November 15, 2024

पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु का जल रोकने की भारत ने शुरू की कवायद

नई दिल्ली ,24 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी का पूरे इस्तेमाल पर विचार के लिए शुक्रवार को उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक हुई. इस दौरान पंजाब और जम्मू कश्मीर में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने पर चर्चा हुई.

सिंधु की सहायक नदियों पर परियोजना में तेजी लाने पर विचार

प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जम्मू कश्मीर में प्रस्तावित पनबिजली परियोजना और सिंधु, झेलम व चेनाब नदी के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए बड़े जलाशय और नहरें बनाने का काम तेज करने पर गहनता से विचार किया गया.

परियोजना पर जल्द ग्राउंड देंगे पंजाब और कश्मीर

इस मामले में सिंधु की पूर्वी सहायक नदियों सतलज, रावी और ब्यास पर संभावित असर को देखते हुए पंजाब की भूमिका अहम हो जाती है, जिसे देखते हुए बैठक में राज्य के मुख्य सचिव ने भी शिरकत की. बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया, ‘इस पहली बैठक का मकसद (सिंधु) समझौते के अंदर रहते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने के भारत के इरादे को दिखाना और दोनों राज्यों (पंजाब और जम्मू कश्मीर) को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मनाना था.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘दोनों ही राज्यों को जल्द से जल्द अपनी ग्राउंड रिपोर्ट देने को कहा गया है. इस संबंध में टास्क फोर्स की अगली बैठक जनवरी में होगी.’

पीएम मोदी ने दी बूंद-बंदू पानी रोकने की चेतावनी

बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में पंजाब के बठिंडा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इसके पहले 27 सितंबर को पीएम मोदी के सिंधु नदी जल समझौते की समीक्षा करने के फैसले के बाद से इस प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने की कवायद चल रही थी. हालांकि इस चेनाब प्रोजेक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजेक्ट को शुरू करेगी.

स्वालकोट प्रोजेक्ट के तहत चेनाब नदी पर 193 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा, जिससे 1 हजार 856 मेगावॉट बिजली उत्पादन होने का अनुमान है. इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 4,400 लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा, इसलिए राज्य सरकार काम शुरू होने से पहले ही इन लोगों के पुनर्वास की सारी व्यवस्था कर रही है. वहीं बुरसर प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में अभी वक्त लगेगा.

भारत-पाक के बीच 1960 में हुआ था सिंधु समझौता
सिंधु जल समझौते पर 1960 में दस्तखत किए गए थे. इसके तहत रावी, व्यास और सतलज नदी का पानी भारत के हिस्से में आया तो सिंधु, झेलम और चेनाब का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया. वहीं भारत का कहना है कि उसने अपने हिस्से के 20 फीसदी पानी का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है. इस समझौते के तहत भारत पश्चिमी नदियों के पानी को भी अपने इस्तेमाल के लिए रोक सकता है. आतंकवाद के खिलाफ उठाने के लिए पाकिस्तान पर दबान बनाने के लिए अब भारत इसी की तैयारी में जुटा है.

You may have missed

This will close in 0 seconds