला आगे कहा, ‘आज दूसरी तरफ से चीन आगे बढ़ रहा है। अगर आप कश्मीरियों से बात करें तो कई लोग चाहेंगे कि चीन भारत में आ जाए।

जबकि उन्हें पता है कि चीन ने मुस्लिमों के साथ क्या किया है।’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं इस पर बहुत गंभीर नहीं हूं लेकिन मैं ईमानदारी से कह रहा जिसे लोग सुनना नहीं चाहते।’

हर गली में एके-47 लिए सुरक्षाकर्मी खड़ा है’
केंद्र पर निशाना साधते हुए फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया कि अगर वे घाटी में कही भी भारत के बारे में कुछ बोलते हैं तो कोई उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा, ‘वहां हर गली में एके 47 लिए हुए सुरक्षाकर्मी खड़ा है। आजादी कहां है?’

‘कश्मीर में 370 बहाल करने की जरूरत’
इससे पहले मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल किया जाना चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा था कि पिछले साल 5 अगस्त को उठाए गए कदमों के बारे में सोचने की जरूरत है।

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