पेट्रोल मुंबई में 80 और दिल्ली में 74.49 रुपये लीटर, और गिरेंगे दाम!
नई दिल्ली,27 नवंबर(इ खबरटुडे)। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हो रही लगातार गिरावट का दौर फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। इससे घरेलू बाजार में भी पेट्रोल और डीजल के सस्ता होने का सिलसिला जारी है। जहां तक विभिन्न शहरों में पेट्रोल-डीजल के दाम की बात की जाए तो वह भी मंगलवार को एक बार फिर गिरते हुए दिखे। चार महानगरों में से दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल के दाम 35 पैसे कम होकर 74.49 रुपये पर पहुंच गए। मुंबई की बात करें तो मायानगरी में 3 पैसे की गिरावट के साथ मंगलवार को पेट्रोल 80-03 रुपये, कोलकाता में 35 पैसे कम होकर 76.47 रुपये और चेन्नई में 37 पैसे गिरकर 77.32 रुपये में पेट्रोल बिका।
मंगलवार को भी सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 41 पैसे प्रति लीटर की कटौती की। इस क्षेत्र पर बहुत ही विश्वस्त रिपोर्ट देने वाली एजेंसी एफजीई की नई रिपोर्ट की मानें तो कच्चे तेल की कीमत मौजूदा $60 प्रति बैरल से घटकर अगले कुछ दिनों में $50 प्रति बैरल तक जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और गिरावट होने का रास्ता साफ होगा साथ ही सरकार के लिए राजकोषीय प्रबंधन करना भी आसान हो जाएगा।
एफजीई ने कहा है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत बहुत हद तक 6 और 7 दिसंबर को ओपेक की बैठक से तय होगी। तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक अगर मजबूत संकेत नहीं देगा तो कच्चे तेल की कीमत लुढ़क कर $40 तक भी जा सकती है।
बताते चलें कि पिछले 1 महीने में क्रूड की कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 60 बैरल प्रति डॉलर तक आ चुकी है। इससे देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में भी 4.50 प्रति लीटर से लेकर 5.50 प्रति लीटर तक की कमी हुई है। चुनाव की तैयारियों में जुटी सरकार के लिए यह बहुत ही राहत भरी खबर है क्योंकि विपक्षी दल अब पेट्रोल-डीजल में महंगाई को मुद्दा नहीं बना पा रहे हैं।
सस्ता क्रूड देश की जनता को कई तरीके से फायदा पहुंचाता है। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी होने के साथ ही या अन्य महंगाई को बढ़ने से भी रोकने में मदद करता है। क्रूड में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरों को बढ़ाने का दबाव कम हुआ है। इसी में जानकार मान रहे हैं कि मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा में ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक कोई चौंकाने वाला फैसला नहीं करेगा। ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला होम लोन और ऑटो लोन के महंगा होने से रोकेगा। सस्ता क्रूड डॉलर के मुकाबले रुपए को भी मजबूत बनाता है।