November 15, 2024

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आड में जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक द्वारा करोडों का घोटाला

पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने प्रेसवार्ता में लगाए गंभीर आरोप

रतलाम,10 अगस्त (इ खबरटुडे)। जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता वीरेन्द्रसिंह सोलंकी ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करोडों रुपए का घोटाला करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि जिला केन्द्रीय सहकारी बेंक ने निजी बीमा कंपनी से सांठगांठ कर सोयाबीन बोने वाले किसानों का टमाटर की फसल का बीमा करा दिया है। यह घोटाला करीब दस करोड रुपए का है।
प्रेस क्लब भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान श्री सोंलकी ने उक्त आरोप लगाए। श्री सोलंकी ने बताया कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय से जारी गाइड लाइन के अनुसार मध्यप्रदेश के राजपत्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत मौसम आधारित फसल बीमा योजना के संबध में अधिसूचना प्रकाशित की गई है। इस योजना के अंतर्गत जिला सहकारी कैन्द्रीय बैंक रतलाम द्वारा बैंक से जुड़े लगभग 53 हजार से अधिक किसानों का 31 हजार हेक्टर भूमि पर सब्जी वर्गीय (खरीफ -फसल) टमाटर की बीमा एक निजी बीमा कंपनी द्वारा किया गया है। रतलाम में टमाटर की फसल की कुल 205 करोड़ के बीमा के बदले 5 प्रतिशत प्रिमियम राशी लगभग 10 करोड़ रुपए जिले की सहकारी संस्थाओं ने समस्त ऋणी किसानों के खातों से काटकर साख पत्रक जमा करा दिए है और लगभग इतनी ही प्रीमियम राशी राज्य तथा कैन्द्र सरकार द्वारा 50-50 प्रतिशत के अनुपात में अनुदान के रुप में वहन कर बीमा कंपनी को दी जाना है।

सोयाबीन बोने पर टमाटर का बीमा कैसे मिलेगा?

पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री सोंलकी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिला सहकारी कैन्द्रीय बैंक द्वारा बीमा कंपनी से सांठगाठ कर किसानों को करोड़ो रुपए की चपत लगाने का कार्य किया जा रहा है, क्योंकि जिले में इन कृषकों द्वारा टमाटर बोया ही नहीं गया है, कई किसानों ने सोयाबीन बोया है, ऐसे में यदि किसी प्राकृतिक आपदा में सोयाबीन की फसल खराब होती है तो बीमा कंपनी द्वारा टमाटर का बीमा होने पर सोयाबीन की फसल का मुआवजा कैसे दिया जाएगा। याने किसानों के प्रिमियम के रुपए डूबना तय है। यह भी आरोप लगाया गया है कि किसानों को पता भी नहीं है कि टमाटर बीमा के नाम पर उनके खातों से सहकारी संस्थाओं द्वारा हजारों रुपए टमाटर बीमा की प्रीमियम के काट लिए गए है।

टमाटर का बीमा क्यों

पूर्व जिप. उपाध्यक्ष श्री सोलंकी ने टमाटर की फसल का बीमा कराने के पीछे कारण बताते हुए कहा कि सोयाबीन की बीमित राशी प्रति हेक्टेयर 26,600 रुपए के मान से है, जबकि टमाटर की बीमित राशी 63200 रुपए प्रति हेक्टेयर के मान से है। किसानों को खरीफ की फसलवार प्रतिहेक्टेयर बीमित राशी से गुणा कर सोयाबीन और मक्का की फसल के लिए बीमा राशि का 2 प्रतिशत जबकि टमाटर के लिए बीमा राशी का 5 प्रतिशत प्रिमियम किसानों के खातों से काटा गया है। यदि सोयाबीन की फसल का बीमा कराया जाता तो 26600 रुपए का 2 प्रतिशत 532 रुपए प्रति हेक्टेयर के मान से सपंूर्ण जिले के किसानों को एक करोड़ चौसठ लाख बानवे हजार रुपए चुकाने होते, जबकि टमाटर की बीमा प्रिमियम के रुप में 63 हजार 200 रुपए का 5 प्रतिशत याने 3160 रुपए प्रति हेक्टेयर के मान से लगभग नौ करोड़ उनीयासी लाख साठ हजार रुपए चुकाने पड़े है। इस तरह ज्यादा प्रिमियम राशी के लिए बीमा कंपनी से सांठगाठ कर इतने करोड़ रुपए की चपत लगाई जा रही है।

संस्थाओं पर बनाया गया दबाव

पत्रकार वार्ता के अवसर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश प्रभू राठौर, करवाखेड़ी सोसायटी के अध्यक्ष प्रकाश पाटीदार, बरखेड़ाकला संस्था के अध्यक्ष धर्मेन्द्र डांगी भी मौजुद थे। पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया गया कि जिला सहकारी कैन्द्रीय बैंक द्वारा बार-बार सहकारी संस्थाओं को टमाटर की फसल का बीमा कराने का दबान बनाया गया तो जिले की कई प्राथमिक सहकारी समितियों ने जिनमें ताल ब्रांच की करवाखेड़ी, माधोपुर, आक्याकला, आलोट ब्रांच की बरखेड़ा कला और शेरपुरखुर्द सहित कई संस्थाओं ने वार्षिक साधारण सभा की बैठक बुलाकर यह प्रस्ताव बैंक को भेजा कि क्षैत्र में किसानों द्वारा टमाटर की फसल बोई ही नहीं गई है, ऐसी स्थिति में किसानों द्वारा बोई गई सोयाबीन की फसल का ही बीमा किया जाए, परंतु जिला सहकारी कैन्द्रीय बैंक के वरिष्ठ महाप्रबंधक ने 29 जुलाई को ऐसे प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति अध्यक्षों को पत्र के माध्यम से जवाब दिया कि आपके द्वारा चाहे अनुसार अब सोयाबीन फसल का बीमा किया जाना संभव नहीं है।

रोका जाना आवश्यक

पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने कहा कि किसानों के खातों से कटे प्रीमियम को 15 अगस्त 2016 तक बैंक द्वारा बीमा कंपनी को जमा करवा दिया जाएगा, जिसे तत्काल रोका जाना आवश्यक है। पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने इस सबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी शिकायत कर किसानों एवं शासन के करोड़ों रुपए डुबने से बचाने और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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