January 22, 2025

परमात्मा ने भी किया श्रमण जीवन का अनुसरण: मुनिराजश्री

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रतलाम 19 अक्टूबर(इ खबरटुडे)।सही दिशा वही बताता है जो सही दिशा में चल रहा हो । विपरीत दिशा में चलने वाला दूसरों को भी वैसी ही दिशा दिखाता है । श्रमण जीवन परमात्मा के द्वारा अनुसरित जीवन है । इसी पथ पर चलकर वे स्वयं मोक्ष में पहुंचे। उन्होंने इसी पथ का अनुगमन करने का उपदेश सबको दिया है । श्रमण जीवन की प्राप्ति के बाद श्रमण के आचार-विचार सभी को प्रभावित करते हैं ।
यह विचार मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कही । जयन्तसेन धाम में लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति, श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि धर्मशाला में रुकने पर जैसे कमरे का, बिस्तर का, गर्म पानी आदि का चार्ज अलग-अलग लगता है, वैसे ही संसार में हम जो भोग कर रहे हैं, उनका भी पुण्य के रुप में चार्ज लग रहा है। भोगों से पुण्य का बैलेंस धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। ज्ञानियों ने कहा है कि पुण्य का उपयोग भोग के बजाए त्याग में करना चाहिए, क्योंकि भोग व्यक्ति करता है, लेकिन उसका फल आत्मा को भोगना पड़ता है। संसार के भोगों को यदि व्यक्ति भोगता रहे तो कर्मों का बंधन होता है । इसलिए बुद्धि का उपयोग कर धर्म की ओर अग्रसर होना चाहिए ।
उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन करते हुए मुनिराजश्री ने कहा कि संसार के सभी सुख भोग से पहले अच्छे लगते हैं लेकिन भोगने के बाद फीके लगने लगते हैं। भोग के पूर्व जितना उनका आकर्षण होता है, उतना भोग के बाद नहीं होता। अत: ऐसे भोग सुखों का त्याग करना ही उत्तम मार्ग है । व्यक्ति को अहम् से सदैव बचना चाहिए। अहंकार कहीं झुकने नहीं देता और आत्मज्ञान को आने नहीं देता । विनय का भी मार्ग रोक देता है । दुर्गुणों से बचने के लिए उत्तम व्यक्ति की ही संगत करना चाहिए, इससे जीवन में उत्तम भाव ही निर्मित होंगे। धर्मसभा के अन्त में दादा गुरुदेव की आरती का लाभ रमेश कुमार छगनराजजी धाणसावाले ने लिया।
21-22-23 को नहीं होंगे प्रवचन –
जयन्तसेन धाम में 21 से 23 अक्टूबर तक प्रवचनों का आयोजन नहीं होगा। लोकसन्त, आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में रतलाम नगर में आयोजन होने से प्रवचनों का आयोजन अब 24 अक्टूबर से आरम्भ होगा । लोकसन्तश्री की निश्रा में 2 नवम्बर को जयन्तसेन धाम में शतावधान का अनुपम आयोजन होगा। इसमें मुनिराजश्री प्रत्यक्षरत्न विजयजी म.सा. द्वारा शतावधान की प्रस्तुति दी जाएगी ।

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