December 25, 2024

निगम की नाकामी के चलते भाजपा के लिए चुनौतीभरा रहेगा चुनावी साल

Ratlam Nagar Nigam

रतलाम,1 जनवरी (इ खबरटुडे)। नगर निगम की नाकामी नए साल में भाजपा के लिए भारी पड सकती है। हांलाकि विकास के मोर्चे पर नगर विधायक ने नए कीर्तिमान रचे हैं लेकिन महापौर की लचर कार्यप्रणाली नागरिकों की नाराजगी को बढा रही है। ये नाराजगी चुनावी साल में भाजपा के लिए एक बडी चुनौती साबित हो सकती है। महापौर की कार्यप्रणाली इतनी अस्तव्यस्त है कि महापौर परिषद ही महापौर के निर्णयों की खिलाफत करने लगी है।
वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव का वर्ष है। भाजपा पर अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने का दबाव है। हांलाकि नगर विधायक चैतन्य काश्यप के खाते में सिटी फोरलेन और नई ईमारतों से लेकर मेडीकल कालेज तक की अनेक उपलब्धियां है,लेकिन नगर निगम की निरन्तर असफलताएं नागरिकों में असन्तोष बढा रही है। आम लोगों की नाराजगी को समाप्त करना भाजपा संगठन के लिए एक बडी चुनौती है।

महापौर से सहमत नहीं महापौर परिषद

नगर निगम के हालात इन दिनों बदतर दौर से गुजर रहे है। राज्य शासन द्वारा नगर विकास की योजनाओं के लिए करोडों रुपए दिए जा रहे है। लेकिन महापौर डॉ सुनीता यार्दे की कार्यप्रणाली के चलते इन योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। स्वच्छता अभियान में नगर निगम द्वारा माईक लगाकर शोर तो काफी मचाया जा रहा है,लेकिन धरातल पर स्थिति ठीक उलटी है। महापौर परिषद की पिछली बैठक इसका जीवन्त उदाहरण है। महापौर परिषद की पिछली बैठक में महापौर द्वारा रखे गए तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को महापौर परिषद के सदस्यों ने पारित करने से इंकार कर दिया। अधिकारिक तौर पर तो कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है,लेकिन निगम सूत्रों का कहना है कि इन प्रस्तावों के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार होने की आशंकाओं के कारण महापौर परिषद के कुछ सदस्यों ने इन प्रस्तावों को लम्बित कर दिया।

मंजूरी के पहले ही काम शुरु
निगम सूत्रों का कहना है कि स्वच्छता अभियान के लिए मिले बजट की बंदरबांट के लिए महापौर परिषद की अनुमति लिए बगैर ही काम शुरु कर दिए गए। काम शुरु होने के बाद इन प्रस्तावों को मंजूरी के लिए लाया गया। सूत्रों का कहना है कि ग्राम जुलवानिया में ट्रेङ्क्षचग ग्राउण्ड के साथ कचरे से खाद बनाने के संयत्र की स्थापना के लिए निजी कंपनी को ठेका पहले दे दिया गया और बाद में इसे मंजूरी के लिए महापौर परिषद में लाया गया। सूत्रों का कहना है कि इस संयत्र के लिए दिए गए ठेके की शर्तें नगर निगम का घाटा बढाने वाली है। इसके बावजूद महापौर डॉ.यार्दे ने इस ठेके को स्वीकृती दे दी। इसी तरह स्वच्छता अभियान के तहत डस्टबीन खरीदी का मसला भी उजागर हुआ। निगम ने बिना महापौर परिषद की पूर्व अनुमति के लाखों रुपए की कीमत से डस्टबीन खरीद लिए। कहने के लिए तो डस्टबीन की खरीदी सरकारी पोर्टल के माध्यम से की गई,लेकिन निगम ने पोर्टल पर उपलब्ध सस्ते डस्टबीन की बजाय महंगे डस्टबीन खरीद लिए। सूत्रों का कहना है कि प्रति डस्टबीन तीन हजार रु. अधिक का भुगतान किया गया। इस तरह लाखों रुपए की उपरी कमाई कर ली गई और बाद में इसे मंजूरी के लिए महापौर परिषद में लाया गया।

संगठन में भी शिकायत

निगम के कई भाजपा पार्षदों ने महापौर डॉ यार्दे की शिकायत संगठन को की है। पार्षदों का कहना है कि महापौर मैडम पार्षदों को बिना विश्वास में लिए सारे निर्णय करती है। नगर निगम में भ्रष्टाचार बढता जा रहा है और इस वजह से नागरिकों में नगर निगम की छबि खराब होती जा रही है। यदि स्थितियां ऐसी ही रही तो इसका खामियाजा पार्टी व संगठन को भुगतना पड सकता है। पार्षदों में महापौर पति के हस्तक्षेप को लेकर भी भारी नाराजगी है। इसका भी सीधा असर नगर निगम के कामकाज पर पडता है।
विधानसभा चुनाव में अब महज दस महीनों का वक्त बचा है। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक महापौर डॉ.यार्दे को तो चुनावी मैदान में उतरना नहीं है इसलिए उन्हे जनता और पार्षदों की नाराजगी की कोई चिन्ता नहीं है,लेकिन जिन्हे चुनाव के वक्त जनता के बीच में जाना है,वे इन परिस्थितियों से खासे चिन्तित है। देखना यह है कि शहर की इस जटिल राजनैतिक स्थिति से भाजपा संगठन कैसे निपटता है।

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