नवकार का एक-एक अक्षर तीर्थ के समान-राष्ट्रसंतश्री
नवकार आराधना में बताई गई हर पद की महत्ता
रतलाम,12 अगस्त (इ खबरटुडे)। नवकार आराधना के तीसरे दिन जयन्तसेन धाम में राष्ट्रसंत, आचार्य श्रीमदजयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के सानिध्य में भाव-भक्ति की गूंज रही। मन-मधुकर म्युजिकल गु्रप ने नवकार महामंत्र्ा के एक-एक पद की संगीतमत महत्ता प्रस्तुत कर वातावरण को नवकारमय बना दिया। राष्ट्रसंतश्री ने कहा कि नवकार का एक-एक अक्षर तीर्थ के समान है। एक स्थान पर बैठकर सारे तीर्थो की यात्र्ाा का लाभ नवकार जाप सेे ही मिल सकता है।
भाव-भक्ति के संगीतमय वातावरण में मुनिराज श्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने नवकार महामंत्र्ा के नौ पदों का विस्तार से अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि नवकार के समीप आने वाल्ो को नवकारमय बन जाना चाहिए। पानी की बूंद जिस तरह सागर में जाकर खुद सागर बन जाती है। उसी तरह आराधकों को नवकारमय बनना होगा। नवकार के जाप का आनंद साथ में ल्ोकर जाने वाला हमेशा नवकार से जुड़ा रहता है। नवकार के कोड 757798889 को हमेशा स्मरण रख्ो।
उन्होनंे कहा कि तीर्थयात्र्ाा से भवयात्र्ाा समाप्त होती है, ल्ोकिन इसके लिए तीर्थयात्र्ाा का भावपूर्वक होना आवश्यक है। नवकार में सभी तीर्थो का सागर भरा है, इसे भावपूर्वक जीवन में उतारे। मानव जीवन में आंखों की धूल और शरीर के मेल को बहुत धोया होगा, नवकार का जाप मन के मेल को धोने वाला है। इस भव मंे भावपूर्वक किया गया जाप आने वाल्ो भवों में भी लाभकारी होगा। इस मौके पर चातुर्मास आयोजक एव विधायक चेतन्य काश्यप परिवार की और से तपस्वी शकुन्तला सोलंकी का सम्मान किया गया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ नवकार आराधना परिषद सायला ने लिया।
मंदिर में पूजन के साथ प्रभु प्रतिमा प्रवेश
जयन्तसेन धाम में प्रतिष्ठांजनशलाका महामहोत्सव की धूम भी शुरु हो गई है। शुक्रवार को विधि-विधान से श्री आदिनाथ पंचकल्याणक पूजा, वैदिका पूजन और प्रभु प्रतिमा प्रवेश का अनुष्ठान हुआ। चातुर्मास आयोजक एव विधायक चेतन्य काश्यप परिवार के सदस्यों सिद्वार्थ काश्यप, पूर्वी काश्यप, श्रवण काश्यप और अमि काश्यप ने सारी विधियां पूर्ण की। मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप व बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मुनिराज श्री चारित्र्ारत्न विजयजी म सा ने मंत्र्ाोच्चार किया। विधिकारक चेन्नई के सत्यविजयजी हरण, प्रसन्नपाल जी और इंदौर के त्र्ािलोक कांकरिया ने पूजा संपन्न कराई। महामहोत्सव के तीसरे दिन 13 अगस्त को राष्ट्रसंत की निश्रा में श्री समकित अष्टप्रकारी पूजा, च्यवन कल्याणक, स्वप्न दर्शन, इन्द्र सिंहासन कंपायमान, माता-पिता, इन्द्र-इन्द्राणी स्थापना और भव्य राज दरबार का आयोजन होगा।