November 21, 2024

पुलिस अधीक्षक अविनाश शर्मा ने बहुचर्चित सूरज हत्याकांड मामले का पर्दाफाश किया

आरोपियों तक पहुंचने में तीसरी आंख(सीसीटीवी कैमरे)की महत्वपूर्ण भूमिका

रतलाम,30 मई(इ खबरटुडे)।पुलिस नियंत्रण कक्ष पर पुलिस अधीक्षक अविनाश शर्मा ने बहुचर्चित सूरज हत्याकांड मामले का पर्दाफाश किया। सूरज की हत्या के मामले में पुलिस ने मुकेश पिता शंकरलाल 23 वर्ष निवासी राजोद जिला धार और महावीर पिता अशोक 22 वर्ष निवासी राजोद जिला धार को गिरफ्तार किया गया है, जबकि पूनीया पिता शोभाराम निवासी मोयाखेड़ा और धर्मेन्द्र पिता मांगीलाल निवासी राजोद जिला धार फरार है। फरार आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है।

एसपी अविनाश शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने पुछताछ में जो बताया उसके अनुसार आरोपी मुकेश राजोद में बैंड पार्टी चलाता है और अन्य आरोपी भी बैंड पार्टी में काम करते है। मुकेश को अपनी बैंड पार्टी के लिए बैंड गाड़ी चाहिए थी, और उसकी व्यवस्था के लिए उसने साथियों के साथ मिलकर घटना की रुपरेखा रची।

आरोपियों ने षडयंत्रपूर्वक गाड़ी किराए से ली और उज्जैन बायपास पहुंचते ही सूरज की आंखो में मिर्ची डालकर गाड़ी में उसे पीछे की सीट पर बैठाकर गला घोंटकर हत्या कर दी। आरोपियों ने सूरज का मोबाइल भी रास्ते में फेंक दिया और शव को ग्राम कछालिया के पास छिपा दिया। आरोपियों ने इसके बाद ग्राम राजगढ पहुंचकर गाड़ी पर रेडियम से परिवर्तन किया और गाड़ी को अलग-अलग स्थानों पर छिपाते रहे। अंत में आरोपियों ने धार बस स्टैण्ड पर जहां मेकेनिक आदि की गाडियां खड़ी रहती है, वहां वाहन को लावारिस खड़ा कर दिया। आरोपियों की निशानदेही पर जीप को पुलिस ने बरामद कर लिया है।
पहचान खुलने पर की हत्या
एसपी अविनाश शर्मा के अनुसार पुछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे जीप को ले जाना चाहते थे, लेकिन बातों-बातों में सूरज को अपना परिचय दे दिया था। पहचान का खुलासा होने के कारण उन्होने उसकी हत्या कर दी।

आरोपियों तक पहुंचने में तीसरी आंख की महत्वपूर्ण भूमिका
एसपी अविनाश शर्मा ने बताया कि आरोपियों तक पहुंचने में तीसरी आंख (सीसीटीवी कैमरे) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस सनसनीखेज मामले के पर्दाफाश के लिए एसपी अविनाश शर्मा ने अलग-अलग टीमों का गठन किया था। जिसमें पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों और साइबर सेल को शामिल किया गया। पुलिस की टीम ने टोल बैरियर और सायबर सूचना के आधार पर लगातार जांच जारी रखी। सर्चिंग के दौरान पुलिस को सैलाना बस स्टैण्ड पर एक दुकान के सीसीटीवी कैमरे से आरोपियों की कुछ जानकारी मिली। पुलिस ने उसे डेवलप कराया और उसके आधार पर तलाश शुरु की। इसके बाद रतलाम से लेकर उज्जैन मार्ग में टोल बैरियर सहित जहां-जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है पुलिस ने उसे खंगाला। अत्यधिक परिश्रम के बाद बदनावर में एक निजी संस्थान में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में आरोपी चिन्हीत हुए। उक्त फूटेज को बारिकी से डेवलप कर आरोपियों के फोटो निकाले गए और उनकी तलाश शुरु की गई। धार के गांव राजोद में एक महिला ने एक आरोपी की पहचान की और साइबर सेल के माध्यम से उसे प्रमाणित किया गया। प्रमाण सही होने पर आरोपी नामजद हुए और साक्ष्य पुख्ता होने पर चारों आरोपियों के नाम सामने आए।

जयपुर भागने वाले थे आरोपी
आरोपियों की पहचान होने पर पुलिस टीम लगातार उन्हे पकडऩे का प्रयास कर रही थी और आरोपी छुपकर बचने का प्रयास कर रहे थे। एक बार आरोपियों के बडनग़र में होने की जानकारी मिलने पर इंगोरिया में नाकेबंदी कराई लेकिन आरोपी फरार हो गए। रविवार 29 मई को आरोपी जयपुर भागने की फिराक में थे और नागदा पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दो आरोपियों को पकड़ लिया, जबकि दो आरोपी फरार होने में कामयाब हो गए। पुछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि घटना के बाद महावीर उज्जैन चला गया था और वहां सात दिन तक एक शिविर में रुककर कथा में वाद्य यंत्र बजाता रहा। आरोपियों की गिरफ्तारी में आरक्षक धर्मेन्द्र जाट, दिनेश जाट, मो. युसुफ, देवीदान, मनोज और हिम्मत की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

एसपी स्वंय जुटे रहे
इस सनसनीखेज मामले को सुलझाने के लिए एसपी अविनाश शर्मा स्वंय जुटे रहे। उन्होने एएसपी प्रशांत चौबे और पुलिस अधिकारियों के साथ स्वंय घटना स्थल का निरीक्षण किया और मार्ग में लगे सीटीटीवी कैमरों की पड़ताल के साथ ही कई लोगों से भी पुछताछ की। एसपी लगातार टीम का मागदर्शन करते रहे।

पुलिस टीम को तीस हजार का पुरस्कार
एसपी अविनाश शर्मा के निर्देशन और एएसपी प्रशातं चौबे और एसडीओपी संजीव मुले के नेतृत्व में इस प्रकरण का खुलासा करने में माणकचौक थाना प्रभारी विपिन बाथम, ओद्योगीक क्षैत्र थाना प्रभारी राजेश चौहान, जावरा थाना प्रभारी हरीष जेजुरकर, एएसआई अनिल आचार्य, धर्मेन्द्र जाट, दिनेश जाट, मो. युसुफ, देवीदान, मनोज पांडे, हिम्मतसिंह, योगेन्द्रसिंह, राहुल जाट, हिंमाशु यादव एवं साइबर सेल के आरक्षक रितेश, मनमोहन शर्मा, बलराम पाटीदार का सराहनीय योगदान रहा। आईजी उज्जैन ने प्रकरण का खुलासा करने वाली टीम को तीस हजार रुपए के नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया है।
यह है मामला
11 मई की शाम को टाटानगर निवासी सूरज पिता देवीलाल 20 वर्ष रतलाम से चार व्यक्तियों को लेकर उज्जैन के लिए निकला था, जिसके बाद से उसका कोई पता नहीं था। सूरज के काका दयाराम पिता फतेहचंद राठोर निवासी टाटानगर की रिपोर्ट पर माणकचौक थाना पुलिस ने उसके अपहरण और धोखाधडी का प्रकरण दर्ज किया था। 11 मई की शाम को सूरज के पास अजूबा ट्रेवल्स से फोन आया था कि तीन-चार सवारी है, जिन्हे उज्जैन और वहां से ओंकारेश्वर लेकर जाना है। इस पर सूरज शाम को करीब सवा सात बजेे उन सवारियों को लेकर रतलाम से निकला। उसके बाद अगली सुबह से सूरज का मोबाइल बंद आ रहा था।

इसके बाद से पुलिस सूरज और जीप की तलाशी में लगी हुई थी। 15 मई रविवार को सांवेर थाना क्षैत्र के चंद्रावतीगंज फतेहाबाद के पास कछारिया से सूरज का शव बरामद किया गया था। आरोपियों ने 11 मई को ही उसकी हत्या कर शव छिपा दिया था। 11 मई के दिन जब सूरज वाहन में सवारियां लेकर निकला था, उस दिन शाम को आरोपी सैलाना बस स्टैण्ड स्थित एक तरबूज के ठेले पर तरबूज खाने गए थे, वहां बातों-बातों में उन्होने तरबूज दूकानदार लूमेर को उज्जैन जाने और गाड़ी की व्यवस्था नहीं होने की बात कही। लूमेर ने ट्रेवल्स पर बात की और ट्रेवल्स संचालक शाकीर ने सूरज से सवारी लेकर जाने की बात की। इस मामले में लूमेर और ट्रेवल्स संचालक को पुलिस पूर्व में ही गिरफ्तार कर चुकी है।⁠⁠⁠⁠

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